Sunday, December 22, 2024
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ट्रंप का अकाउंट बैन किए जाने के बाद ट्विटर के स्टॉक में गिरावट, फैसले पर दुनिया भर में उठे थे सवाल

अकाउंट सस्पेंड करने के बाद ट्विटर ने कहा था, “डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट के हालिया ट्वीट को देखने के बाद हमने उनके अकाउंट को स्थायी रूप से हिंसा को और भड़काने के जोखिम को देखते हुए सस्पेंड कर दिया है।”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट शुक्रवार को (जनवरी 9, 2021)  बैन करने के बाद ट्विटर के शेयर सोमवार (जनवरी 11, 2021) को 10 फीसदी तक गिर गए। धीरे-धीरे इस नुकसान की रिकवरी हुई, लेकिन पूर्ण रूप से भरपाई अभी तक नहीं हुई है। 10 फीसद का नुकसान खबर लिखने तक 7.42 प्रतिशत रह गया था।

Twitter shares stumbled on Monday

ट्विटर द्वारा साझा किए गए ग्राफ में हम सोमवार को अचानक गिरे शेयर्स की तस्वीर साफ देख सकते हैं।

The fall in prices of Twitter shares was steep

 

बता दें कि शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट सस्पेंड करने के बाद ट्विटर ने कहा था, “डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट के हालिया ट्वीट को देखने के बाद हमने उनके अकाउंट को स्थायी रूप से हिंसा को और भड़काने के जोखिम को देखते हुए सस्पेंड कर दिया है।”

उनके अकाउंट निलंबन पर कई लोगों ने आपत्ति जाहिर की थी। जर्मनी चांसलर के प्रवक्ता ने इस निर्णय को समस्याग्रस्त बताया था। प्रवक्ता स्टीफन सीबेरट के अनुसार, “मौलिक अधिकारों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किया जा सकता है, लेकिन कानून के अनुसार और विधायकों द्वारा परिभाषित ढाँचे के अंतर्गत, न कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के प्रबंधन द्वारा लिए एक निर्णय के अनुसार।” उन्होंने कहा कि चांसलर इस को बेहद समस्याग्रस्त मानते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति के अकाउंट को स्थायी रूप से ब्लॉक कर दिया गया।

इसी प्रकार वामपंथी मैक्सिकन राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर (Andres Manuel Lopez Obrador) तक ने इस पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा, “आप किसी को सेंसर कैसे कर सकते हैं?” उन्होंने सवाल किया कि हम किसी को दंड कैसे दे सकते हैं वो भी सिर्फ़ इस आधार कि हमें लगता है कि सामने वाले ने गलत किया है। आखिर इस बीच कानून कहाँ है? रेगुलेशन्स कहाँ है? मानदंड कहाँ है? यह सरकार से संबंधी मुद्दा है। ये निजी कंपनियों का कोई मुद्दा नहीं है।

भाजपा के युवा नेता तेजस्वी सूर्या ने भी इस पर लिखा, “यह उन सब लोगों के लिए सजग होने का समय है जो अब तक नहीं समझते हैं कि ये अनियंत्रित बड़ी टेक कंपनियाँ हमारे लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। यदि वे POTUS (अमेरिका के राष्ट्रपति) के साथ ऐसा कर सकती हैं तो किसी के साथ भी ऐसा कर सकती हैं। हमारे लोकतंत्र के बेहतरी के लिए भारत जल्द ही इन कंपनियों से जुड़े नियमों की समीक्षा करे।” 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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