महिलाएँ कब खुश होती हैं? ये एक ऐसा सवाल है, जिसपर सोशल मीडिया पर आपको कई जोक बनते नजर आ जाएँगे, लेकिन वास्तविकता में शायद ही कहीं आपको इसका सही उत्तर मिले। ऐसी स्थिति में जब हर कोई अपने अनुभव के अनुसार महिलाओं के खुश होने के पैमाने बताता नजर आता है, उस समय राष्ट्रीय सेवक संघ से जुड़े एक संघठन ने ऐसा सर्वे पेश किया है, जिसमें 43,255 से ज्यादा महिलाओं ने खुद इस बड़े सवाल के जवाब का खुलासा किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आज दिल्ली में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा एक सर्वेक्षण आधिकारिक रूप से रिलीज किया जाना है। जिसके निष्कर्ष बताते हैं कि 90 प्रतिशत महिलाएँ जो एकांतवासी हैं, जिनका न तो कोई परिवार है और न ही कोई आमदनी, वो सबसे ज्यादा खुशमिजाज हैं। इसके अलावा शादीशुदा महिलाएँ भी इस सर्वे के अनुसार प्रसन्न रहने वालों की सूची में आती हैं, जबकि लिव-इन रिलेशन में रहने वाली लड़कियाँ सबसे नाखुश रहती हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ये सर्वेक्षण 2017-18 में संघ द्वारा मान्यता प्राप्त पुणे आधारित रिसर्च सेंटर दृष्टि स्त्री अध्य्यन प्रबोधन केंद्र द्वारा करवाया गया था। यह सर्वेक्षण साक्षात्कार आधारित था और इसमें 18 वर्ष से ऊपर की महिलाओं से बात की गई थी। इसमें 29 राज्य, 5 केंद्र शासित प्रदेश और 465 जिले की लगभग सभी धर्म की महिलाओं को शामिल किया गया था।
इस सर्वेक्षण के जरिए मालूम चला कि सर्वे में शामिल लगभग 80 प्रतिशत महिलाएँ ‘खुश’ और ‘बहुत खुश’ वाले स्तर पर हैं, जबकि धार्मिक क्षेत्र से जुड़ी हुई महिलाएँ सबसे ज्यादा सुखी हैं।
जानकारी के मुताबिक ये सर्वेक्षण शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और पोषण के आधार पर था। जिसमें 2011 की जनगणना के समय महिला शिक्षा दर के 64.63% होने का हवाला देकर बताया गया कि इन आँकड़ों में 6 साल बाद काफी उछाल आया और ये प्रतिशत 79.63 तक पहुँच गए। जिसका मतलब है कि कुछ महिलाएँ अब स्नातक से ऊपर जाकर भी शिक्षा को ग्रहण कर रही हैं। इस सर्वेक्षण के मुताबिक आज भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वाली महिलाओं में शिक्षा दर का अभाव है, लेकिन आरक्षण नीति के तहत उन्हें शिक्षा क्षेत्र में एक सहारा मिल रहा है, और इसके जरिए उच्च शिक्षा ग्रहण करने में भी उन्हें मदद मिल रही है।
इसके अलावा जानकारी के अनुसार इस सर्वेक्षण में शिक्षा संबंधी सूची में महिलाओं की खुशी और सलामती के मद्देनदर सबसे संतुष्ट पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी धारी महिलाओं को पाया गया, जबकि अशिक्षित महिलाओं में इस सूची का सबसे कम प्रतिशत मिला।
यहाँ बता दें कि इस सर्वे में उत्तर भारत की महिलाओं की खराब सामाजिक और आर्थिक स्थिति (Social Status) का भी खुलासा हुआ है। सर्वे के अनुसार अभी भी उत्तर भारत की महिलाएँ भारत के अन्य हिस्सों के मुकाबले आर्थिक रूप से कम आत्मनिर्भर हैं। उत्तर भारत में देश के बाकी हिस्सों के मुकाबले कम महिलाओं के पास अपने बैंक खाते हैं।
जबकि, स्वास्थ्य से जुड़ी बात करें तो देश की महिलाओं में आर्थराइटिस की समस्या सबसे ज़्यादा है जो उन्हें बढ़ती उम्र के साथ और परेशान करने लगती है। इस सर्वेक्षण में इस बात का भी खुलासा हुआ कि आज भी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सबसे ज्यादा सामना आदिवासी महिलाओं को ही करना पड़ता है।