1984 सिख विरोधी दंगों की फाइलें फिर से खुलने वाली हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मामले को लेकर चल रही जाँच का दायरा बढ़ाते हुए यह अहम निर्णय लिया है। मंत्रालय ने स्पेशल जाँच टीम (SIT) को ऐसे सभी मामलों की फाइल्स फिर से खोलने की अनुमति दे दी है, जिनमें आरोपितों को या तो क्लीन चिट दे दी गई थी या फिर जाँच पूरी हो चुकी थी। अर्थात, अब सिख नरसंहार से जुड़े इन सभी मामलों की नए सिरे से जाँच होने की उम्मीद है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि एसआईटी उस सभी मामलों की सूची बना रही है, जिसमें फिर से ट्रायल शुरू किया जाएगा अथवा जाँच फिर से शुरू की जाएगी।
वरिष्ठ अधिकारी ने ‘द हिन्दू’ से कहा कि एसआईटी ने क़ानूनी सलाह लेने के बाद सिख नरसंहार से जुड़े उन मामलों की सूची तैयार करनी शुरू कर दी है, जिनमें आरोपितों को बरी कर दिया गया या फिर दोषमुक्त कर दिया गया। इन सभी मामलों में नए सिरे से जाँच शुरू की जाएगी। वर्ष 2015 में भाजपा के सत्ता संभालने के एक वर्ष बाद ही केंद्र सरकार ने एक एसआईटी का गठन किया था जो मुख्य रूप से दिल्ली क्षेत्र में सिखों के ख़िलाफ़ 1984 में हुई हिंसा के मामले में जाँच कर रही है।
3 सदस्यीय एसआईटी को इन दंगों से जुड़े वैसे गंभीर आपराधिक मामलों की जाँच का जिम्मा सौंपा गया था, जिनके लिए दिल्ली में मामले दर्ज किए गए थे। इसमें कई बंद मामलों को भी फिर से खोलने की बात कही गई थी। सबूत होने की स्थिति में फिर से नई चार्जशीट फाइल करने को भी कहा गया था। एसआईटी की जाँच के बाद नवंबर 2016 में एक आरोपित को फाँसी की सज़ा सुनाई गई। दिल्ली की एक अदालत ने महिपालपुर में 2 सिख युवकों की निर्मम हत्या के मामले में ये सज़ा सुनाई। इसी मामले में एक अन्य आरोपित को उम्रक़ैद की सज़ा दी गई। इस मामले को 1994 में ‘सबूत न होने’ के कारण बंद कर दिया गया था।
MHA has expanded the ambit of the probe into the 1984 anti-Sikh riots cases by enabling the SIT to reopen investigations in all the cases in which trial had been completed and the accused were discharged. SIT, former in 2015 to wind up on July 31. I report https://t.co/553MMj8YhN
— vijaita singh (@vijaita) July 2, 2019
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी के प्रतिनिधियों की बातें सुनने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जाँच का दायरा बढ़ा दिया। गृह मंत्रालय ने कहा कि 1984 सिख विरोधी दंगे के वीभत्स रूप को देखते हुए इससे जुड़े सभी ऐसे गंभीर मामलों में जाँच फिर से शुरू की जाएगी, जिसे बंद कर लिया गया था, या फिर जाँच पूरी कर ली गई थी। इस मामले में गठित एसआईटी का कार्यकाल इसी वर्ष जुलाई की अंतिम तारीख को ख़त्म होने वाला है। विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि मंत्रालय के इस निर्णय के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं।
सिरसा ने दावा किया कि कमलनाथ का नाम सामने आने के बावजूद पार्लियामेंट पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एक एफआईआर में उनका नाम शामिल नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि ये एफआईआर कमलनाथ के घर से ही दर्ज की गई थी। ये मामला भी फिर से खोला जाएगा। दिसंबर, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक रिटायर्ड जज के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था, जो सिख नरसंहार से जुड़े 186 मामलों की जाँच कर रही है। कमिटी ने इस मामले में लोगों से भी सूचनाएँ एकत्रित की थी।