माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज के काॅल्विन हाॅस्पिटल के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। रिपोर्टों के अनुसार उसके बाद से राज्य के करीब 3000 मोबाइल नंबर अचानक बंद हो गए हैं। बताया गया है कि इसी साल फरवरी में उमेश पाल की हत्या के बाद इन नंबरों की निगरानी की जा रही थी। अब अचानक इनके बंद होने की वजह पता लगाने के लिए एसटीएफ ने पड़ताल शुरू कर दी है।
बंद हुए नंबर राज्य के 22 अलग-अलग जिलों के हैं। ज्यातादर नंबर ऐसे थे जिनके अतीक से जुड़े होने का अंदेशा था। कुछ नंबर अन्य आपराधिक गिरोह से जुड़े लोगों के भी थे। कुछ रिपोर्टों में बंद हुए मोबाइल नंबरों की संख्या 800 बताई जा रही है। इन नंबरों के बंद होने के पीछे के कारणों का पता लगाया जा रहा है। उमेश पाल की हत्या के बाद यूपी एसटीएफ ने इन मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगाया था।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उमेश पाल की हत्या के बाद अपराधियों की तलाश के लिए अतीक अहमद के रिश्तेदारों व साथियों के लगभग 3000 से अधिक नंबरों को सर्विलांस पर लगाया गया था। इसके बाद एसटीएफ को केस से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिली थीं। सर्विलांस की मदद से ही एसटीएफ असद और गुलाम तक पहुँची थी। दोनों झाँसी में हुए मुठभेड़ में मार गिराए गए थे।
इसके बाद ही 15 अप्रैल को अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज कॉल्विन हॉस्पिटल में हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड के बाद तीन से चार दिनों में ही सैकड़ों की संख्या में मोबाइल स्विच ऑफ हो गए। एसटीएफ का कहना है कि कुछ नंबरों से महत्वपूर्ण जानकारी मिल रही थी। सर्विलांस के जरिए ऐसे लोगों पर नजर रखी जा रही थी जिनके संपर्क में आरोपित आ सकते थे। अचानक इन नंबरों के बंद होने से जाँच प्रभावित होने की बात कही जा रही है।
रिपोर्टों के अनुसार एसटीएफ ने लखनऊ, प्रयागराज, बाराबंकी, कानपुर, गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली, अजमेर, शाहजहाँपुर, झाँसी, हरदोई, बरेली, सहारनपुर सहित कई अन्य जगहों के लोगों के नंबर सर्विलांस पर लगाए थे। लेकिन ये नंबर अब स्विच ऑफ हैं। बताया जा रहा है कि पुलिस के सवालों और कार्रवाई से बचने के लिए माफिया के रिश्तेदारों और जानने वालों ने अपने-अपने नंबर बंद कर लिए हैं।