भारत-पाकिस्तान के टी-20 वर्ल्ड कप मैच के बाद शरजील इमाम का एक पोस्ट वायरल हो रहा है। ये पोस्ट 19 जून 2017 का है। इसमें उसने बताया था कि जब सोशल मीडिया नहीं था तो उनके समुदाय के लोग पाकिस्तान की जीत को घरों में और पड़ोसियों के साथ सेलिब्रेट करते थे।
इस पोस्ट में इमाम ने कहा था, “सोशल मीडिया पर हमारे कई नौजवान पाकिस्तान की क्रिकेट में जीत की खुशी मना रहे हैं। पहले सोशल मीडिया नहीं था तो घर पे, गलियों में मनाते थे। बचपन में कई बार मैं इनमें शरीक भी रहा हूँ। हालाँकि 12 साल से मैंने न क्रिकेट देखा है और न खुशी मनाई है।”
इमाम ने आगे लिखा, “अब कुछ लोगों को तकलीफ है कि ये है कि ये भक्तिवाद के उलट है और भक्तों को मौका देता है कि हमें पाकिस्तानी पुकारने का। कुछ ने ये भी कह दिया कि देखो जमशेदपुर में हमला कर दिया, 80 दुकानें जला दीं, क्यों बहाने देते हो। पहली बात तो ये कि वो आपको हर हाल में पाकिस्तानी समझते हैं, देशभक्त मुसलमान अपने मुगालते से निकलें।”
फिर इमाम कहता है, “दूसरी बात कि जब बचपन से हमें सब्जीबाग पटना में सईद अनवर की बीवी के नाम शक्ल सूरत सब की खबर थी और गांगुली के बारे में कम जानते थे तो उसकी कोई वजह ही रही होगी। वजह पता कीजिए।”
तीसरी बात समझाते हुए वह पोस्ट कहता है, “ये टीम इंडिया नहीं टीम बीसीसीआई है। एक प्राइवेट टीम जो कि बड़े कॉर्पोरेट करप्शन कि एक टूल है, जिसका नोटिस सुप्रीम कोर्ट ने भी लिया है। पाकिस्तान की टीम तो कम से कम सरकारी है। बहरहाल सबको हक है अपने हीरोज बनाने का और मेरा पहला पसंदीदा शायर इकबाल लाहौरी था और पहला बॉलर वसीम अकरम। ऊपर से हम थे भी लेफ्ट आर्म।”
यहाँ बता दें कि शरजील इमाम द वायर, द क्विंट और फर्स्टपोस्ट जैसे वामपंथी पोर्टल्स का स्तंभकार रहा है। उसने जामिया नगर में दंगों के लिए भड़काऊ बयानबाजी की थी। बाद में पुलिस ने उसे 28 जनवरी 2020 को बिहार से पकड़ा था।
4 साल पहले शरजील इमाम ने जैसे इस पोस्ट में दावा किया है कि ‘उनके नौजवान’ पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाते हैं। वैसा ही नजारा 24 अक्टूबर को हुए मैच के बाद देखने को मिला था। पंजाब के संगरूर में भी कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाया था। इसी तरह कश्मीर में भी पाक के जीतने पर पटाखे फूटे जिसके बाद पुलिस ने ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया।