जम्मू कश्मीर से खबर आई है कि वहाँ दो सिख लड़कियों का अपहरण कर के जबरन उनका इस्लामी धर्मांतरण करा दिया गया। इनमें से एक लड़की के बारे में कहा जा रहा है कि उसकी शादी जबरन एक मुस्लिम लड़की से कर दी गई। उस लड़की का अब तक पता नहीं चल सका है। जबरन इस्लामी धर्मांतरण का ये मामला शनिवार (जून 26, 2021) को सामने आया। एक घटना घटना बड़गाम जिले की है।
बड़गाम में एक 18 साल की सिख लड़की को लालच देकर उसे फाँसा गया और फिर उसे मुस्लिम बना दिया गया। ‘शिरोमणि अकाली दल’ के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा और ‘शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (SGPC)’ ने भी इस मामले को सोशल मीडिया पर उठाया है और जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा से हस्तक्षेप की माँग की है। दूसरा मामला राजधानी श्रीनगर के महजूर नगर की है।
वो अपनी एक मुस्लिम दोस्त की शादी अटेंड करने गई थी। ये लड़की नाबालिग नहीं थी। वहीं शादी समारोह में आए एक अन्य मुस्लिम लड़के से उसकी जबरन शादी करा दी गई। बड़गाम के गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अध्यक्ष संतपाल सिंह ने बताया कि उस लड़की की दिमागी हालत ठीक नहीं थी। उन्होंने कहा कि एक मुस्लिम युवक ने प्यार और शादी का झाँसा देकर उसे फँसाया। उन्होंने कहा कि एक सिख लड़की को जबरन इस्लाम कबूल करवा दिया गया।
उन्होंने कहा कि ये स्पष्ट रूप से ‘लव जिहाद’ का मामला है और सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि एसपी ने लिखित में आश्वासन दिया था कि सिख लड़की को खोज कर परिवार के हवाले किया जाएगा, लेकिन कोर्ट का आदेश उनके खिलाफ आ गया। उन्होंने बताया कि जज ने मुस्लिम पक्ष के हक़ में फैसला दिया और लड़की को उसे ही सौंप दिया, जो एक तरह का अन्याय है।
संतपाल सिंह ने कहा कि लड़की के परिजनों को कोर्ट के भीतर भी नहीं जाने दिया गया था और उन्हें कोविड-19 प्रोटोकॉल का बहाना बना कर बाहर ही बिठा दिया गया था। पुलिस ने कहा कि अंदर भीड़ होगी, इसीलिए वो बाहर ही बैठें। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम लड़के के परिजनों को कोर्ट के भीतर जाने दिया गया और लड़की के परिवार के बिना ही उसका बयान दर्ज कर लिया गया। पूरी सुनवाई के दौरान लड़की के परिजनों को भीतर बुलाया तक नहीं गया।
संतपाल सिंह की माँग है कि कम से कम 1 सप्ताह के लिए जज को उस लड़की को परिजनों को सौंपना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर इसके बावजूद लड़की मुस्लिम लड़के के साथ जाना चाहती होगी, तो फिर कोई नहीं रोकेगा। उन्होंने प्रदेश के मुस्लिम बहुसंख्यकों से पीड़ितों के पक्ष में खड़े होने की अपील की। उन्होंने याद दिलाया कि मुस्लिम लड़कियों को मुंबई और पुणे से वापस लाकर सिख समुदाय ने ज़रूरत के समय उनकी मदद की थी।
उन्होंने मुस्लिमों से अपील की कि वो आगे आएँ और उनका समर्थन करें, क्योंकि कश्मीर की घाटी में भाईचारा कायम रखने के लिए ये आवश्यक है। उन्होंने बताया कि जिस मुस्लिम लड़के से शादी करा दी गई है, उसकी पहले ही 2-3 शादियाँ हो चुकी हैं। उन्होंने LG से भी अपील की कि लड़की एक सप्ताह परिजनों के साथ रहे और इसके बावजूद अगर वो उसी मुस्लिम लड़के के साथ जाना चाहती है, तो परिजन कुछ नहीं कहेंगे।
इस दौरान वहाँ मौजूद एक अन्य सिख व्यक्ति ने सवाल दागा कि ऐसी कौन सी व्यवस्था है जहाँ लड़की के परिजनों की ही नहीं सुनी जाती? उन्होंने पूछा कि लड़की के परिजनों की सुने बिना जज कैसे फैसला सुना सकता है? साथ ही ये सवाल भी दागा कि एक ही दिन में फैसला सुनाने की क्या जल्दी थी? उन्होंने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा कि लड़की का 4 दिन पहले ही अपहरण कर लिया गया था।
This is biased action towards minority Sikhs & this is not the first case of conversion of Sikh girls in the name of love
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) June 26, 2021
The girl’s family seeks her custody for a week & after that she can choose to take the decision as she wants. It is important that the girl is given freedom pic.twitter.com/koARSyLW0C
उस लड़की को पुलिस ने चन्दूशा से रेस्क्यू किया था। उस लड़की को 2 दिन रिमांड पर रखने के बाद कोर्ट में पेश किया गया। इस मामले को जानने वाले लोगों ने कहा कि जज ने सुनवाई के दौरान पूछा तक नहीं कि लड़की के परिजन कहाँ हैं। सिखों ने जम्मू कश्मीर में भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाने की माँग की। जाँच की माँग करते हुए सिखों ने कहा कि माता-पिता के हस्ताक्षर के बिना लड़की को कैसे किसी को सौंपा जा सकता है?
मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी इन आरोपों की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि घाटी में ‘लव जिहाद’ के कई मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि ये अल्पसंख्यकों के प्रति दोहरे रवैये की ओर इशारा करता है। वहीं तजिंदर सिंह सोढ़ी ने कहा कि कश्मीर में सिखों के साथ पिछले 70 वर्षों से दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है और उनके लिए कुछ नहीं बदला है। उन्होंने कहा कि जहाँ सिख दूसरे समुदाय की लड़कियों की रक्षा करते हैं, हमारे लिए बहुसंख्यक मुस्लिमों में से एक व्यक्ति ने भी आवाज़ नहीं उठाई है।
‘सिख संगत’ ने श्रीनगर जुडिशल कॉम्प्लेक्स में प्रदर्शन भी किया। SGPC ने कहा कि कम से कम लड़की के परिजनों को तो इस कार्रवाई के पहले विश्वास में लेना चाहिए था। स्थानीय एसपी ने फिर से लड़की को उसके परिजनों को सौंपने का आश्वासन देते हुए उनसे प्रदर्शन स्थल खाली करने को कहा। एसपी को एक वीडियो में कहते सुना जा सकता है कि लड़की ने कोर्ट में ड्रामा किया और पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगाया।