Sunday, July 20, 2025
Homeदेश-समाजरो रही है अटरली बटरली डिलीशियस 'अमूल गर्ल', नहीं रहे 'जनक': ट्विटर पर झर-झर...

रो रही है अटरली बटरली डिलीशियस ‘अमूल गर्ल’, नहीं रहे ‘जनक’: ट्विटर पर झर-झर बहते आँसुओं वाली तस्वीर वायरल

जयेन मेहता ने कहा मुंबई में दाकुन्हा कम्युनिकेशंस के अध्यक्ष सिल्वेस्टर के निधन से वह बहुत दुखी है। सिल्वेस्टर दाकुन्हा ने 1966 में जीसीएमएमएफ के स्वामित्व वाले ब्रांड अमूल के लिए 'अटरली बटरली' अभियान की कल्पना की, जिसने 'अमूल गर्ल' को दुनिया के सामने पेश किया जो आज भी जारी है।

विज्ञापन की दुनिया में अमूल गर्ल को दुनिया के सामने पेश करने वाले सिलवेस्टर दा कुन्हा (80) का निधन हो गया है। इंडियन डेरी एसोसिएशन के आर एस सोढी ने अमूल गर्ल की उदास बैठी फोटो शेयर की जिसमें उसके आँसू भी निकल रहे हैं। वहीं गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी।

जयेन मेहता ने कहा मुंबई में दाकुन्हा कम्युनिकेशंस के अध्यक्ष सिल्वेस्टर के निधन से वह बहुत दुखी है। सिल्वेस्टर दाकुन्हा ने 1966 में जीसीएमएमएफ के स्वामित्व वाले ब्रांड अमूल के लिए ‘अटरली बटरली’ अभियान की कल्पना की, जिसने ‘अमूल गर्ल’ को दुनिया के सामने पेश किया जो आज भी जारी है।

हर्षा भोगले ने सिल्वेस्टर के निधन पर कहा कि भारतीय विज्ञापनों की विशाल संख्या में सिल्वेस्टर दाकुन्हा जैसे लोगों की पीढ़ी ने विज्ञापन का बीज मेरे दिमाग में बोया। उन्होंने इंडस्ट्री को और समृद्ध बनाया। मुझे ये देखकर खुशी है कि उनका प्रतिभाशाली बेटा राहुल दा कुन्हा परंपरा जारी रख रहा है।

बता दें कि वर्तमान में सिल्वेस्टर दाकुन्हा के बेटे राहुल दाकुन्हा अब अपने पिता द्वारा शुरू की गई विज्ञापन कंपनी को संभाल रहे हैं। उनके पिता ने 1966 में अमूल गर्ल का विज्ञापन देकर अमूल ब्रांड को देश-विदेशों में पहचान दिलाई थी। ये विज्ञापन दुनिया में सबसे लंबे समय तक लगातार चलने वाले विज्ञापन में से एक हैं।

इसी एड की बदौलत गुजरात की कंपनी ने विदेशों तक अपनी पहुँच बनाई। उनके अमूल गर्ल कैंपेन के साथ एक वन लाइनर भी खूब मशहूर हुआ- जो कि ‘अटर्ली-बटर्ली अमूल’ था। लोगों के दिमाग में अमूल कंपनी की छाप ही अमूल गर्ल से साथ बस गई। आप आमूल के कुछ पुराने विज्ञापन नीचे वीडियो में देख सकते हैं:

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ब्रेनवॉश, हिंदुओं का धर्मांतरण, लड़कियों की खरीद-फरोख्त…विदेशी फंडिंग और करोड़ों की संपत्ति: पढ़ें- गिरोह के सरगना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर के गुनाहों का काला...

यूपी के बलरामपुर में छांगुर पीर के धर्मांतरण नेटवर्क का कैसे हुआ खुलासा, कौन-कौन शामिल थे, कहाँ-कहाँ से फंडिंग मिलती थी, कितने बैंक अकाउंट थें, जानें सब कुछ।

हिंदुओं की घट रही संख्या, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में बढ़ रही मुस्लिम-ईसाई आबादी: जनसंख्या के आँकड़ों को कैसे बदल रहा है ये...

पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में रहने वाले लोग भी अपने आसपास बदलाव के साक्षी हैं। यहाँ तक कि स्थानीय राजनीति में भी बदलाव आया है
- विज्ञापन -