Wednesday, November 6, 2024
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‘राम-हनुमान’ स्लोगन को हटवाने के आरोप पर वसीम जाफर ने कहा – ‘मामले को बनाया जा रहा सांप्रदायिक’

"आरोप बेहद निराशाजनक हैं। इससे बदतर और कुछ नहीं हो सकता है। यह आरोप सांप्रदायिक हैं और पूरे मामले को सांप्रदायिक एंगल दिया जा रहा है।"

उत्तराखंड टीम के स्लोगन ‘राम भक्त हनुमान की जय’ को नकारने और कैम्प में मौलवियों को बुलाने का आरोप लगने पर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी वसीम जाफर ने बयान जारी किया है। यह बयान उत्तराखंड क्रिकेट संघ (CAU) के मुख्य पद कोच के पद से इस्तीफ़ा देने के बाद सामने आया है

‘मुस्लिम’ खिलाड़ियों को तरजीह देने के आरोपित वसीम जाफर ने उत्तराखंड क्रिकेट टीम का साथ ऐसे समय पर छोड़ा है, जब विजय हजारे ट्राफ़ी को कुछ ही दिन बचे रह गए हैं। कोच के पद पर रहते हुए 45 लाख रुपए प्रति सत्र फ़ीस लेने वाले वसीम जाफर ने निराशा जाहिर की है।

उन्होंने इस्तीफ़े पर हो रही चर्चाओं को लेकर कहा कि टीम के खिलाड़ी उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं लेकिन उन्हें इस मौके से वंचित रखा जा रहा है। इसकी इकलौती वजह है खिलाड़ियों के चयन को लेकर लगाए गए पक्षपात के आरोप। इसके अलावा वसीम ने कहा कि इस तरह के आरोप बेहद निराशाजनक हैं, इससे बदतर और कुछ नहीं हो सकता है। यह आरोप सांप्रदायिक हैं और पूरे मामले को सांप्रदायिक एंगल दिया जा रहा है। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक़ वसीम जाफर ने सचिव महिम वर्मा और मुख्य चयनकर्ता रिज़वान शमशाद के साथ विवाद के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दिया था। उन्हें उत्तराखंड क्रिकेट टीम का सीनियर कोच बनाया गया था, उन्होंने महिम पर टीम के चयन में हस्तक्षेप करने के आरोप लगाए थे। हालाँकि महिम ने भी वसीम पर कई हैरान करने वाले आरोप लगाए थे।

BCCI के पूर्व उपाध्यक्ष महिम के मुताबिक़ वसीम जाफर अक्सर CAU के अधिकारियों से लड़ते थे। इसके अलावा मज़हबी गतिविधियों को आधार बना कर टीम को तोड़ने का प्रयास करते थे। महिम के मुताबिक़, टीम के चयन के मुद्दे पर वसीम को पूरा समर्थन किया गया था, उन्हें पूरी छूट दी गई थी। लेकिन वो इक़बाल अब्दुल्ला, समद सल्ला और जय बिष्टा को बतौर गेस्ट खिलाड़ी लेकर आए। इतना ही नहीं कुणाल चंदेला की जगह इक़बाल को टीम का कप्तान बना दिया।

हाल ही में मुश्ताक अली ट्रॉफी में उत्तराखंड का प्रदर्शन काफी खराब रहा था, टीम 5 में से 4 मैच हार गई थी। वसीम जाफर टीम के कैम्प के दौरान मौलवियों को बुलाते थे। कैम्प के दौरान आयोजन स्थल पर तीन मौलवियों को बुलाया गया था।     

रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पहले उत्तराखंड टीम का स्लोगन ‘राम भक्त हनुमान की जय’ हुआ करता था लेकिन जफ़र वसीम ने इसे धार्मिक बताते हुए बदल दिया था। इसके बाद अधिकारियों ने ‘उत्तराखंड की जय’ का सुझाव दिया था तो इसमें भी वसीम ने ‘जय’ शब्द पर आपत्ति जताई थी। आखिरकार उन्होंने अपनी मर्ज़ी के अनुसार टीम का स्लोगन ‘गो उत्तराखंड’ रख दिया था। इसके अलावा वसीम पर यह भी आरोप हैं कि उन्होंने कई मुस्लिम खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए, अच्छे खिलाड़ियों को महत्व देना बंद कर दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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