भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भविष्य में स्वदेशी मिसाइल प्रोग्राम को ऊँचाईयों तक पहुँचाने की दिशा में बुधवार (जून 12, 2019) को हाइपरसोनिक रफ्तार हासिल करने लिए टेस्ट लॉन्च किया। इस हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डिमोन्स्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का भविष्य में न केवल हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने में इस्तेमाल होगा बल्कि इसकी मदद से काफ़ी कम खर्चे में सैटेलाइट लॉन्चिंग भी की जा सकेगी।
“The #DRDO launched a technology demonstrator vehicle to prove a number of critical technologies for futuristic missions from Dr. Abdul Kalam Island,” the Ministry of #Defence said without identifying what the technology demonstrator was. https://t.co/3n0slW9Q0K
— The Hindu (@the_hindu) June 13, 2019
इस परीक्षण की जानकारी एक प्रेस रिलीज के जरिए दी गई कि ओडिशा तट के निकट एक बेस से हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डिमोन्स्ट्रेटर व्हीकल को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया।
.@DRDO_India launched a Technology Demonstrator Vehicle to prove a number of critical technologies for futuristic missions from Dr Abdul Kalam Island off the coast of Odisha.
— PIB India (@PIB_India) June 12, 2019
Details here: https://t.co/JUNLEmEQHe
गौरतलब है इस एचएसटीडीवी प्रोग्राम को अपने मिसाइलों के निर्माण के लिए डीआरडीओ पिछले 2 दशकों से आगे बढ़ा रहा है। इसमें SCRAMJET इंजन इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी मदद से 6 मैक तक की रफ्तार हासिल की जा सकती है।
India test fires Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle capable of Mach 6 https://t.co/K3kIlFhdTE
— Times of News (@TimesofNewsHUB) June 13, 2019
इस परीक्षण में 1 टन वजन वाले और 18 फीट लंबे एयरव्हीकल को अग्नि मिसाइल से लॉन्च किया गया था। इस दौरान एचएसटीडीवी को विभिन्न रडार, टेलीमेट्री स्टेशन्स और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग के जरिए ट्रैक किया गया। इस परीक्षण का उद्देश्य एचएसटीडीवी को एक खास ऊँचाई तक पहुँचाना था, जिसके बाद स्क्रैमजेट इंजन अपने आप चालू हो जाता है और व्हीकल को 6 मैक की रफ्तार तक ले जाता है।
मानवरहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान का पहला सफल परीक्षणhttps://t.co/3Ej82RR2En
— Hindustan (@Live_Hindustan) June 12, 2019
खबरों के मुताबिक यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और रक्षा सचिव संजय मित्रा की मौजूदगी में किया गया। खास बात ये है कि रूस, अमेरिका और चीन के बाद सिर्फ़ भारत ऐसा देश है, जिसने इस तकनीक को विकसित किया है। इस परीक्षण के साथ ही 6 मैक की रफ्तार हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन गया है।