भारत चन्द्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। ‘चंद्रयान 3’ की सफलता से पूरा देश उत्साह में है। लेकिन, इसी बीच हमें थोड़ा सा इतिहास को भी याद करने की ज़रूरत है। याद कीजिए, जब एक ऐसा पल आया था जिसने देश को रुला भी दिया था लेकिन साथ ही ये एहसास भी दिलाया था कि देश इसके बाद फिर से उठ खड़ा होगा और अपना अधूरा कार्य पूरा करेगाव् ज़्यादा पीछे नहीं, चलते हैं 27 जून, 2023 को। तब ‘चंद्रयान 2’ सुर्ख़ियों में था।
हुआ यूँ कि कुछ इसी तरह सारा देश ‘चंद्रयान 2’ के चाँद पर लैंड करने की प्रार्थना करने में लगा हुआ था। लेकिन, खबर आई कि ISRO का लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क टूट गया है। तब पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा था कि आप सब अपनी योजनाओं के अनुसार चले पर हम चाँद पर लैंड नहीं कर पाए, लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि देश के अंतरिक्ष क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाकी है। इसके बाद जैसे ही वो इसरो के तत्कालीन मुखिया के सिवन से हाथ मिलाने के लिए आए, वो भावुक हो गए और अपनी भावनाओं को रोक नहीं पाए।
उनकी आँखों में आँसू देखते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ उन्हें गले लगाया, बल्कि उनकी पीठ थपथपा कर उन्हें सांत्वना दी। पीएम मोदी ने तब कहा था कि आज भले ही हम चाँद पर लैंड नहीं हो पाए, लेकिन इससे चन्द्रमा पर लैंड होने की हमारी प्रतिबद्धता और मजबूत हुई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश वैज्ञानिकों के साथ हैं। अब जब ‘चंद्रयान 3’ चाँद पर लैंड हो गया है, के सिवन फूले नहीं समा रहे हैं। उन्होंने जो शुरुआत की थी, जो एस सोमनाथ (मौजूदा ISRO प्रमुख) के नेतृत्व में अंजाम मिला है। सुखद अंजाम।
इस सफलता पर K सिवन ने कहा, “हम इस अभूतपूर्व सफलता को देख कर खासे प्रसन्न हैं। ये वो सफलता है, जिसका हम पिछले 4 वर्षों से इंतजार कर रहे थे। ये न सिर्फ हमारे लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक मधुर समाचार है। मैं काफी खुश हूँ कि लैंडिंग सफलतापूर्वक पूरा हो गया। मैं पूरे देशवासियों को बधाई देना चाहूँगा। सरकार ने हमारा पूरा समर्थन किया। वो भी इस ख़ुशी के क्षण को देख कर खुश है। ‘चंद्रयान 3’ सिर्फ भारत के लिए ही नहीं है, दुनिया भर के वैज्ञानिक इसके डेटा का विश्लेषण करेंगे। ये वैश्विक हित के लिए है।”