कर्नाटक से शुरू हिजाब/बुर्का विवाद (Karnataka Burqa/Hijab Controversy) को हाईकोर्ट द्वारा राज्य के स्कूल-कॉलेजों में धार्मिक कपड़े पहनकर जाने पर लगाए गए रोक को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों ने चिंता व्यक्ति की है। 765 वकीलों, कानून के छात्रों, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक खुला पत्र लिखकर हिजाब पहनने से रोकने को मुस्लिमों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।
BREAKING: 765 persons including lawyers, law students, academicians and social activists express deep concern with the interim order of the Karnataka HC restraining all students from wearing religious clothing and condemn the violation of constitutional rights of muslims.
— LawBeat (@LawBeatInd) February 16, 2022
इन लोगों द्वारा लिए गए एक खुले पत्र में कहा गया है कि मुस्लिम छात्राओं और कर्मचारियों को स्कूलों और कॉलेजों में घुसने से पहले अपना हिजाब उतारने के मजबूर करने वाले जिला प्रशासन के निर्देश देकर उनका सार्वजनिक तौर पर अपमान के कारण उनका ‘सिर शर्म झुक’ गया है।
765 व्यक्तियों के खुले पत्र में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने छात्रों को धार्मिक कपड़े पहनने से रोकने का आदेश ‘संविधान के अनुच्छेद 25 में निहित आस्था की स्वतंत्रता के अधिकार’ से जुड़ा है, ना समझ पर आगे बढ़ता है’, न कि अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 से।
Open letter by 765 persons states that HC order restraining students from wearing religious clothing ‘proceeds on an understanding linked exclusively to the right to freedom of conscience, enshrined in Article 25 of the Constitution’ & not on golden triangle of Art 14,19,21 & 15
— LawBeat (@LawBeatInd) February 16, 2022
खुले पत्र में कहता गया है कि सरकारी प्रतिष्ठानों में वर्दी लागू करना कोई नई बात नहीं। मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहना, सिख लड़कों ने पगड़ी पहनी, अन्य ने वर्दी के साथ अपने शरीर पर अपने धर्म के विभिन्न प्रतीकों को पहना, लेकिन मुस्लिम छात्राओं पर वर्तमान हमले ‘इस्लामोफोबिया’ का संकेत है।
“Students who profess the Hindu faith wear different markers of their faith to school every day including bindi, tilaks, vibuthi – however these markers have never evoked a reaction similar to what we see against Muslim students today”: Open letter by 765 persons states
— LawBeat (@LawBeatInd) February 16, 2022
पत्र में आगे कहा गया है, “जो छात्र हिंदू धर्म को मानते हैं, वे हर दिन स्कूल में बिंदी, तिलक, विभूति जैसे अपनी आस्था के विभिन्न प्रतीक के साथ आते हैं। लेकिन, इन प्रतीकों के खिलाफ वैसी प्रतिक्रिया कभी नहीं देखी गई, जैसी प्रतिक्रिया आज हिजाब पहनकर आने वाली मुस्लिम छात्राओं को लेकर देखने को मिल रही है।”
“We urge Karnataka HC to take judicial notice of public humiliation of Muslim students and staff & immediately pass necessary orders prohibiting any such derogatory practice”: letter signed by 765 persons including senior lawyers, activist Sudha Bharadwaj etc
— LawBeat (@LawBeatInd) February 16, 2022
इन लोगों ने इसे मुस्लिमों का अपमान बताते हुए पत्र में कहा, “हम कर्नाटक HC से मुस्लिम छात्रों और कर्मचारियों के सार्वजनिक अपमान का न्यायिक नोटिस लेने और ऐसी किसी भी अपमानजनक कार्रवाई को रोकने के लिए तुरंत आवश्यक आदेश पारित करने का आग्रह करते हैं।”