हरियाणा के नूहं जिले में एक दलित परिवार पर मुस्लिम भीड़ द्वारा हमला करने का मामला सामने आया है। कहा जा रहा है कि जब ट्यूबवेल पर दलित महिलाएँ पानी भर रही थीं तो मुस्लिम महिलाओं ने उनसे मारपीट शुरू कर दी और कहा कि ये जगह उनके लिए पानी भरने की है। कुछ ही देर में इस दलित विरोधी हिंसा में मुस्लिम परिवार के पुरुष भी शामिल हो गए।
पीड़ितों का आरोप है कि इस दौरान उन्हें जातिसूचक शब्द बोले गए। हमलावरों ने उन्हें धमकी दी कि वे गाँव छोड़कर भाग जाएँ, नहीं तो उन्हें मार दिया जाएगा। हिंसा के शिकार आधे दर्जन दलितों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। घटना 17 अप्रैल 2024 की है। वहीं, पुलिस ने सोमवार (22 अप्रैल 2024) को FIR दर्ज करके जाँच शुरू की है। FIR में कुल 18 हमलावर नामजद किए गए हैं।
यह घटना तावडू इलाके के थाना सदर की है। यहाँ गाँव सहसीलापट्टी घुसबैठी की रहने वाली दलित महिला रजनी ने 22 अप्रैल को पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। शिकायत में रजनी ने बताया कि 17 अप्रैल की शाम लगभग 8 बजे वो अपने परिवार की कुछ अन्य महिलाओं के साथ सरकारी ट्यूबवेल पर पीने वाला पानी भरने गई थीं। यहाँ पर कुछ मुस्लिम महिलाएँ भी पानी भर रहीं थीं।
रजनी ने कहा कि इस दौरान असमीना, रहमती और मकसूदन ने उन्हें देखकर दलित महिलाओं के बर्तन फेंकने शुरू कर दिए। रजनी ने मुस्लिम महिलाओं से इसकी वजह पूछी तो मुस्लिम महिलाओं ने कहा, “तुम नीची जाति च$री, चु#ड़ी हो। हमसे पहले पानी कैसे भर सकती हो?” रजनी ने जातिसूचक गालियों का विरोध किया तो तीनों मुस्लिम महिलाओं ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें पीट दिया।
पीड़िताओं का कहना है कि उन्होंने जैसे-तैसे भागकर अपनी जान बचाई। इधर मुस्लिम महिलाओं ने घर पहुँचकर लोगों को जमा कर लिया। कुछ ही देर में दलितों के घर की तरफ मुस्लिम भीड़ हमलावर दौड़ पड़ी। हमलावरों में अलीशेर, सोहेल, फारूख, सली मौहम्मद, असलूम, असलम, शहारून, महबूब, मुफीद, शारुख, उसमान, शेरू, इकराम, साहून, रमजान, असमीना, रहमती और मकसूदन शामिल थे।
हमलावरों लाठी-डंडा और फरसा ले रखे थे। ये सभी पीड़िता के घर में घुस गए। वहाँ उन्होंने माँ-बहन की गलियों के साथ पीड़ित परिवार को जातिसूचक गालियाँ दीं। शिकायत के मुताबिक हमलावरों ने कहा, “बहन%द च#रों, आज तुम्हें जान से मार देंगे। आज तुम्हें सबक सिखाते हैं।” रजनी और अन्य दलित महिलाओं पर मुस्लिम भीड़ के हमले में जो भी बीच-बचाव करने आया उसको बेरहमी से पीटा गया।
हमले में पीड़ित महिलाओं की नाक, हाथ, आँख, कंधे, पैर, छाती और चेहरे पर वार किए। लगभग आधे दर्जन पीड़ितों के घायल होने के बाद आरोपितों ने घरों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। इस तोड़फोड़ में पंखे, बर्तन और टीन आदि टूट गए। घर के बाहर खड़े ऑटो को भी तोड़ डाला गया। हमलावरों ने जानवरों को भी नहीं छोड़ा। पीड़ितों के घर पर बँधीं गायों और भैंसों को भी पत्थर मारे गए।
शोर-गुल सुनकर गाँव के कुछ अन्य लोग जमा हो गए, जिसके कारण पीड़ितों की जान बची। घटनास्थल से लौटती भीड़ में शामिल कुछ हमलावरों ने पीड़ितों को धमकी भी दी। उन्होंने कहा, “आज तो च#र, चु&डीं तुम्हें जिंदा छोड़ दिया है। अगर फिर कभी हमसे पहले पानी भरा या हमारे सामने नजर उठाई तो तुम्हें जान से मार देगें।”
धमकी देते हुए उन्होंने आगे कहा, “हमारे गाँव में रहना है तो औकात में रहो। साले हमारे सामने तुम्महारी क्या औकात?” यदि इस घटना की शिकायत कहीं पर की या कहीं किसी अधिकारी के सामने पेश हुए तो तुम्हें गाँव में नहीं रहने देगें। यहाँ से मारपीट कर भगा देगें और फिर कभी गाँव में नहीं घुसने देंगे।”
हमलावरों के जाने के बाद पीड़ितों ने घायलों का इलाज शुरू करवाया। कुछ घायलों को नल्हड़ के मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया है। हालात गंभीर होने पर रामवीर नाम के शख्स को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया है। पुलिस को दी गई शिकायत में रजनी ने यह भी बताया है कि उनको पहले भी जातिसूचक शब्द बोल कर बेइज्जत किया गया है।
हमलावरों को दबंग और बदमाश बताते हुए पीड़िता ने अपनी जान-माल का खतरा बताया है। FIR में देरी की वजह पीड़िता ने गंभीर रूप से घायल परिजनों के इलाज में व्यस्त होना बताया है। रजनी द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी की कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है।
पुलिस ने अलीशेर, सोहेल, फारूख, सली मौहम्मद, असलूम, असलम, शहारून, महबूब, मुफीद, शारुख, उसमान, शेरू, इकराम, साहून, रमजान, असमीना, रहमती और मकसूदन सहित अन्य हमलावरों पर FIR दर्ज कर के जाँच शुरू कर दी है। इन सभी पर IPC की धारा 148, 149, 323, 452, 506 और SC/ST एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। पुलिस मामले की जाँच में जुट गई है।
गाँव में एक भी हिन्दू मंदिर नहीं
ऑपइंडिया ने इस घटना में घायल हुए चरणजीत से बात की। चरणजीत ने हमें बताया कि उनके गाँव में 14-15 हिन्दुओं के घर हैं, जो दलित समुदाय से आते हैं। इसके अलावा गाँव में मुस्लिम समुदाय के लगभग 400 घर हैं। चरणजीत के मुताबिक, गाँव के अनुसूचित जाति के लोग महादेव और माँ दुर्गा के भक्त हैं, लेकिन डर के मारे उन्होंने गाँव में मंदिर भी नहीं बनवाया है।
चरणजीत ने बताया कि बीते नवरात्रि में उन्होंने अपने परिवार के साथ व्रत रखा था, लेकिन घर में बिना ढोल-मजीरे के पूजा करने पर मजबूर होना पड़ा। वहीं, पीड़िता रजनी ने यह भी बताया कि उन्हें और गाँव के अन्य दलितों को मुस्लिम समुदाय के लोग आए दिन गालियाँ और धमकी देते रहते हैं।