नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के चाँदबाग इलाके में दंगाई भीड़ की चपेट में आये एसीपी अनुज कुमार अब सामने आए हैं। हिंसा में जख्मी हुए एसीपी (गोकुलपुरी) अनुज ने बताया कि उस दिन डीसीपी अमित शर्मा भी उन्हीं के सामने जख्मी हुए थे। हिंसा में बलिदान हुए हेड कांस्टेबल रतनलाल भी उन्हीं के साथ थे।
Anuj Kumar,ACP Gokulpuri: On Feb 24,I was taking him(DCP Shahadra Amit Sharma)to hospital as he was injured.Protesters were pelting stones&I too got hit on head. We did not know that Rattan Lal got shot.We took Rattan to GTB hospital,where he could not be revived&later DCP to Max pic.twitter.com/mJjKy336C0
— ANI (@ANI) February 29, 2020
अनुज कुमार ने बताया, “24 फरवरी को मैं शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा को जख्मी होने के बाद अस्पताल ले जा रहा था। इस दौरान भी प्रदर्शनकारी पथराव कर रहे थे और मुझे भी सिर पर चोट लगी। हमें नहीं पता था कि रतनलाल को गोली लग गई थी। हम रतनलाल को जीटीबी अस्पताल ले गए, जहाँ उसे बचाया नहीं किया जा सका और फिर बाद में हम डीसीपी को मैक्स अस्पताल में ले गए।”
दो दिन पहले अस्पताल से छुट्टी पाने वाले एसीपी ने कहा, “हमें निर्देश दिया गया था कि गाजियाबाद की सीमा के साथ सिग्नेचर ब्रिज को जोड़ने वाली सड़क को बंद न किया जाए। लेकिन धीरे-धीरे और लगातार भीड़ बढ़ने लगी और इसमें महिला और पुरुष दोनों ही शामिल थे। वे लगभग 20,000 से 25,000 के बीच थे, जबकि हम केवल 200 थे।” उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि उन्होंने सड़क को बंद करने की योजना बनाई थी जैसा कि उन्होंने पहले किया था।
अनुज कुमार ने बताया कि प्रदर्शन कर रहे लोग सर्विस लेन से सड़क पर आ गए थे। फिर एक अफवाह फैली कि पुलिस की गोलियों से बच्चे मर गए हैं। इसने हिंसा को और भी ज्यादा भड़का दिया। इस अफवाह से भीड़ और जमा हो गई। 15 और 20 मीटर का फासला था। फिर पत्थरबाजी शुरू हो गई।
एसीपी ने बताया कि जब चाँदबाग बाजार इलाके में सीएए विरोधी भीड़ सड़क को घेर रही थी, तभी भीड़ हावी हो गई और पथराव शुरू हो गया था। इसी दौरान डीसीपी शाहदरा अमित शर्मा घायल हो गए। एसीपी ने बताया, “डीसीपी अमित शर्मा के मुँह से खून निकल रहा था। आँखें ऊपर की ओर हो चुकी थी। भीड़ 5-10 मीटर पर थी। हम पर पथराव हो रहा था। फिर मैंने जब डीसीपी को देखा तो आशाहीन हो गया। जैसे-तैसे मैंने खुद को सॅंभाला और डीसीपी को डिवाइडर पर लगी ग्रिल के उस पार किया।”
अनुज कुमार ने बताया कि भीड़ और पुलिस फोर्स के बीच में बेहद कम दूरी थी, इसलिए टियर गैस का भी इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे। फिर अचानक भीड़ हिंसक हो गई। फायरिंग करने पर भीड़ में महिलाओं और बच्चों को गोली लगने की आशंका थी। उपद्रवियों की पहचान मुश्किल थी। अनुज ने बताया कि उपद्रवियों ने इसी बात का फायदा उठाया था। पहले पत्थर और रॉड से हमला किया और फिर फायरिंग भी शुरू कर दी।
बता दें कि कि रविवार (फरवरी 23, 2020) से दिल्ली की सड़कों पर शुरू हुए हिंदू विरोधी दंगों में लगभग 42 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। 200 से अधिक लोग घायल हैं। घायलों में सुरक्षा बलों के करीब 70 लोग शामिल हैं। मृतकों में दिल्ली पुलिस का हेड कांस्टेबल रतन लाल और आईबी के अंकित शर्मा भी शामिल हैं।