ऑपइंडिया की हिन्दू मंदिरों की श्रृंखला में आज एक ऐसे शिव मंदिर की बात जो दिन में दो बार आँखों से ओझल हो जाता है। हालाँकि मंदिर का गायब होना कोई चमत्कार नहीं, बल्कि एक अनूठी प्राकृतिक घटना है। गुजरात के वडोदरा से 75 किमी दूर कावी-कमोई गाँव में स्थित स्तंभेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने की थी।
इतिहास
भगवान शिव को समर्पित इस स्तंभेश्वर तीर्थ का वर्णन स्कन्द पुराण और श्री महाशिवपुराण की रुद्र संहिता में मिलता है। पौराणिक तथ्यों के अनुसार राक्षस ताड़कासुर ने भगवान शिव की तपस्या से उन्हें प्रसन्न कर लिया और वरदान माँग लिया कि उसका वध सिर्फ भगवान शिव का पुत्र ही कर पाए और वो भी मात्र 6 दिन की आयु का। वरदान पाकर ताड़कासुर ने हर जगह उत्पात मचाना शुरू कर दिया। राक्षस के उत्पात से तंग आकर मनुष्य और देवता, भगवान शिव के पास पहुँचे। तब भगवान शिव के तेज से उत्पन्न हुए शिव-शक्ति के पुत्र कार्तिकेय। अंततः 6 मुखों वाले कार्तिकेय ने मात्र 6 दिन की आयु में ताड़कासुर का संहार कर दिया।
जब कार्तिकेय को यह पता चला कि जिस राक्षस का उन्होंने वध किया है वह उनके पिता का बहुत बड़ा भक्त था, तब उनके मन में अशांति छा गई और वो व्यथित रहने लगे। इसके बाद भगवान विष्णु ने कार्तिकेय को यह सुझाव दिया कि जहाँ उन्होंने राक्षस का वध किया है, उस स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण करा दें तो उनके मन को शांति मिलेगी। भगवान विष्णु के कहे अनुसार कार्तिकेय ने इस मंदिर का निर्माण कराया और सभी देवताओं ने मिलकर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की जो स्तंभेश्वर महादेव के नाम से जाना गया। वर्तमान में इस मंदिर की खोज आज से लगभग 150 वर्ष पूर्व ही हुई है।
दो बार गायब होने वाला मंदिर
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का दिन में दो बार गायब होना कोई चमत्कारी घटना नहीं है, बल्कि प्रकृति का एक अद्भुत उदाहरण है। दरअसल मंदिर अरब सागर के तट पर स्थित है, या यूँ कहें कि अरब सागर में ही स्थित है। दिन में कम से कम दो बार ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं जब समुद्र का जलस्तर बढ़ जाता है तब मंदिर पूरी तरह से पानी में डूब जाता है और जैसे ही जलस्तर कम होता है, मंदिर अपने आप पानी के बाहर आ जाता है।
One of the most unique Shiva Temples is the Stambheshwar Mahadev Temple that gets submerged into the Sea during the high tide and as the low tide sets in it again starts emerging out of the sea inch by inch, unveiling the 4 feet high Shiva lingam. pic.twitter.com/G0PhOD4fFK
— Vertigo_Warrior (@VertigoWarrior) July 11, 2020
इस प्राकृतिक घटना को देखने के लिए गुजरात समेत देश के कई हिस्सों से आने वाले लोग इस मंदिर की यात्रा जरूर करते हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसलिए यहाँ पर्चे बाँटे जाते हैं ताकि श्रद्धालुओं को समुद्र के जलस्तर के बढ़ने और घटने की जानकारी मिलती रहे। श्रद्धालु भी जलस्तर कम होने की प्रतीक्षा करते हैं और उसके बाद ही भगवान शिव के दर्शन के लिए जाते हैं। इसी स्थान पर पौराणिक महिसागर नदी का समुद्र के साथ संगम होता है और भक्त यह मानते हैं कि समुद्र रोजाना 4 फुट ऊँचे स्वयंभू शिवलिंग का जलाभिषेक करता है। महाशिवरात्रि यहाँ का सबसे बड़ा त्योहार है इसके अलावा श्रावण महीने में भी यहाँ भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
कैसे पहुँचे?
गुजरात के भरुच जिले की जम्बूसर तहसील में स्थित स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा वडोदरा में है जो मंदिर से लगभग 80 किमी दूर है। इसके अलावा सूरत हवाई अड्डा यहाँ से लगभग 180 किमी दूर है। मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन भरुच जंक्शन है, जिसकी मंदिर से दूरी लगभग 96 किमी है। भरुच पहुँचने के बाद आसानी से मंदिर पहुँचा जा सकता है क्योंकि गुजरात राज्य परिवहन के अलावा निजी परिवहन सेवाओं की उपलब्धता भी है। सड़क मार्ग से भी भरुच होते हुए गुजरात के किसी भी शहर से आसानी से स्तंभेश्वर महादेव मंदिर पहुँचा जा सकता है।