लगभग सप्ताह भर से अधिक समय से हैक हुए देश के सबसे बड़े अस्पताल और दिल्ली स्थित AIIMS के सर्वर के मामले में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस हैकिंग के पीछे चीन (China) का हाथ बताया जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि चीन AIIMS के लगभग 4 करोड़ लोगों का डेटा चुरा लिया है और इसे डार्क वेब पर बेच दिया है। इन डेटा में राजनेता, सेलिब्रिटी और बड़े अधिकारियों के डिटेल शामिल हैं।
हैकरों ने AIIMS के पाँच सबसे महत्वपूर्ण सर्वरों को निशाना बनाते हुए उन्हें हैक कर लिया था। इसके बदले हैकरों ने AIIMS से 200 करोड़ रुपए की फिरौती क्रिप्टोकरेंसी में माँगी थी। अब सामने आया है कि हैक किए गए डेटा को इंटरनेट के गुप्त हिस्से डार्क वेब पर इन्हें बेच दिया गया है। कहा जाता है कि डार्क वेब पर AIIMS डेटा के नाम से 1600 बार सर्च किया गया है।
दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटजिक ऑपरेशन (IFSO) यूनिट के सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि AIIMS के कुल पाँच मुख्य सर्वर को हैक किया गया था। FSL की टीम अब डाटा लीक की जाँच कर रही है। उधर, IFSO के अधिकारियों का कहना है कि कोई अस्पताल का कोई भी डेटा गायब नहीं हुआ है। यह पहली बार हैकिंग का मामला IFSO द्वारा सँभाला जा रहा है।
कहा जा रहा है कि साइबर अटैक का उद्देश्य देश की मेडिकल सेवाओं को ठप करना और फिरौती की रकम वसूल करना था। इस हमले के बाद देश की सुरक्षा एजेंसियाँ चौकन्नी हो गई हैं, क्योंकि AIIMS में हाई प्रोफाइल लोगों का भी इलाज होता है और उनके स्वास्थ्य से संबंधित डिटेल होता है। साइबर हमले से स्वास्थ्य सेवाएँ ठप हो जाती हैं और की मरीजों की जान खतरे में आ जाती है। मेडिकल डेटा ना मिलने से मरीजों के जरूरी ऑपरेशन रुक जाते हैं।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने इसे बड़ी साजिश माना है। उन्होंने आशंका जताई है कि इसके पीछे बड़े संगठित गैंग हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि AIIMS सर्वर अटैक कोई सामान्य अटैक नहीं है। यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा है।
राजीव चंद्रशेखर ने आगे कहा कि सरकार डेटा ब्रीच को लेकर डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल लाने जा रही है। उसके लागू होने के बाद एम्स जैसी घटना होने पर पीड़ित व्यक्ति अपनी डेटा प्राइवेसी को लेकर डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड के पास ईमेल भेजकर शिकायत कर सकता है।
बता दें कि हैक होने के 10 दिन बाद भी AIIMS के सर्वर को अभी बहाल नहीं किया जा सका है। हैकरों ने 23 नवंबर 2022 को सर्वर को हैक कर लिया था। सर्वर डाउन होने की वजह से AIIMS में मैनुअली काम हो रहा है। इसके कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
एम्स में नेटवर्क सैनिटाइजेशन का काम चल रहा है। सर्वर और कंप्यूटर के लिए एंटीवायरस की व्यवस्था की गई है। अस्पताल के 5,000 कंप्यूटरों में से लगभग 1,200 कंप्यूटरों पर एंटीवायरस इंस्टॉल कर दिया गया है। वहीं, 50 में से 20 सर्वरों को स्कैन किया जा चुका है।
राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि CERT, NIA और दिल्ली पुलिस मामले की जाँच कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार सरकारी संस्थाओं को साइबर अटैक से बचाने के लिए कई तरह के पुख्ता इंतजाम करती है, लेकिन AIIMS एक स्वायत्त संस्थान है, जो इस काम के लिए प्राइवेट एजेंसियों को हायर करती है। सरकार भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक स्टैंडर्ड तय करेगी।