Friday, November 22, 2024
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चोर औरंगजेब की पिटाई को इस्लामी कट्टरपंथी बता रहे ‘मुस्लिम को हिंदू भीड़ ने मार डाला’, अलीगढ़ मामले में पुलिस ने बताई सच्चाई

पुलिस ने अपने बयान में स्पष्ट कहा है कि औरंगजेब 18 जून की रात को एक हिंदू के घर में चोरी के इरादे से घुसा था... लेकिन इस मामले में सोशल मीडिया पर शुरू में ही ज़ियाद मसरूर खान जैसे लोगों ने दावा करना शुरू कर दिया कि वह अपने दोस्त के गया था और गलती से पड़ोस के घर में घुसा था।

अलीगढ़ में 18 जून 2024 को एक घर में एक चोर घुसते हुए पकड़ा गया। घर के लोगों ने और आसपास की भीड़ ने उसे देखा तो उसे पकड़कर मारा-पीटा गया। इस दौरान चोर को गंभीर चोटें आईं और बाद में अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। चोर का नाम मोहम्मद फरीद उर्फ औरंगजेब था और जिस घर में वो घुसा था वो एक हिंदू का घर था।

अलीगढ़ पुलिस ने इस केस को लेकर अपना बयान भी जारी किया है। एसएसपी अलीगढ़ ने बताया कि थाना गाँधी पार्क में 18 जून को पुलिस को सूचना प्राप्त हुई थी जिसके आधार पर उन्होंने घटनास्थल पर जाकर देखा तो पता कि एक मुस्लिम युवक एक हिंदू के घर में चोरी करने के इरादे से घुसा था। उसके बाद उस परिवार के लोगों ने व स्थानीय लोगों ने उस व्यक्ति के साथ मारपीट की। बाद में उसे तत्काल अस्पताल लेकर जाया गया जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया। इस कार्रवाई के बाद पुलिस अलर्ट हो गई। बॉडी का पोस्टमॉर्टम करवाया गया। फिर उसे सुपूर्द-ए-खाक किया गया।

पुलिस ने बताया कि इस घटना के बाद हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष ने प्रदर्शन किया। इस बीच थोड़ा तनाव भी हुआ। लेकिन, जैसा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट कह रहे हैं कि इलाके में पथराव हुआ, वो जानकारी गलत है। एसएसपी ने कहा कि अधिकारी मौके पर मौजूद थे, पूरे अलीगढ़ में कहीं पर भी कोई पथराव नहीं हुआ है। स्थिति बिलकुल कंट्रोल में है। जो दोनों पक्षों के बीच टेंशन थी, पुलिस उनसे निरंतर वार्ता में है। पुलिस अपने काम में लगी है।

बता दें कि ये पूरा मामला अलीगढ़ के मामू भांजा इलाके में रात 10:15 का है। 35 साल का औरंगजेब घास की मंडी का रहने वाला था। पुलिस ने उसकी लिचिंग मामले में 10 लोगों पर एफआईआर की है। इनमें से 6 को गिरफ्तार किया जा चुका है।

अब इस मामले में हिंदू पक्ष के लोग गिरफ्तार लोगों को रिहा कराने की माँग कर रहे हैं। उनका कहना है कि औरंगजेब 4-6 अन्य मुस्लिमों के साथ हिंदू के घर में घुसा था। पकड़े जाने पर बाकी तो भाग गए, पर औरंगजेब पकड़ लिया गया। इस मामले में हिंदू पक्ष जाँच की माँग कर रहा है ताकि सिर्फ आरोपित गिरफ्तार हों कोई निर्दोष नहीं।

वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से सपा नेता अज्जू इशाक भी शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि देश संविधान और कानून से चलेगा, किसी व्यक्ति को, भले ही वो संदिग्ध हो, मजहबी पहचान पर नहीं मारना चाहिए था। इनके अलावा सोशल मीडिया पर भी इस नैरेटिव को हवा देते देखा जा सकता है।

पत्रकार जैद मसरूर खान ने इस मामले में नया ही एंगल दे दिया। उन्होंने कहा कि ईद के दिन मुस्लिम युवक अपने दोस्त के घर जा रहा था, गलती से किसी और के घर में घुस गया तो उसे पीट दिया गया।

जैद के इस ट्वीट को मोहम्मद जुबैर द्वारा भी रीपोस्ट किया गया था। इसके अलावा मीर फैजल ने भी इस मामले पर हिंदुत्व भीड़ को जिम्मेदार ठहराया। वहीं खुद को पत्रकार कहने वाले एक अन्य इस्लामवादी अलीशान जाफरी ने इस घटना को ‘मुस्लिम विरोधी हमला’ करार दिया था।

इस मामले में औरंगजेब के भाई ने कुछ अलग ही बयान देते हुए पुलिस में एफआईआर कराई थी। मोहम्मद जकी का कहना था कि उसका भाई अपने काम से लौट रहा था जब मामू-भांजा इलाके में कुछ लोगों ने उसे घेरा और उसकी मुस्लिम आइडेंटी जानकर उसकी पिटाई कर दी।

ऊपर दिए गए सारे बयानों से समझ सकते हैं कि मुस्लिम पक्ष के पास औरंगजेब को लेकर अलग थ्योरी थी, मगर अब जब पुलिस ने इस मामले को साफ कर दिया है कि ये मामला चोरी का था और औरंगजेब चोरी के इरादे से हिंदू के घर में घुस रहा था, तो कुछ बातें समझने की जरूरत है।

पहले तो इस केस में ये मानने से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भले ही औरंगजेब चोरी करने की नीयत से घर में घुसा था… लेकिन फिर भी भीड़ को उसे पकड़ने के बाद कानून हाथ में लेकर उसे पीटना नहीं चाहिए था। उसे पुलिस को सौंपा जा सकता था, उसके खिलाफ कंप्लेन हो सकती थी या फिर उसे समझाकर, चेतावनी देकर मानवता के आधार पर छोड़ा भी जा सकता था, पर हुआ ऐसा कुछ भी नहीं, जो कि गलत था।

दूसरा ये कि जो लोग इस मामले में हिंदुओं को बदनाम कर रहे हैं उन्हें ये जान लेने की जरूरत है कि किसी भी शख्स के घर में जब कोई चोर घुसता है तो पहले उसे उसकी मजहबी पहचान पूछकर नहीं पकड़ा जाता है। लोग उसे पकड़ने दौड़ते हैं और पकड़ने के बाद उनकी प्रतिक्रिया एक होती है। घटना में हिंदुत्वादी भीड़ कह कहकर हिंदुओं को बदनाम करना दुष्प्रचार से अधिक कुछ भी नहीं है। अगर औरंगजेब की जगह वहाँ कोई और धर्म का चोर होता तो भी भीड़ शायद वही प्रतिक्रिया देती और पुलिस की कार्रवाई में तब भी आरोपितों को गिरफ्तार किया जाता।

नोट- ये खबर अमित केलकर द्वारा मूल रूप से अंग्रेजी में लिखे गए लेख पर आधारित है। आप इसे इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

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Amit Kelkar
Amit Kelkar
a Pune based IT professional with keen interest in politics

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