इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए धार्मिक शिक्षा पर फंडिंग को लेकर बुधवार (1 सितम्बर, 2021) को यूपी की योगी सरकार से कई बिंदुओं पर जानकारी माँगी है। हाईकोर्ट ने सवाल किया कि क्या एक धर्म निरपेक्ष राज्य मदरसों को फंडिंग कर सकता है? क्या संविधान के अनुच्छेद-28 के तहत मदरसे धार्मिक शिक्षा और पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकते हैं? यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने प्रबंध समिति मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की याचिका पर दिया है। मदरसे ने अतिरिक्त पदों पर भर्ती के लिए माँगी गई अनुमति को योगी सरकार द्वारा खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी।
Allahabad High Court seeks UP Govt’s response in 4 week’s time over state funding of religious educational institutions like madarsas, especially whether the state funding to madrasas and other religious institutions is consistent with the Indian Constitution’s secular scheme pic.twitter.com/v7TO92nquT
— ANI UP (@ANINewsUP) September 2, 2021
हाईकोर्ट ने योगी सरकार से ये भी पूछा कि क्या मदरसों में महिलाओं को प्रवेश मिलता है? अगर नहीं मिलता तो क्या ये विभेदकारी नहीं है? हाईकोर्ट ने पूछा है कि स्कूलों में खेल मैदान रखने के अनुच्छेद 21 व 21ए की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है? क्या अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के धार्मिक शिक्षा संस्थानों को सरकार फंड दे रही है? कोर्ट ने पूछा कि क्या मदरसे संविधान के अनुच्छेद 25 से 30 तक प्राप्त मौलिक अधिकारों के तहत सभी धर्मों के विश्वास को संरक्षण दे रहे हैं?
हाईकोर्ट ने राज्य की योगी सरकार से पूछे ये सवाल
- क्या मदरसे अनुच्छेद 28 के तहत धार्मिक शिक्षा दे सकते हैं?
- क्या सरकार दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों के धार्मिक शिक्षा संस्थानों को फंड दे रही है?
- क्या मदरसों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है?
- क्या मदरसे 25 से 30 तक प्राप्त मौलिक अधिकारों के तहत सभी धर्मों के विश्वासों को संरक्षण दे रहे हैं?
- क्या यहाँ अनुच्छेद 21 और 21ए के तहत खेल के मैदान हैं?
कोर्ट ने इन सभी सवालों का राज्य की योगी सरकार से चार हफ्ते में जवाब माँगा है। याचिका की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी।
यह आदेश जस्टिस अजय भनोट ने प्रबंध समिति मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की याचिका पर दिया है. यह मदरसा, मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है और राजकीय सहायता प्राप्त है। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि मदरसों के पाठ्यक्रम, शर्तें, मान्यता का मानक, खेल मैदान की अनिवार्यता के पालन किया जा रहा है।
हाईकोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले अन्य धर्मों के लिए कोई शिक्षा बोर्ड है? कोर्ट ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष राज्य की स्कीम है तो सवाल है कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा देने वाले स्कूलों को फंड दे सकती है। सरकार की ओर से जवाब दाखिल होने पर कोर्ट मामले की सुनवाई करेगी।
वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए मौलवी सुफियान निजामी ने कहा, “अदालत को यह समझने की जरूरत है कि मदरसों में केवल धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती। इसके अलावा राज्य सरकार दूसरे समुदायों से जुड़ें त्योहारों एवं धार्मिक आयोजनों पर भी पैसे खर्च करती है।”