सन 1996 में एक विशेष प्रावधान के तहत 1989-90 के बाद से राज्य के बाहर निर्वासन में जीवन जी रहे कश्मीरी पंडितों को अपने मूल लोकसभा क्षेत्रों के लिए मतदान करने का अधिकार दिया गया था। इस अधिकार का प्रयोग करते हुए 2019 के लोकसभा निर्वाचन में करीब 13,537 कश्मीरी पंडितों ने मतदान किया। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक इन 13,537 लोगों में से 11,648 (86%) वोट भाजपा को मिले।
86% of Kashmiri migrants voted for BJP https://t.co/6cdSMhM7qd
— TOI India (@TOIIndiaNews) May 25, 2019
खास बात ये हैं कि घाटी की 2 सीटों (अनंतनाग और श्रीनगर) पर भाजपा प्रत्याशियों को ये वोट मिले हैं। आँकड़ों पर यदि गौर करें तो ज्ञात होगा कि अनंतनाग में भाजपा प्रत्याशी को मिले वोट में राज्य से बाहर रह रहे कश्मीरी पंडितों का बहुत बड़ा योगदान है। यहाँ भाजपा प्रत्याशी को मिले 10,225 वोटों में से 7,251 वोट कश्मीरी पंडितों ने दिए हैं। इसी प्रकार श्रीनगर में भाजपा प्रत्याशी को कुल 4,631 वोट मिले जिसमें से 2,584 वोट कश्मीरी पंडितों ने दिए। बारामूला इलाके में इसका अनुपात केवल 23 फीसद रहा।
BJP manages 86% of migrant votes in Kashmir Valley, reports @aashiqbhatthttps://t.co/btXqwD02YN#ElectionsWithHT #ResultsWithHT pic.twitter.com/cysSX7CiRp
— Hindustan Times (@htTweets) May 24, 2019
गौरतलब है 1980 के दशक में आखिर में उग्रवाद के कारण घाटी के कई क्षेत्रों में कश्मीरी पंडितों को पलायन करना पड़ा था। इसके बाद मतदान तो दूर की बात उनका अपने घर को देखना भी मुश्किल हो गया था। ऐसे में 1996 में प्रावधान को लागू किया था ताकि राज्य से बाहर रह रहे नागरिकों के लिए मताधिकार का प्रयोग करना संभव हो पाए। निर्वाचन आयोग ने भी इस प्रावधान के तहत कश्मीरी पंडितों के वोट देने की प्रक्रिया को समय के साथ और भी अधिक सुविधाजनक बनाया है।