पाकिस्तानी मूल के ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर उस्मान ख्वाजा को आईसीसी ने आईना दिखाते हुए उसकी अपील को खारिज कर दिया। आईसीसी ने कहा कि उसकी अपील सुनने लायक भी नहीं है। दिसंबर माह में पाकिस्तान के खिलाफ हुए टेस्ट मैच में बिना अनुमति बाँह पर काली पट्टी लगाने के मामले में ख्वाजा को रेफरी ने आधिकारिक तौर पर ‘डाँट’ लगाई थी। ऐसे मामले में अधिकतम सजा यही होती है। उस्मान ख्वाजा ने कहा था कि वो आईसीसी से इस ‘सज़ा’ के विरोध में अपील करेंगे, लेकिन ICC ने उनकी अपील पाते ही खारिज कर दी।
‘सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने उस्मान ख्वाजा की अपील को सुनवाई लायक ही नहीं माना कि इस पर आगे कोई बातचीत की जा सके। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया पर्थ में पाकिस्तान के खिलाफ पहले टेस्ट के दौरान मैदान पर काली पट्टी पहनने के लिए उस्मान ख्वाजा को आईसीसी ने फटकार लगाई थी। आईसीसी ने उनके खिलाफ प्रतिबंध हटाने की अपील को खारिज कर दी है। आईसीसी ने कहा कि नियमों को मानना ही पड़ेगा।
बता दें कि पर्थ टेस्ट के बाद पहले मुस्लिम ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर उस्मान ख्वाजा को आईसीसी ने कपड़े और उपकरण विनियमों के खंड एफ का उल्लंघन करने के लिए फटकारा था। उस्मान ख्वाजा ने कहा था कि वो आगे से ऐसा नहीं करेंगे, लेकिन इस ‘डाँट’ वाली सजा को हटाने के लिए अपील करेंगे। बता दें कि आईसीसी के नियमों के अनुसार, खिलाड़ी अपने कपड़ों या उपकरणों पर किसी भी व्यक्तिगत संदेश को प्रदर्शित करने से पहले क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और आईसीसी से अनुमति लेना आवश्यक है। ख्वाजा ने ऐसा नहीं किया, इसलिए आईसीसी ने उन्हें फटकार लगाई है।
गौरतलब है कि उस्मान ख्वाजा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था और वह ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले पहले मुस्लिम हैं। उन्होंने बिना हमास की हरकत को देखे उस इजरायल का विरोध कर दिया, जिसने आतंकी संगठन हमास के खात्मे को अपना मकसद और इस युद्ध को अपने वजूद का सवाल बताया है।
इससे पहले, पाकिस्तान के खिलाफ पर्थ में हुए टेस्ट मैच से पहले की प्रैक्टिस में उन्होंने अपने जूते के निचले हिस्से पर कई रंगों से लिखा था, “सभी जिंदगियाँ बराबर हैं। (All Lives Are Equal) और आजादी लोगों का अधिकार है (Freedom is Human Right)।” इस पर भी काफी विवाद हुआ था। तब, आईसीसी ने उन्हें चेतावनी दी कि वो ऐसे जूता नहीं पहन सकते। इसके विरोध में उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट लिखी और कहा कि वो आईसीसी से इस बारे में बात करेंगे।
हालाँकि, पर्थ टेस्ट में वो विवादित जूते तो पहनकर मैदान में नहीं उतरे, लेकिन उन्होंने बिना अनुमति के ही बाँह पर काली पट्टी बाँधी। इसके बाद पड़ी फटकार के मामले में फिर से उन्हें झटका ही मिला है।