मध्य प्रदेश के सीहोर में ध्वस्त मंदिरों के अवशेष को जोड़कर उन्हें दोबारा स्थापित किया जा रहा है। ये मंदिर 11वीं शताब्दी के परमार क्षत्रियों के शासनकाल के हैं और पिछले 300 सालों से जमीन के नीचे दबे पड़े थे। इनमें से एक लगभग 51 फीट ऊँचे भगवान शिव की मंदिर को स्थापित कर दिया गया है। इसमें 41 लाख रुपए खर्च हुए हैं।
सीहोर के जिले बीलपान गाँव के नजदीक देवबड़ला इलाके में इस मंदिर को स्थापित किया गया है। यह इलाका जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर है और वहाँ पहाड़ी इलाका होने के कारण यहाँ तक पहुँचना बेहद दुर्गम है।
पुरातत्व विभाग (ASI) को जानकारी मिली की देवबड़ला इलाके में प्राचीन मंदिर के अवशेष मिल रहे हैं। इसके बाद विभाग सक्रिय हो गया और इसके बिखरे एवं दबे टुकड़ों को जोड़कर फिर से मंदिर को खड़ा करने का बीड़ा उठाया।
साल 2016 में पुरातत्व विभाग ने यहाँ खुदाई शुरू की थी। खुदाई के दौरान चार मंदिरों की नींव का पता चला था। पुरातत्व विभाग के अधिकारी जीपी चौहान के अनुसार, खुदाई के दौरान पहले चार मंदिरों का बेस मिला। 5वें मंदिर की नींव तलाश की जा रही थी, उसी दौरान चार और मंदिरों का पता चला। इस तरह यहाँ कुल 9 मंदिरों का पता चला है।
खुदाई के दौरान यहाँ भगवान की विभिन्न प्रतिमाएँ प्राप्त हो चुकी हैं। इनमें नटराज, उमाशंकर, जलधारी, नंदी, विष्णु, लक्ष्मी की प्रतिमाएँ शामिल हैं। इस तरह कुल 30 प्रतिमाएँ मिल चुकी हैं। इन प्रतिमाओं में कुछ खंडित हैं, जबकि अन्य अच्छी हालत में हैं।
हालाँकि, देवबड़ला के पहाड़ी इलाके में 200 फीट से अधिक क्षेत्र में खुदाई का काम अभी भी जारी है। खुदाई प्रतिमाओं के साथ-साथ अन्य तरह की कलाकृतियाँ के भी मिलने की उम्मीद है। देवबड़ला का अर्थ है देवताओं की पहाड़ी। इसका मतलब है कि यहाँ धार्मिक गतिविधियाँ लंबे समय से संपन्न होती रही हैं।
पुरातत्व विभाग ने अनुमान है कि 18वीं सदी में ये मंदिर ध्वंस हुए थे। इन्हें किसी आक्रमणकारी ने हमले करके गिराए होंगे या फिर भी भूकंप में गिरे होंगे। हालाँकि, भूकंप में गिरने की गुंजाइश कम है। इसके बाद विध्वंस के 300 साल से मंदिरों के ये अवशेष भूमि में दबते चले गए।
देवबड़ला मंदिर समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह और कुँवर विजेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि भगवान शंकर का 51 फीट ऊँचा मंदिर बनकर तैयार हो गया है। इसे बनाने में अभी तक 41 लाख रुपए की लागत आई है। अब भगवान विष्णु के मंदिर पर काम हो रहा है।
ओंकार सिंह के अनुसार, भगवान विष्णु का यह मंदिर 35 फीट ऊँचा है और इसे बनाने में लगभग 16 लाख रुपए की लागत आएगी। यह मंदिर अगले साल तक बनकर पूरा हो जाएगा। इसके बाद अन्य मंदिरों को बनाने का काम होगा।
पुरातत्व विभाग के अधिकारी जीपी चौहान ने बताया कि इन भवनों को दोबारा स्थापित करने के लिए उसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसे उस काल में अपनाया जाता था। जीपी चौहान के मुताबिक, मंदिर के अवशेषों को उड़द की दाल, चूना, गुड़ जैसे लेपों से जोड़ा जा रहा है। इनमें मसाले की बेहद पतली लेयर भी लगाई जा रही है।