दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान 13 साल के एक बच्चे के पेट से अलग-अलग तरह की 56 वस्तुएँ मिली हैं। इनमें बैटरी, चेन, स्क्रू, ब्लेड और नट-बोल्ट आदि शामिल हैं। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद कक्षा 9 के इस छात्र को बचाया नहीं जा सका। रविवार (27 अक्टूबर 2024) को हुए इस ऑपरेशन को डॉक्टरों ने दुर्लभ केस बताया है। फ़िलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि ये वस्तुएँ बच्चे के पेट में पहुँची कैसे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मृतक का नाम आदित्य था। वह कक्षा 9 का छात्र था। वह हाथरस के रत्नगर्भा कॉलोनी में परिवार के साथ रहता था। आदित्य के पिता संकेत शर्मा ने बताया कि 13 अक्टूबर को उनके बेटे को पेट दर्द व साँस लेने में समस्या हुई। इलाज के लिए आदित्य को हाथरस के ही एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया। यहाँ से उसे रेफर कर दिया गया। आगे का इलाज जयपुर के SDMH हॉस्पिटल में हुआ। पाँच दिन तक चले इलाज में आदित्य को फायदा हुआ और परिजन उसे घर ले आए।
संचेत शर्मा ने बताया कि 19 अक्टूबर को आदित्य ने फिर से साँस लेने में दिक्कत होने लगी। तब उसे अलीगढ़ के एक निजी अस्पताल में दिखाया गया। यहाँ CT स्कैन के बाद आदित्य की नाक में गाँठ दिखी जिसे 26 अक्टूबर को सर्जरी से निकाल दिया गया। ऑपरेशन के बाद साँस लेने की दिक्कत तो दूर हो गई, लेकिन पेट दर्द बना रहा। इसी दिन आदित्य का अल्ट्रासाउंड हुआ तो उसके पेट में 19 सामान दिखे। इलाज के लिए उसे को नोएडा लाया गया।
नोएडा में पता चला कि आदित्य के पेट में 19 नहीं, बल्कि 56 वस्तुएँ मौजूद हैं। आखिरकार आदित्य को ऑपरेशन के लिए दिल्ली के सफदरगंज हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। 27 अक्टूबर को आदित्य शर्मा का ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के दौरान पेट से घड़ी में लगनी वाली बैटरी, ब्लेड के टुकड़े, कीलें, टूटे काँच के हिस्से, नट-बोल्ट, सिक्के, सेंट, चेन और कुछ अन्य धातुएँ मिली हैं। सामान्य व्यक्ति की हार्टबीट 60 से 100 के बीच होती है, लेकिन इलाज के समय आदित्य की 280 के आसपास थी।
इस मामले को दुर्लभ बताते हुए डॉक्टरों ने भी हैरानी जताई है। आदित्य के पेट में भले ही ब्लेड मिली हो लेकिन गले में कहीं भी कटे का निशान नहीं पाया गया। अभी तक यह सामने नहीं आ पाया है कि ये सब सामान आदित्य के पेट में पहुँच कैसे गया। कुछ डॉक्टरों ने इसे पिका सिंड्रोम जैसी मानसिक बीमारी बताया है। इस सिंड्रोम में कोई व्यक्ति उन चीजों को भी खाना शुरू कर देता है जो खाने योग्य नहीं होती हैं। डॉक्टरों ने अभिभावकों को भी आगाह किया है कि वो बच्चों की असमान्य हरकतों पर गहरी नजर रखें।