खाड़ी देश संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की राजधानी अबूधाबी में नवनिर्मित BAPS स्वामीनारायण मंदिर में सेवा करने के लिए एक व्यक्ति ने अपनी करोड़ों की नौकरी छोड़ दी। उन्होंने अपनी बैंकिंग क्षेत्र की नौकरी छोड़ यहाँ भगवान की सेवा करने का रास्ता चुना। उन्होंने मंदिर निर्माण में कारसेवा भी की।
स्वामीनारायण मंदिर में सेवा करने का रास्ता चुनने वाले इन व्यक्ति का नाम विशाल पटेल है। 43 वर्षीय विशाल पटेल का जन्म एक गुजराती परिवार में लंदन में हुआ था। वह 2016 में लंदन से UAE आकर बस गए थे। वह पहले लंदन में भी बैंकिंग क्षेत्र में काफी अच्छी नौकरी करते थे। इसके बाद वह UAE आकर दुबई इंटरनेशनल फाइनेंसियल सेंटर में काम करने लगे।
हालाँकि, जब वह लंदन में थे तब भी स्वामीनारायण मंदिर में सेवा करते थे। इसके बाद दुबई में जब उन्हें यह मौका मिला तो उन्होंने नौकरी छोड़ इसमें अपना पूरा समय देने का निर्णय लिया। उन्होंने मंदिर निर्माण के चालू होने के बाद यहाँ बन रही बाड़ लगाने का काम किया। उन्होंने यह कंक्रीट तक उठाया।
इसके बाद वह मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रसाद बाँटने का काम करने लगे और जब मंदिर का उद्घाटन हुआ तो वह इसके मुख्य कम्युनिकेशन ऑफिसर बनाए गए। वह मंदिर का मीडिया सेल से जुड़ा हुआ काम देखते हैं। उनके आस और भी जिम्मेदारियाँ हैं।
विशाल ने खलीज टाइम्स को बताया, “2016 से ही मैं और मेरा परिवार UAE में रह रहे हैं। इससे पहले, मेरा फोकस मेरा करियर था क्योंकि मैं बड़ी इन्वेस्टमेंट बैंकों और हेज फंड में बड़े पदों पर था। हालाँकि, UAE में इस मंदिर में सेवा करने से मुझे समाज पर एक सकारात्मक प्रभाव डालने और ऐसे कामों में शामिल होने का मौक़ा मिला जो जिनसे समाज का भला होता है।”
विशाल ने बताया कि BAPS स्वामीनारायण के प्रमुख स्वामीजी ने उन पर बड़ा प्रभाव डाला है और वह लंदन के दिनों से ही स्वामीनारायण के बड़े भक्त हो चुके थे। उन्होंने बताया, “मैं लंदन के स्वामीनारायण मंदिर में फुटबॉल और क्रिकेट खेलता था। इस तरह मेरा मंदिर के साथ नाता बना। इसके बाद मैं यहाँ सेवा भी करने लगा और BAPS ने समाजसेवा को कैसे बढ़ाया, इसके विषय में मेरी समझ परिपक्व हुई। प्रमुख स्वामी महाराज जैसे धर्म गुरु की दूरदर्शिता ने मेरे जैसे बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है।”
विशाल ने बताया कि उनकी करियर में भी BAPS स्वामीनारायण मंदिर का बड़ा रोल है। उन्होंने कहा कि 2002 के आसपास जब वह नौकरी ढूंढ रहे थे तो उनके सामने अनेकों चुनौतियाँ थी। तब नौकरियों के बाजार में मंदी आई हुई थी। ऐसे में उन्हें मंदिर में सेवा करते समय एक बड़ी इन्वेस्टमेंट फर्म मेरिल लिंच के एक अधिकारी मिले जिन्होंने उन्हें करियर सम्बन्धी सलाह दी।
गौरतलब है कि अबूधाबी के इस मंदिर का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 फरवरी को किया था। इस मंदिर को 7 शिखर के साथ निर्मित किया गया है। नागर शैली में बने इस मंदिर का अगला हिस्सा वैश्विक मूल्यों की ओर इंगित करता है, वहीं जहाँ विभिन्न संस्कृतियों में सद्भाव का संदेश है, हिन्दू ऋषि-मुनियों को दर्शाया गया है और अवतारों की गाथाएँ कही गई हैं। ये मंदिर परिसर 27 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें से 13.5 एकड़ में मुख्य मंदिर है।