भारतीय कानूनी एजेंसियों के डर से भागने वाला इस्लामी कट्टरपंथी जाकिर नाइक अक्सर विवादित और मजहबी टिप्पणियाँ करता रहता है। फ़िलहाल उसका एक वीडियो सोशल मीडिया में चर्चा में बना हुआ है। यह वीडियो अप्रैल 2019 का है। इसमें वह अदेल अहमद नाम के युवक को ‘पाप’ करने पर चेता रहा है।
अहमद की गलती यह थी कि उसने अपने दोस्तों को ‘मैरी क्रिसमस’ (Merry Christmas) कहा था। अहमद जिस देश का (यूनाइटेड किंगडम) निवासी है, वहाँ की बहुसंख्यक आबादी ईसाई है और इस मौके पर बधाई देना पूरी दुनिया में बेहद आम है। लेकिन कट्टरपंथी नाइक के मुताबिक़ ऐसा करना इस्लाम के उसूलों से बग़ावत करने जैसा है।
वीडियो में कट्टरपंथी जाकिर कहता है, “अपने उद्देश्य तक पहुँचने के लिए तुम गलत ज़रिया नहीं चुन सकते हो। जो उनके लिए हराम है वह तुम्हारे लिए भी हराम है। जब तुम किसी को मैरी क्रिसमस कहते हुए इसकी बधाई देते हो तो इसका मतलब है कि तुम स्वीकार कर रहे हो कि वो (जीसस) भगवान की संतान है और ऐसा करना शिर्क (पाप) है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहाँ के लोग मानते हैं कि जीसस क्राइस्ट भगवान की संतान हैं। चाहे वह ईसाई धर्म से जुड़ी प्रक्रियाओं का हिस्सा हों या नहीं, वो लोग इसलिए ख़ुशी मनाते हैं क्योंकि यह जीसस का जन्मदिन है।”
‘मैरी क्रिसमस’ की बधाई देना 100 फ़ीसदी गलत: जाकिर नाइक
जाकिर का मानना है कि अल्लाह ने यह दुनिया बनाई है, इसलिए अल्लाह के अलावा किसी की भी इबादत करना (जीसस क्राइस्ट की भी) हराम है। इसके बाद इस्लामी कट्टरपंथी कहता है कि क्या ईसाई समुदाय के लोग पूरी बाइबिल में ऐसा हिस्सा दिखा सकते हैं, जहाँ जीसस ने खुद कहा हो कि वह ईश्वर की संतान है। क्रिसमस पर अपनी बात दोहराते हुए जाकिर नाइक कहता है, “क्या मैरी क्रिसमस कहना गलत है? मैं तुम्हें बता रहा हूँ ये सरासर गलत है! मेरे हिसाब से ये 100 फ़ीसदी गलत है।”
जाकिर का दावा ‘तुम अपने लिए जहन्नुम में जगह बना रहे हो’
अपनी जहरीली बातों को आगे बढ़ाते हुए कट्टरपंथी जाकिर कहता है, “अगर तुम्हें नहीं पता कि क्रिसमस की बधाई देने का क्या मतलब है और तुम ऐसा कर रहे हो तो शायद अल्लाह माफ़ कर दे। अगर तुम पेप्सी को शराब समझ कर पी लेते हो तो शायद अल्लाह तुम्हें माफ़ कर दे। लेकिन अगर तुम क्रिसमस के बारे में जानते हुए भी संबंध बनाने की कोशिश में लगे हुए हो तब तुम जहन्नुम में अपने लिए जगह बना रहे हो। अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए गलत ज़रिया मत अपनाना, तुम्हें कुरान और सुन्नाह (पैगंबर मोहम्मद के जीवन पर आधारित साहित्य) के रास्ते पर चलना होगा।”
जाकिर नाइक और उसके जहरीले बोल
इसके पहले एक ‘मुसलमान भाई’ ने पूछा था कि क्या भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में एक मुस्लिम नौकरशाही का हिस्सा बन सकता है। इसके जवाब में जाकिर ने कहा, “यदि तुम दीन (मजहब) का पालन कर सकते हो तो स्वीकार्य है, अन्यथा नहीं।” इसके बाद समुदाय विशेष के एक अन्य शख्स ने पूछा कि क्या उनके लिए IAS बनना संभव है? इस्लामिक उपदेशक ने इसका जवाब देते हुए कहा, “यह असंभव नहीं है लेकिन मुश्किल है।” इस धारणा के तहत कि एक समुदाय विशेष का IAS अधिकारी निश्चित रूप से अपने सहकर्मियों से भयभीत होगा, नाइक ने कहा, “जब वे आप पर, इस्लाम पर या पैगंबर पर हमला करते हैं, तो क्या आप उन्हें वापस जवाब दे सकते हैं? क्या आपके पास जवाब देने की हिम्मत है? यदि आप डरपोक और शर्मीले हैं, तो ऐसी नौकरी न करें। यदि आप उन्हें जवाब दे सकते हैं और बोल्ड हैं, तो इसके साथ आगे बढ़ें।”
कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के लिए इस तरह के दावे करना कोई नई बात नहीं है। एक बार उसने कहा था कि “समुदाय विशेष का पक्ष लेने” और “दमनकारियों के बदसूरत चेहरे को दिखाने” के उनके नेक प्रयासों के बावजूद, NDTV के स्टार पत्रकार रवीश कुमार को ‘जन्नत’ में जगह नहीं मिलेगी। गैर-इस्लामी दिल के कितने भी अच्छे क्यों न हों, उन्हें जाना नरक में ही है।