Covid-19 के संक्रमण की दूसरी लहर ने देश में चिंता का माहौल बना दिया है। विभिन्न राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी दबाव या रहा है लेकिन संक्रमित मरीजों के लिए अति आवश्यक ऑक्सीजन की कमी प्रमुख चिंता का विषय है। इस कमी से निपटने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों में एक नाम आईआईटी बॉम्बे का भी जुड़ गया है। देश में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए आईआईटी बॉम्बे ने एक समाधान दिया है। यह समाधान है नाइट्रोजन जनरेटर को ऑक्सीजन जनरेटर में बदलने का।
IIT Bombay demonstrates conversion of Nitrogen generator to Oxygen generator: A simple and fast solution for the current oxygen crisis. We request various government authorities, NGOs, and private companies to contact Prof. Milind Atrey ([email protected]). pic.twitter.com/etSdJi6ZQi
— IIT Bombay (@iitbombay) April 29, 2021
भारत के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक आईआईटी बॉम्बे के शोध एवं विकास (R&D) के डीन मिलिंद आत्रेय के नेतृत्व में तकनीकी संस्थान ने नाइट्रोजन जनरेटर को ऑक्सीजन जनरेटर में बदलने की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया। संस्थान के अनुसार वर्तमान ऑक्सीजन संकट के लिए यह एक सरल एवं तीव्र प्रक्रिया है। संस्थान ने सरकारी प्राधिकरणों, एनजीओ और निजी कंपनियों को साथ आने का अनुरोध किया है जिससे इस तकनीकि पर कार्य किया जा सके।
क्या है प्रक्रिया
आईआईटी बॉम्बे के द्वारा बताया गया कि विभिन्न उद्योगों में स्थित नाइट्रोजन प्लांट वातावरण से ही नाइट्रोजन ग्रहण करते हैं। इन नाइट्रोजन प्लांट्स को ऑक्सीजन जनरेटर में बदला जा सकता है। इस प्रक्रिया में मात्र मॉलेक्युलर फिल्टर्स में बदलाव किया जाता है। इसके लिए प्रेशर स्विंग एडसॉरप्शन (PSA) नाइट्रोजन प्लांट्स के मॉलेक्युलर फिल्टर्स में उपस्थित कार्बन के स्थान पर जिओलाइट का उपयोग किया जाता है, जिससे PSA नाइट्रोजन प्लांट PSA ऑक्सीजन प्लांट में बदल जाता है।
संस्थान की विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस पूरे प्रयोग के लिए मात्र 3 दिन में ही सेटअप को स्थापित किया गया, जो नए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने में लगने वाले समय की तुलना में काफी कम है। इस सेटअप से 3.5 एटमॉस्फेरिक प्रेशर पर ऑक्सीजन का उत्पादन हो सकता है, जिसकी शुद्धता 93-96 फीसदी होती है। इस गैसीय ऑक्सीजन का उपयोग कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों के लिए किया जा सकता है। नाइट्रोजन जनरेटर को ऑक्सीजन जनरेटर में बदलने की प्रक्रिया में लगने वाला खर्च नए ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना में लगने वाले खर्च का मात्र 10-15 फीसदी है।
आईआईटी बॉम्बे के साथ इस प्रयोग में टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड (TCE) ने भी अपना योगदान दिया।