अमेरिका की रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने हाल ही में ‘आधार’ की विश्वसनीयता के बारे में सवाल उठाए हैं। उसका कहना है कि भारत की गर्म और आर्द्र जलवायु में इसकी बायोमेट्रिक तकनीक पर असर पड़ सकता है। वहीं मोदी सरकार ने अमेरिकी एजेंसी के दावे को आधारहीन बताते हुए ख़ारिज कर दिया है।
रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा कि आधार की वजह से अक्सर सेवा अस्वीकृत हो जाती है। इस वजह से सिस्टम की सुरक्षा, गोपनीयता और सुरक्षा उपायों पर सवाल उठते हैं। हालाँकि, केंद्र सरकार ने मूडीज के इन सवालों को खारिज कर दिया है। सरकार का कहना है कि यह दुनिया की सबसे भरोसेमंद डिजिटल आईडी है। लगभग सभी भारतीय इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। मूडीज के इन दावों का भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने जोरदार खंडन किया है।
यूआईडीएआई को मूडीज का जवाब
यूआईडीएआई का कहना है कि मूडीज ने अपने दावों का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत मुहैया नहीं कराया है। एक अरब से अधिक भारतीयों ने खुद को प्रमाणित करने के लिए पिछले दशक में कुल 100 अरब से अधिक बार आधार का इस्तेमाल किया।
यूआईडीएआई का कहना है, “मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने यूआईडीएआई पर उठाए गए मुद्दों के संबंध में तथ्यों का पता लगाने की कोई कोशिश नहीं की है। रिपोर्ट में जिक्र किया एकमात्र संदर्भ यूआईडीएआई की वेबसाइट का हवाला देते हुए उसके बारे में है।”
क्रेडिट एजेंसी की रिपोर्ट में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का संदर्भ देते हुए कहा गया है कि बायोमेट्रिक तकनीक के इस्तेमाल के चलते भारत में मजदूरों को सेवा से वंचित कर दिया जाता है।
इस पर सरकार ने कहा है कि रिपोर्ट लिखने वाले को ये नहीं पता कि मनरेगा डेटाबेस में आधार की सीडिंग श्रमिकों को उनके बॉयोमेट्रिक्स के इस्तेमाल के बगैर की गई है। इसके तहत श्रमिकों को सीधे भुगतान किया जाता है।
यूआईडीएआई का दावा है कि रिपोर्ट जारी किए गए आधार कार्डों की संख्या गलत तरीके से 1.2 बिलियन बताती है, जबकि वेबसाइट जारी किए गए आधार कार्ड्स की संख्या प्राथमिकता के तौर पर अपडेट करती है।
यूआईडीएआई और पीएम नरेंद्र मोदी सरकार दोनों ने आधार प्रणाली में फिंगरप्रिंटिंग के अलावा चेहरे और आँखों की पुतली की पहचान सहित प्रमाणीकरण के कई तरीकों पर जोर दिया है।
उन्होंने यह भी जिक्र किया कि मोबाइल फोन के जरिए वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) कई सेवाओं के लिए उपलब्ध हैं। ये यूजर को एक सेफ मैकेनिज्म मुहैया करवाता है। ये फ़ेल-सेफ़ इस तरह से बनाया गया है कि अगर उसका कोई हिस्सा गलत हो जाए तो भी कुछ भी खतरनाक नहीं हो सकता।
आईटी मंत्रालय का भी एतराज
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने भी मूडीज की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है। मंत्रालय ने दावा किया कि उसकी रिपोर्ट प्राईमरी और सेकेंडरी डेटा के साथ अपनी राय की पुष्टि किए बगैर तैयार की गई थी।
मंत्रालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आधार पर एक अरब से अधिक भारतीयों का भरोसा ये गवाही देने के लिए काफी है की कि ये प्रणाली विश्वसनीय है। यहीं नहीं आईएमएफ और विश्व बैंक सहित कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने आधार की भूमिका की सराहना की है।
इसके साथ ही दुनिया के कई देशों ने भारत की तरह इस डिजिटल आईडी सिस्टम को अपने देश में भी लागू करने के लिए यूआईडीएआई से संपर्क साधा है। मूडीज़ ने इस सिस्टम के केंद्रीकरण के बारे में फिक्र जताई थी।
इसे लेकर यूआईडीएआई और मंत्रालय ने साफ कहा है कि आज तक आधार डेटाबेस के उल्लंघन की कोई सूचना नहीं मिली है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आधार का ऑर्किटेक्चर अत्याधुनिक सुरक्षा उपायों से मजबूत है।
इसके साथ ही इसका सिस्टम आईएसओ 27001:2013 और आईएसओ 27701:2019 जैसे वैश्विक सुरक्षा और गोपनीयता मानकों पर काम करता है।
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— Digital India (@_DigitalIndia) September 9, 2023
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जी-20 में आधार का जिक्र
दरअसल, सरकार ने हालिया जी-20 ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर फाइनेंशियल इनक्लूजन (जीपीएफआई) रिपोर्ट का हवाला दिया। इसमें जिक्र किया गया है कि जन धन बैंक खातों और मोबाइल फोन के साथ-साथ आधार ने भारतीय एडल्ट्स के बीच लेनदेन खातों के स्वामित्व में काफी बढ़ोतरी की है। आधार की वजह से ये बढ़ोतरी हुई है वरना इसमें लगभग आधी शताब्दी लग सकती थी।
यूआईडीएआई और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय दोनों ने मूडीज की आधार के खिलाफ की गई आलोचनाओं को निराधार बताया है। उनका कहना है कि आधार एक बेहद सुरक्षित और विश्वसनीय प्रणाली है। इसकी विश्वसनीयता को बड़ी संख्या में भारतीयों के साथ ही दुनिया ने भी स्वीकार किया है।