Sunday, November 17, 2024
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58% ने माना PM हैं किसान हितैषी, 52% ने कहा- कानून वापस लेने का फैसला ठीक: देश में मोदी का जलवा बरकरार

सर्वे के मुताबिक, कृषि कानून को लेकर हो रही राजनीति अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में की रोल निभा सकती है। सर्वे में शामिल 55.1 फीसदी लोगों ने कहा है कि मोदी सरकार को इसका सियासी फायदा मिलने वाला है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को खत्म करने के बाद हर किसी के मन में इस बात को लेकर प्रश्न था कि सरकार के इस फैसले से लोगों मोदी की लोकप्रियता पर कितना फर्क पड़ने वाला है। अब इस मुद्दे पर IANS C voter snap opinion poll जारी किया गया है। देश भर में किए गए इस सर्वेक्षण में 52 प्रतिशत से भी अधिक लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले को सही ठहराया, यानि कि पीएम मोदी अभी भी बरकरार है।

रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में 50 फीसदी से अधिक लोगों ने माना कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानून अच्छे और ये किसानों के हित में थे। वहीं, 30.6 प्रतिशत लोगों का मानना है कि ये कानून बेकार थे और इन्हें निरस्त किया जाना ही सही था। 40.7 फीसदी लोगों ने कृषि कानून को रद्द करने का श्रेय मोदी सरकार को दिया, जबकि 22.4 प्रतिशत लोगों का मानना है कि विपक्ष के लगातार विरोध के कारण सरकार दबाव में आई और उसने इन कानूनों को वापस ले लिया। वहीं, 37 प्रतिशत लोगों ने कृषि कानूनों को वापस लेने का श्रेय किसानों को दिया।

58 प्रतिशत लोगों ने पीएम मोदी को किसान समर्थक बताया

इस सर्वे में 58.6 फीसदी लोगों ने पीएम मोदी पर अपना भरोसा जताया और उन्हें किसान समर्थक बताया। वहीं, 29 फीसदी लोगों का मानना था कि पीएम मोदी किसान विरोधी हैं। सर्वे के मुताबिक, विपक्ष के भी 50 फीसद से अधिक मतदाताओं ने पीएम मोदी को किसानों का हित चाहने वाला यानि किसान समर्थक करार दिया है। वहीं 56.7 फीसदी लोगों का मानना था कि कृषि कानूनों का विरोध केवल एनडीए सरकार को कमजोर करने की राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। जबकि, 35 फीसदी लोग ऐसा नहीं मानते हैं।

विधानसभा चुनाव में बीजेपी को होगा इसका फायदा

इस सर्वे के मुताबिक, कृषि कानून को लेकर हो रही राजनीति अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में की रोल निभा सकती है। सर्वे में शामिल 55.1 फीसदी लोगों ने कहा है कि मोदी सरकार को इसका सियासी फायदा मिलने वाला है, जबकि 30.08 फीसदी लोगों का ये मानना था आने वाले चुनावों में इसका किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं होगा।

लोगों ने माना राजनीतिक विरोध है किसान आंदोलन

वह बात जो लंबे वक्त से समाज का एक वर्ग कहता रहा है कि किसान आंदोलन राजनीतिक है, उसे इस सर्वे ने सही साबित किया है। करीब 56.7 फीसदी लोगों ने इस बात को स्वीकार किया है कि कृषि कानून के खिलाफ हो रहा विरोध राजनीति से प्रेरित था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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