इसरो प्रमुख के शिवन ने आज मीडिया से बात करते हुए चंद्रयान-2 और भारत के आगामी अंतरिक्ष कार्यक्रम के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। चंद्रयान-2 को उन्होंने जहाँ विक्रम लैंडर से सम्पर्क टूटने के बाद भी 98% सफ़ल मिशन बताया, वहीं 2020 तक एक और चंद्र मिशन की तैयारी की बात की। इसके अलावा उन्होंने 2021 तक चन्द्रमा पर भारतीय मानवयुक्त अभियान भेजने की भी बात बताई।
India will send man to space by Dec 2021, says @ISRO chief K Sivanhttps://t.co/sXuVYfa61c pic.twitter.com/mKy7MmKWkq
— Hindustan Times (@htTweets) September 21, 2019
K. Sivan said ISRO is focusing on another moon mission by 2020. https://t.co/b8fZCbIErt #Chandrayaan2
— The Hindu (@the_hindu) September 21, 2019
शिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर ठीक वैसे काम कर रहा है, जैसे उसे काम कराना चाहते थे। उन्होंने दावा किया कि उस पर लगे 8-के-8 उपकरण अपना काम भी भली-भाँति कर रहे हैं। शिवन भुबनेश्वर हवाई अड्डे पर IIT-भुबनेश्वर के कनवोकेशन समारोह में शिरकत करने जाने के पहले मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने दोहराया कि हालाँकि खुद वैज्ञानिकों को ऑर्बिटर के केवल एक साल काम करने की उम्मीद थी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि वह आने वाले 7.5 साल तक जानकारियाँ देता रहेगा। विक्रम ऑर्बिटर के बारे में उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक यह समझने की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं कि उसके साथ आखिर गड़बड़ कहाँ और क्या हुई।
#Chandrayaan2 orbiter is doing very well. Each of the 8 instruments in the orbiter is doing exactly what we wanted. This mission was 98% successful. Our next priority is Gaganyaan: ISRO chief K Sivan after arriving at Bhubaneswar Airport #Odisha pic.twitter.com/4kVmUpwiOv
— OTV (@otvnews) September 21, 2019
दिसंबर 2021 तक चाँद पर भारतीय, छात्रों को रिस्क लेना चाहिए
इसरो प्रमुख ने बताया कि इसरो का अगला बड़ा लक्ष्य गगनयान है। उन्होंने बताया कि संस्था दिसंबर, 2021 तक चन्द्रमा पर मनुष्य को भेजने के लक्ष्य पर काम कर रही है। और उस मिशन में रॉकेट भी भारत में बना हुआ ही होगा। छात्रों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने नपे-तुले जोखिम उठाने और नवाचार (innovation) की आवश्यकता पर बल दिया। “अगर आप चांस नहीं ले रहे, तो जीवन में कुछ भी महत्वपूर्ण हासिल करने का कोई चांस नहीं है। नपे-तुले जोखिम उठाइए। जब आप जोखिम नपे-तुले उठाते हैं, तो सबसे मुसीबत वाली जगहों से खुद को बचा लेते हैं।”
उन्होंने बताया कि वे जिस जगह से आते हैं (इसरो), वह बड़ी विफलताओं और बड़े जोखिमों वाला स्थान है। उन्होंने महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम की तरह बनने की अपील IIT-भुबनेश्वर के छात्रों से की।