दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रेम संबंध को अचानक खत्म करने पर एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि सहमति से लंबे समय तक शारीरिक संबंध होने के बावजूद रिश्ते को समाप्त करना अपराध नहीं है। कोर्ट ने शादी का झाँसा देकर दुष्कर्म करने के एक केस की सुनवाई के दौरान यह फैसला दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि एक लंबे समय तक के सहमति से बनाए गए अंतरंग संबंध, जिसमें यौन संबंध भी शामिल है, ये नहीं कहा जा सकता कि दूसरे पक्ष ने शादी का वादा करके उसके साथ रेप किया।
Promise to Marry and sexual relations over a significant period of time: What the Delhi High Court heldhttps://t.co/z7zB2i0XLa
— Bar & Bench (@barandbench) October 10, 2019
कोर्ट ने मामले में बलात्कार आरोपित को अरोप से मुक्त कर दिया है। न्यायमूर्ति विभू बाखरू की कोर्ट ने अपने फैसले में आरोपी को बरी करने के फैसला सुनाते हुए कहा कि दोषी को अरोप मुक्त करने वाले निचली अदालत के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है। सहमति से शारीरिक संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रेम संबंध को समाप्त करने के लिए किसी को अपराधी नहीं करार दिया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला की उन दलीलों को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है, जिसमें उसने कहा था कि यौन संबंध के लिए उसकी सहमति स्वैच्छिक नहीं थी बल्कि शादी का वादा करके ली गई थी। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने दूसरे पक्ष का शोषण करने के इरादे से भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार को अपराध मानने वाले कानून का गलत इस्तेमाल करते हुए झूठा केस दर्ज कराया। इस दौरान अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत बलात्कार अभी भी अपराध की ही श्रेणी में आता है।