Monday, December 23, 2024
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जब तक घर-सड़कों पर न दिखे मगरमच्छ, मॉनसून लगता आधा-अधूरा: विश्वामित्र नदी है आशियाना, इसलिए बाढ़ आते ही वडोदरा भ्रमण पर निकल जाते हैं जलचर

वडोदरा शहर को दो भागों में बाँटने वाली विश्वामित्र नदी के 17 किलोमीटर के दायरे में 300 से अधिक मगरमच्छ रहते हैं। आखिरी बार मगरमच्छों की गिनती साल 2020 में की गई थी और उस वक्त इनकी संख्या 275 थी।

गुजरात के वडोदरा में पिछले दिनों बाढ़ के कारण स्थिति बेहद खराब रही। लोग जहाँ अपने जान बचाने के लिए सड़कों पर निकलने से बच रहे थे वहीं सड़क पर मगरमच्छ दिख रहे थे। ये नजारा विश्वामित्र नदी में पानी कम होने के बाद देखने को मिला। इसके बाद इन मगरमच्छों को बचाने के लिए तुरंत अभियान चलाया गया और इन्हें इनके सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया।

जब ऑपइंडिया ने वडोदरा वन विभाग के रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर करण सिंह राजपूत से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में बनी बाढ़ की स्थिति से लेकर 29 अगस्त, 2024 तक वडोदरा से 14 से अधिक मगरमच्छों को बचाया गया है। पानी घटते समय भी वन विभाग और स्थानीय गैर सरकारी संगठनों की मदद से आज अधिकतम 7 मगरमच्छों को बचाया गया।

चार दिन में 14 मगरमच्छों का रेस्क्यू

करण सिंह ने बताया इन 14 मगरमच्छों को 4 दिन के भीतर रेस्क्यू किया गया। सबसे लंबा मगरमच्छ कारेलीबाग का था, जो करीब 15 फीट लंबा था। उनसे जब पूछा गया कि कैसे ये मगरमच्छ और वडोदरावासी साथ रह लेते हैं और फर्क भी नहीं पड़ता। इस पर करण सिंह ने बताया- “वडोदरा में करुणा अभियान के साथ हमारे 1300 स्वयंसेवक पंजीकृत हैं, जो विभिन्न प्राणियों और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम करते हैं। फिलहाल 15 से 20 ऐसे एनजीओ बाढ़ की स्थिति में ग्राउंड पर हैं। सभी एनजीओ में 50-60 लोग सेवा दे रहे हैं और वे सभी लोग हमारे साथ जुड़ गए हैं। आप कह सकते हैं कि वडोदरा के लोग मगरमच्छों के बारे में इतने जागरूक हैं कि इन दोनों प्रजातियों के बीच घर्षण नगण्य हो जाता है।

इसी तरह चारुण सिंह ने बताया कि सिर्फ मगरमच्छ ही नहीं, करीब 70 साँपों को भी सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया है। उनके मुताबिक वडोदरा वन विभाग बाढ़ से पहले ही हर तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार था। विभाग ने पर्याप्त मगरमच्छ पकड़ने वाले पिंजरे, परिवहन वाहन और अन्य सभी तैयारियाँ की थीं।

आगे ऑपइंडिया के जरिए उन्होंने वडोदरावासियों से भविष्य में सावधान रहने को भी कहा, क्योंकि जैसे-जैसे पानी घटेगा, मगरमच्छ बाहर आएँगे। उन्होंने मगरमच्छ या किसी वन्यजीव बचाव या आपातकालीन स्थिति के लिए 9429558883 या 9429558886 पर संपर्क करने को भी कहा।

विश्वामित्र नदी मगरमच्छों का घर क्यों है?

अब सवाल यह भी आता है कि विश्वामित्र नदी में ही इतने सारे मगरमच्छ क्यों हैं? गुजरात में और भी कई नदियाँ हैं, उनमें इतने मगरमच्छ क्यों नहीं? इस सवाल के जवाब में जिला वन विभाग के आरएफओ करण सिंह कहते हैं, “विश्वामित्र नदी को मगरमच्छों का गढ़ कहा जा सकता है। वडोदरा शहर की भौगोलिक स्थिति और मगरमच्छों के लिए विश्वामित्र नदी की उपयुक्तता भी इसके लिए जिम्मेदार है। शहर के बीच से बहने वाली नदी इतनी गहरी है कि यह मगरमच्छों के लिए आसान आश्रय बन जाती है। वहीं एक वजह मध्य गुजरात की जलवायु भी है, जो मगरमच्छों के प्रजनन के लिए काफी अनुकूल है। ये मीठे पानी के मगरमच्छ हैं और विश्वामित्र नदी का संरक्षित विस्तार उनके प्रजनन और अंडे देने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।”

विश्वामित्र नदी का विस्तार मगरमच्छों के लिए अनुकूल (साभार: BBC)

