अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर शेयरों की कीमत में हेरफेर का आरोप लगाया था। लेकिन अमेरिका ने अब इन आरोपों को निराधार बताया है। साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि वह भारतीय कंपनी को श्रीलंका में बंदरगाह बनाने के लिए 553 मिलियन डॉलर (करीब ₹4500 करोड़ रुपए) भी देगा।
अमेरिका से क्लीनचिट मिलने का असर 5 दिसंबर 2023 को अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी तेजी के तौर पर भी देखी गई। तीन दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के अगले दिन जब बाजार खुले थे तो सेंसेक्स और निफ्टी अब तक के अपने सर्वोच्च स्तर पर भी पहुँच गए थे।
गौरतलब है कि जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने भारतीय कारोबारी अडानी समूह पर आरोप लगाए थे कि वह अवैध तरीके से अपने शेयर के दाम बढ़ा रहा है और कई जगह पर पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर रहा है। अडानी समूह पर इतिहास का सबसे बड़ा गड़बड़झाला करने का आरोप लगाया था। इसके पश्चात भारत में भी विपक्ष ने अडानी समूह पर काफी हल्ला मचाया था।
लेकिन अमेरिकी सरकार के इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन ने अपनी जाँच में इन आरोपों को निराधार पाया है। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी अधिकारियों का यह भी कहना है कि हिंडनबर्ग के आरोपों का कोई असर अडानी पोर्ट्स में निवेश पर नहीं पड़ेगा। अडानी समूह की यही कम्पनी श्रीलंका में नए पोर्ट के विकास का प्रोजक्ट देख रही है। इसके विकास के लिए अमेरिकी सरकार ने 553 मिलियन डॉलर (लगभग ₹4.5 हजार करोड़) के निवेश की बात कही है।
अडानी समूह कोलम्बो बंदरगाह पर एक नए टर्मिनल पोर्ट का निर्माण कर रही है। इस टर्मिनल का लक्ष्य बढ़ती अर्थव्यस्थाओं की तरफ जाने वाले समुद्री यातायात को बढ़ावा देना है। इससे इस क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव भी बढ़ेगा। गौरतलब है कि श्रीलंका में प्रभाव को लेकर भारत और चीन आमने-सामने रहे हैं।
अमेरिका भारत के समर्थन में है। इसी के चलते पिछले माह अमेरिका के IDFC ने अडानी समूह को 553 मिलियन डॉलर का नया कर्ज देने की घोषणा की थी। अडानी के यह पोर्ट विकसित करने से जहाँ भारत और अमेरिका को रणनीतिक बढ़त मिलेगी, वहीं श्रीलंका की बिगड़ी आर्थिक हालत भी सुधरेगी।