जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद 5 अगस्त से ही पाकिस्तानी आवाम बौखलाई बैठी है। पिछले दिनों हमने सोशल मीडिया पर वहाँ की जनता से लेकर कलाकारों तक की टिप्पणियाँ सोशल मीडिया पर गौर की। लेकिन अब वहाँ के शीर्ष अधिकारियों की भाषा पर भी नजर डालिए, जो कश्मीर हाथ से जाने के कारण संयमित नहीं रह पा रही हैं।
वहाँ किसी नेता को भारत का ये कदम कश्मीरियों का दमन लग रहा है तो कोई नेता भारत के इस फैसले को उसका नाजीवादी चेहरा बता रहा है। किसी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीफ़ खाने वाले लोगों के साथ बीफ का निर्यात करने वाले लोगों के हत्यारे दिख रहे हैं। ऐसे अनेकों उलाहनाएँ देकर पाकिस्तानी नेता और अधिकारी इन दिनों खुद को संतुष्ट करने में लगे हुए हैं। उनमें से कुछ के बयानों पर एक नजर:-
सरकार के फैसले के बाद पाकिस्तानी सेना के आधिकारिक ट्विटर से इस संबंध में कुछ ऐसे ट्वीट आए- “फोरम पूरे तरीके से सरकार (पाकिस्तान) के साथ है और कश्मीर पर लिए गए भारत के ऐक्शन को हम नकारते हैं। पाकिस्तान ने कभी भी सालों पहले दिखावटी ढंग से आर्टिकल 370 और 35-ए के जरिए जम्मू कश्मीर को कब्जाने को मान्यता नहीं दी है। पाकिस्तान की सेना, कश्मीरियों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ उनके साथ है।”
CCC on Kashmir situation at GHQ. Forum fully supported Government’s rejection of Indian actions regarding Kashmir. Pakistan never recognised the sham Indian efforts to legalise its occupation of Jammu & Kashmir through article 370 or 35-A decades ago; …(1of2). pic.twitter.com/MlwNJTSDGa
— DG ISPR (@OfficialDGISPR) August 6, 2019
पाकिस्तान सेना के पब्लिसिटी स्टंटबाज मेजर जनरल गफूर खान भारत का फैसला आने के बाद धमकी भरे अंदाज में लिखते हैं। “यह खत्म नहीं हुआ। यह तब तक नहीं होगा जब तक कि हमारे कश्मीरियों का संघर्ष सफल नहीं हो जाता।” वह लिखते हैं कि वह कश्मीरियों के आत्मनिर्णय अधिकार के लिए किसी भी हद तक जाएँगे। एक अवैध पेपर उन्हें परेशान नहीं कर सकता।
It’s not over. It won’t be until just struggle of our Kashmiris succeeds. It will IA succeed. We will go to any extent to let them have their right to self determination. An illegal paper annexation won’t deter anyone of us. Revoking in essence gives occupied status 1947-48.
— Asif Ghafoor (@peaceforchange) August 6, 2019
पाकिस्तान सरकार के राज्य मंत्री शहरयार अफरीदी कहते हैं कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त करके भारत ने कश्मीरियों के प्रति अपने दानवीय इरादों का उदाहरण पेश किया है। इसलिए अब पाक और अन्य जिम्मेदार राज्य संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के आदेश के तहत कश्मीर के आत्मनिर्णय के अधिकार को सुनिश्चित करेंगे। भारत अपने अमानवीय अजेंडे कश्मीरियों पर नहीं थोप सकता।
#StandwithKashmir, India Revoking article 370 finally unveils their evil plans for Kashmiris, Pak & other Responsible states would ensure Kashmir’s right of self determination in spirit of UN Resolution. India cant enforce their inhuman agendas on Kashmiris.Resilience will pay IA
— Shehryar Afridi (@ShehryarAfridi1) August 5, 2019
अकसर चर्चा में रहने वाले पाकिस्तान मंत्री फवाद चौधरी हुसैन भी इसपर 6 तारीख को ट्वीट करके अपनी भड़ास निकालते हैं। अपने ट्वीट पर लिखते हैं, “मोदी सरकार कश्मीर को दूसरा फिलिस्तीन बनाना चाहती है। वह वहाँ की जनसंख्या जनसांख्यिकी में बदलाव करने के लिए बाकी लोगों को कश्मीर में बसाना चाहती है। सांसदों को तुच्छ मुद्दों पर लड़ना बंद करके भारत को खून, आँसू और पसीने से जवाब देना चाहिए। अगर जंग थोपी जाए तो हमें जंग के लिए तैयार रहना चाहिए।”
Modi Govt is trying to make Kashmir another Palestine by changing the population demography and bringing settlers into Kashmir, Parliamentarians must stop fighting on trivial issues lets respond India by blood, tears, toil and sweat, we must be ready to fight if war is imposed
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) August 6, 2019
नेशनल असेंबली के सदस्य मुराद सईद की मानें तो वो पूरी दुनिया से सवाल कर रहे हैं, “कब तक मोदी का नव-नाजी शासन सोचता है कि वो कश्मीर के हालात छिपा कर रख सकता है? कश्मीर दहाड़ के साथ गर्जना करेगा जो भारत की नींव हिला देगा।”
And for how long does the neo-nazi regime of Modi thinks he can keep Kashmir invisible? Kashmir will roar with a furore that will shake the foundations of India.#SaveKashmirFromModi
— Murad Saeed (@MuradSaeedPTI) August 8, 2019
पाकिस्तान की राजनैतिक पार्टी पीटीआई के सदस्य असद उमर अपने ट्वीट में कश्मीर में तैनात हुए 10,000 सुरक्षबलों का हवाला दे रहे हैं, पाकिस्तान में बैठकर कश्मीर में लगे कर्फ्यू पर चिंता जाहिर कर रहे हैं। फोन पर बातचीत न हो पाने का रोना रो रहे हैं। इतना ही नहीं वह गुजरात में हुए दंगों का हवाला देकर दुनिया को बता रहे हैं कि मोदी की एंट्री पहले न केवल पाकिस्तान में बल्कि यूएस और यूएन में भी बैन थी। उनका इतिहास रहा है नरसंहार को समर्थन देने का।
ये सब देख कर तो यही याद आता है: