झारखंड के गुमला जिले में धर्मांतरण का शिकार हुए जनजातीय समाज के 20 लोगों ने घर वापसी कर ली है। ईसाई मिशनरी के संपर्क में आकर ये लोग करीब 2 साल पहले ईसाई बन गए थे। लेकिन अब विधि विधान से पूजा कर सभी ने शुक्रवार (28 जुलाई, 2023) को अपना मूल धर्म अपना लिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घर वापसी का यह मामला गुमला जिले के बसिया प्रखंड अंतर्गत कुम्हारी झापाटोली गाँव का है। ईसाई मिशनरियों ने बीमारी ठीक करने की बात कहकर गाँव में रहने वाले जनजातीय समाज के भोले-भाले लोगों को अपने धर्मांतरण जाल में फँसा लिया था। 2 साल पहले गाँव के कई परिवार धर्मांतरित होकर ईसाई बन गए थे।
गुमला में 20 ईसाई परिवार ने सरना धर्म में की वापसी, हिंदू जागरण मंच की पहल पर हुई घर वापसी। pic.twitter.com/zQDdAftyg8
— News18 Jharkhand (@News18Jharkhand) July 29, 2023
धर्मांतरण की जानकारी मिलने के बाद वनवासी कल्याण केंद्र द्वारा संचालित जनजाति हित रक्षा आयाम के जिला संयोजक सोनामनी उराँव और सदस्य दिनेश लकड़ा ने धर्मांतरित हुए लोगों को जागरूक करना शुरू किया। इससे सभी लोगों ने पुनः अपना धर्म अपनाने की इच्छा जताई। इसके बाद हिंदू जनजागरण मंच झारखंड के सहयोग से घर वापसी कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान गाँव के बुद्धेश्वर पहान ने पूरी रीति-रिवाज के साथ ग्राम देवता की पूजा कर धर्मांतरित हुए लोगों की घर वापसी कराई।
धर्मांतरण के जाल में फँसे लक्ष्मण उराँव, बिरसा उराँव और मुन्नी उराँव का कहना है कि उनके घर में आए दिन कोई न कोई बीमार रहता था। इसी दौरान ईसाई मिशनरियों द्वारा चंगाई सभा में इन लोगों को बीमारी ठीक करने और इलाज कराने का लालच दिया गया। इस लालच में फँसकर उनके परिवार के लोगों ने ईसाई मजहब अपना लिया था।
ईसाई बन जाने के बाद भी न तो कोई ठीक हुआ और न ही इलाज कराया गया। इसके बाद धर्मांतरित हुए लोगों को समझ आया कि यह सब अंधविश्वास था। उन्हें अपने धर्म और समाज में वापस लौटने पर बेहद खुशी हो रही है। पहले वह रास्ता भटक गए थे। लेकिन अब धर्म के रास्ते पर लौट आए हैं।
जनजाति हित रक्षा आयाम के जिला संयोजक सोनामनी उराँव का कहना है कि ईसाई मिशनरियाँ बड़े पैमाने पर सक्रिय होकर गुमला जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब जनजातीय परिवारों को लालच देकर ईसाई बना रही हैं। जनजाति रक्षा आयाम धर्मांतरण के खिलाफ काम कर रहा है। साथ ही धर्मांतरण का शिकार हुए लोगों को चिन्हित कर उनकी घर वापसी कराई जाएगी। घर वापसी करने के बाद जनजातीय परिवार बेहद खुश और उत्साहित हैं।