उत्तर प्रदेश में ज़हरीली शराब को पीने के कारण सहारनपुर के अलग-अलग गाँवों में 16 लोग और कुशीनगर में 10 लोग अपनी जान से हाथ धो चुके है। यूपी में इन ज़हरीली शराबों की वजह से कुल 26 मौतें हो चुकी हैं। साथ ही दर्जनों लोग अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।
ज़ाहिर है ऐसे संवेदनशील मामले पर सरकार द्वारा सख़्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इसलिए प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मामले में सख़्ती बरतते हुए जिलाधिकारियों को जल्द कार्यवाई करने के आदेश भी दिए हैं।
एक तरफ जहाँ इन घटनाओं से प्रदेश में दहशत फैली हुई है और प्रशासन में भी हड़कंप मचा हुआ हैं, वहीं मौके का फ़ायदा उठाते हुए पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस मामले पर भी राजनीति करनी शुरू कर दी। ज़हरीली शराब के कारण लगातार हो रहीं मौतों के बीच अखिलेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तंज कसते हुए इन मौतों का ज़िम्मेदार मुख्यमंत्री योगी और उनकी सरकार को बताया।
अखिलेश के बयान पर बात करने से पहले बता दें कि कुछ दिनों पहले यूपी सरकार ने पूरे राज्य में गोशालाएँ बनाने के लिए गौ कल्याण उपकर (सेस) लगाने का फ़ैसला किया था। इसके तहत 0.5 प्रतिशत सेस शराब के अलावा यह ‘कर’ उन सभी वस्तुओं पर है, जो उत्पाद कर के दायरे में आती हैं। लेकिन अखिलेश ने सरकार के फैसले को अपने बयान के साथ खूब तोड़-मरोड़ कर पेश किया।
अखिलेश ने लखनऊ स्थित सपा के दफ्तर में कहा कि योगी सरकार ने शराब पर गौ कल्याण टैक्स लगाया है। सरकार ने लोगों को लालच दिया है कि गाय सेवा सिर्फ़ तभी अच्छी होगी जब लोग शराब ज्यादा पिएँगे। अखिलेश का कहना है कि ग़रीब को नहीं पता है कि उसे कौन-सी शराब पीनी है। लेकिन सरकार को सब पता है, शराब पीने वालों को बढ़ाना चाहती है। उनका मानना है कि सरकार को यह भी पता है कि कौन ऐसी ज़हरीली शराब बना रहा है।
अखिलेश यादव के ऐसे बयानों को सुनकर लगता है कि योगी सरकार पर लगातार किसी भी मामले में, किसी भी तरह से आरोप लगाने वाले पूर्व सीएम अपना समय भूल गए हैं। योगी सरकार पर उँगली उठाने वाले अखिलेश भूल रहे हैं कि उनके राज में उन्नाव और लखनऊ में 33 लोगों की मौतें ज़हरीली शराब पीने से हुई थी। इसके बाद तात्कालीन सरकार और प्रशासन की ओर से काफ़ी बड़े-बडे़ दावे भी किए गए थे।
ऐसे में अखिलेश का इस मामले पर योगी सरकार को घेरना बेहद शर्मनाक है क्योंकि अखिलेश भी ऐसी स्थिति का सामना अपने शासनकाल में कर चुके हैं। जिनका सामना आज योगी आदित्यनाथ की सरकार कर रही है। अगर कोई शख़्स अपने घर पर शराब पी ले और उसे कुछ हो जाए तो उसकी ज़िम्मेदारी राज्य की नहीं होती। स्थिति को सुधारने पर बात करने से ज़्यादा अखिलेश का सरकार पर आरोप मढ़ना दर्शाता है कि वो सिर्फ़ मौक़ापरस्त राजनीति को हवा दे रहे हैं।
ज़हरीली शराब पीने से कई राज्यों में कभी न कभी दुर्भाग्यपूर्ण मौतें होती रही हैं। ऐसे लोगों पर, जो ऐसी शराब बनाते हैं, किसी सरकार ने एक्शन लिया होगा, किसी ने नहीं। ये हमें पता नहीं चलता क्योंकि मीडिया मौत की संख्या बता कर, सरकारों को कोस कर नए मुद्दे तलाशने में लग जाती है।
ख़ैर, अच्छा होता कि अखिलेश यादव अपनी संवेदनहीनता को, अपने समय में मौत होने के बावजूद, इस बात तक ही सीमित रखते कि उत्तर प्रदेश में ज़हरीली शराब कौन बना रहा है। उनका ये सवाल उचित होता कि प्रशासन आख़िर क्यों इन शराब की भट्टियों को चलने देता है। अगर वो लाइसेंस वाले हैं, तो अखिलेश यादव उन पर हत्या के मुक़दमे चलाने की बात कर सकते थे।
लेकिन नहीं, इन तार्किक बातों को छोड़कर उन्होंने लोगों की मौत को गाय और राजस्व से जोड़ दिया। इस तरह की बयानबाज़ी बताती है कि अखिलेश को लोगों की मौत से कोई लेना-देना नहीं, उन्हें बस मुस्कुराते हुए मज़े लेने की आदत है क्योंकि आजकल बुआ-बबुआ गठबंधन के बाद खाली बैठे हैं।