इंडिया टुडे द्वारा चुनाव से ठीक तीन महीने पहले देश में अयोध्या में राममंदिर निर्माण पर एक सर्वे कराया गया है। इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले देश के 69% लोगों ने कहा कि मंदिर अयोध्या में विवादित जगह पर ही बनाया जाना चाहिए। जबकि इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 22% लोगों ने माना कि अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर नहीं बनाया जाना चाहिए।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अयोध्या में विवादित स्थान पर राम मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इंडिया टुडे द्वारा कराए गए इस सर्वे में देश के 13,000 लोगों ने हिस्सा लिया। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 67% लोगों ने यह भी माना कि मोदी सरकार को अयोध्या में विवादित जगह पर मंदिर बनाने के लिए संसद में अध्यादेश लाना चाहिए। जबकि इसी सवाल के जवाब में 24% ने कहा कि सरकार को अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश नहीं लाना चाहिए।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम मंदिर पर अध्यादेश को लेकर केंद्र सरकार का रुख़ साफ़ करते हुए कहा था कि इस पर किसी भी प्रकार का विचार करने से पहले शीर्ष अदालत के फ़ैसले का इन्तज़ार किया जाएगा। एएनआई की सम्पादक स्मिता प्रकाश को दिए साक्षात्कार में पीएम ने विभिन्न मुद्दों से जुड़े सवालों का बेधड़क जवाब दिया और इसी क्रम में राम मंदिर पर भी अपनी सरकार और पार्टी का रुख स्पष्ट किया। प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि तीन तलाक पर भी केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायलय के निर्णय के बाद ही अध्यादेश लाया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस इंटरव्यू में कांग्रेस के वकीलों पर अदालत की करवाई को धीमी करने का भी आरोप लगाया था। साथ ही उन्होंने भाजपा के 2014 घोषणापत्र की चर्चा करते हुए कहा था कि इस मुद्दे का हल संविधान के दायरे में रह कर ही निकाला जायेगा। उस घोषणापत्र में कहा गया था कि भाजपा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संविधान के भीतर सभी संभावनाएं तलाशने के अपने रुख को दोहराती है। दरअसल प्रधानमंत्री से यह पूछा गया था कि क्या भाजपा राम मंदिर मुद्दे को हमेशा भावनात्मक तौर पर उठाती है। इस से जुड़े सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा:
“अदालती प्रक्रिया खत्म होने दीजिए। जब अदालती प्रक्रिया खत्म हो जाएगी, उसके बाद सरकार के तौर पर हमारी जो भी जवाबदारी होगी, हम उस दिशा में सारी कोशिशें करेंगे।”