विश्वामित्र नदी में रहने वाले मगरमच्छों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “नर और मादा मगरमच्छों का प्रजनन काल गर्मी के दिनों की शुरुआत के साथ शुरू होता है। मई में मादा मगरमच्छ जमीन में गड्ढा खोदती है और उसमें अपने अंडे देती है। गहरे पेड़ों और वनस्पतियों से आच्छादित नदी तल मगरमच्छ के अंडे बढ़ने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। दूसरी ओर, विश्वामित्री नदी गहरी होने के कारण मगरमच्छों के लिए पर्याप्त भोजन भी उपलब्ध कराती है। कुछ स्थानों के अलावा जहाँ नदी का पानी सूख जाता है, नदी के कई हिस्से ऐसे हैं जहाँ गहरा पानी है, जहाँ मगरमच्छ रहते हैं, जहाँ उन्हें पर्याप्त मात्रा में भोजन मिल सकता है। इस प्रकार विश्वामित्री नदी के विस्तार को जाल लगाकर प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन कभी-कभी यदि मवेशी इस क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं, तो मगरमच्छ उन्हें भी मार देते हैं।”

विश्वामित्र नदी में कितने मगरमच्छ रहते हैं

जून में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार , वडोदरा शहर को दो भागों में बाँटने वाली विश्वामित्र नदी के 17 किलोमीटर के दायरे में 300 से अधिक मगरमच्छ रहते हैं। आखिरी बार मगरमच्छों की गिनती साल 2020 में की गई थी और उस वक्त इनकी संख्या 275 थी। यह जानकर आश्चर्य होता है कि एक शहर के बीच में इतने सारे मगरमच्छ रहते हैं।

वडोदरा के विश्वामित्री में एक मगरमच्छ की दलदली प्रजाति पाई गई

गौरतलब है कि ये सिर्फ विश्वामित्र नदी के बारे में है। बाकी भौगोलिक स्थिति के अनुसार, नदी को मुख्य रूप से अजवा झील से पानी मिलता है और झील बहुत सारे मगरमच्छों का घर भी है। इसके अलावा वडोदरा के आसपास जंबुवा और देव नदियों में भी मगरमच्छों की अच्छी संख्या है। हाल ही में वाघोडिया तालुका के गुटल गाँव में मगरमच्छ के हमले का मामला सामने आया था। विश्वामित्र नदी में सुलभता के कारण मगरमच्छों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह भी कहा जाता है कि विश्वामित्र नदी में हर एक किलोमीटर के दायरे में 6 से अधिक मगरमच्छ रहते हैं।

कुल प्रजातियाँ कितनी

दुनिया में मगरमच्छों की कुल 23 प्रजातियाँ हैं, जिनमें से तीन भारत में पाई जाती हैं। खारे पानी के मगरमच्छ और मीठे पानी के मगरमच्छ के बीच भी अंतर हैं। हमारे वडोदरा में पाई जाने वाली मगरमच्छ की प्रजाति को ‘मार्श मगरमच्छ’ कहा जाता है। इस प्रजाति के मगरमच्छों को खुर वाले शिकारी के रूप में जाना जाता है। उन्हें अपने पैरों से शिकार का पीछा करने और उसे पकड़ने की कला में महारत हासिल है। चूँकि दलदली मगरमच्छ के जबड़े उलटे व्यवस्थित होते हैं, एक बार जब शिकार इसके जबड़ों में फंस जाता है तो उसका बचना असंभव होता है। इस मगरमच्छ की काटने की शक्ति तीन टन है।

शिकार करते समय दलदली मगरमच्छ छोटी दूरी तक 8 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकते हैं। वह जितनी तेजी से दौड़ सकता है या चल सकता है, उतनी ही तेजी से वह तैर भी सकता है। दलदली मगरमच्छ 10 से 12 मील प्रति घंटे की गति से तैर सकते हैं, और कुछ मामलों में इससे भी तेज़। मार्श मगरमच्छ प्रजाति के मगरमच्छों को मध्यम आकार की प्रजाति माना जाता है। इन मगरमच्छों की लंबाई 8 से 15 फीट तक होती है।

अगर हम इनके जीवन काल की बात करें तो मगरमच्छों का जीवन काल आमतौर पर 50 से 80 साल तक होता है। इसका प्रजनन काल सर्दी की समाप्ति और गर्मियों में गर्मी की शुरुआत के साथ शुरू होता है। गर्मी की शुरुआत के साथ, वे नदी के तल और कुछ मामलों में बिलों में अपने अंडे देते हैं। मानसून की शुरुआत में अंडों से उनके बच्चे निकलते हैं और बड़ा आकार लेते हैं।

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Krunalsinh Rajput
Krunalsinh Rajput
Journalist, Poet, And Budding Writer, Who Always Looking Forward To The Spirit Of Nation First And The Glorious History Of The Country And a Bright Future.

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