अयोध्या में हुए आतंकी हमले के 14 वर्ष बाद अदालत का महत्वपूर्ण निर्णय आ गया है। स्पेशल ट्रायल कोर्ट ने अपना निर्णय देते हुए 4 आरोपितों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। 5 जुलाई 2005 को हुए इस आतंकी हमले के मामले में मोहम्मद अजीज नामक एक आरोपित को बरी कर दिया गया। जिन आतंकियों को आजीवन कारावास की सज़ा दी गई, उनके नाम इरफान, मोहम्मद शकील, मोहम्मद नसीम, आशिक़ इकबाल उर्फ फ़ारुख़ हैं। इन सभी पर ढाई लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। सुनवाई नैनी जेल स्थित विशेष कोर्ट में पूरी हुई। 2006 में इस केस की सुनवाई को सुरक्षा कारणों से फ़ैजाबाद से इलाहबाद स्थानांतरित कर दिया गया था।
मोहम्मद अजीज को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया गया। स्पेशल कोर्ट के निर्णय को देखते हुए अयोध्या व आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। जस्टिस दिनेश चंद्र की अदालत में इस मामले को लेकर बहस 11 जून को ही पूरी हो गई थी। उस आतंकी हमले को लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था। इस हमले में एक टूरिस्ट गाइड सहित 7 लोगों की मृत्यु हो गई थी, वहीं पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में 5 आतंकियों को ढेर कर दिया था। सीआरपीएफ व पीएसी के कुछ जवान इस दौरान घायल भी हो गए थे।
अयोध्या राम जन्मभूमी पर 2005 में हुये आतंकी हमले में अदालत ने 4 लश्कर आतंकियो को उम्रकैद की सज़ा सुनाई।आतंकी हमले में 2 नागरिकों की मौत हुयी थी और 5 लश्कर के आतंकी भी मौके पर मारे गये थे।अदालत ने इरफान,आशिक इक्बाल, शकील अहमद और मोहम्मद नसीम को उम्रकैद की सज़ा सुनाई। अज़ीज बरी।
— Jitender Sharma (@capt_ivane) June 18, 2019
मारे गए आतंकियों के पास से बरामद सामग्रियों के आधार पर 5 आरोपितों को गिरफ़्तार किया गया था, जिनमें से 4 को अदालत ने आज दोषी पाते हुए सज़ा दी। इन सभी को जुलाई 2005 में गिरफ़्तार किया गया था। उस हमले में हैंड ग्रेनेड, एके-47 और राकेट लॉन्चर तक का इस्तेमाल किया गया था। साधु-संतों के बीच इस हमले को लेकर भारी आक्रोश था और वे अपराधियों के लिए कड़ी से कड़ी सज़ा चाहते थे। हमले के दौरान आतंकियों ने उस जीप को भी ब्लास्ट कर उड़ा दिया था, जिस पर सवार होकर वे आए थे। डेढ़ घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद 5 आतंकियों को मार गिराया गया था।
मामले की सुनवाई के दौरान कुल 63 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। इस पाँचों आरोपितों पर आतंकी हमले की साज़िश रचने और आतंकियों की मदद करने का मामला चलाया जा रहा था। कई बार इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी सुनवाई हुई। हमले से पहले सभी आतंकियों ने नेपाल के रास्ते भारत में प्रवेश किया था। पुलिस ने बाद में भारी मात्रा में हथियार भी बरामद किए थे। 5 एके-56 राइफल्स, 5 M1911 पिस्टल्स, एक RPG-7 ग्रेनेड लॉन्चर, कई M67 ग्रेनेड और कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए थे। ताज़ा निर्णय भी सुरक्षा कारणों से जेल के भीतर ही सुनाया गया।
#अयोध्या:राम जन्मभूमि मामले पर बोले रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास-निर्णय आने में इतना विलंब नहीं होना चाहिए,14 वर्ष पहले जो घटना हुई थी वह रामलला के मंदिर को नष्ट करने की चेष्टा थी.भगवान की कृपा और जांबाज जवानों ने ऐसा नहीं होने दिया लेकिन सजा पर्याप्त नहीं है
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) June 18, 2019
ये हमला सुबह क़रीब सवा 9 बजे हुआ था। साधु-संतों ने इस निर्णय के बाद कहा कि इसमें काफ़ी लम्बा समय लगा लेकिन भगवान राम ने भी 14 वर्षों का ही वनवास झेला था, इस बार भी 14 वर्षों बाद फ़ैसला आया है। संतों ने आतंकियों के लिए फाँसी की माँग की थी।