मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि के विवादित हिस्से की वीडियोग्राफी की जाएगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने यह आदेश दिया है। यह उसी तरह होगा जैसे वाराणसी में ‘ज्ञानवापी मस्जिद’ की हुई थी।
हाई कोर्ट ने सोमवार (29 अगस्त 2022) को श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह विवाद (Sri Krishna Janmabhoomi Shahi Idgah) मामले में यह आदेश दिया। जस्टिस पीयूष अग्रवाल की बेंच ने मामले की सुनवाई की। वीडियोग्राफी कराकर 4 महीने में सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया गया है।
मनीष यादव ने पिछले साल मथुरा की जिला अदालत में याचिका दाखिल कर मथुरा के विवादित परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराने की माँग की थी। लेकिन अब हाई कोर्ट ने इस मामले में पूरी तस्वीर ही साफ कर दी है। वीडियोग्राफी सर्वे के लिए एक वरिष्ठ वकील को आयुक्त और दो अन्य वकील सहायक आयुक्त नियुक्त किए जाएँगे।
आज तक से बात करते हुए मनीष यादव ने कहा, “विवादित ढाँचे के सर्वे की अर्जी पर सुनवाई मथुरा की जिला अदालत में एक साल से लंबित थी। हाई कोर्ट ने अब साफ कह दिया है कि 4 महीने के अंदर सर्वे कराकर रिपोर्ट सौंपिए।” उन्होंने कहा, “हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसे हम मथुरा जिला अदालत में दाखिल करेंगे। उसके बाद से चार महीने के अंदर सर्वे और वीडियोग्राफी पूरी की जाएगी। ज्ञानवापी की ही तरह यहाँ भी वीडियोग्राफी सर्वे होगा और सर्वे ही इस मुकदमे की पहली सीढ़ी है।”
मनीष यादव ने खुद को भगवान श्रीकृष्ण का प्रत्यक्ष वंशज बताते हुए कोर्ट में आवेदन देकर ईदगाह ढाँचे का सर्वेक्षण कराने के लिए पैनल बनाने की माँग की थी। अपने आवेदन में यादव में कहा था कि सर्वे के लिए तीन सदस्यीय कोर्ट कमिश्नर का पैनल नियुक्त किया जाए और ईदगाह के बंद कमरों को खोल कर इसका सर्वे कराया जाए। इस दौरान उन्होंने पुलिस सुरक्षा की भी माँग की थी। बता दें कि मथुरा सिविल कोर्ट में 26 मई 2022 को सुनवाई के दौरान श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट ने कहा था कि शाही ईदगाह ढाँचा की जमीन सहित आसपास के 13.37 एकड़ जमीन मंदिर के हैं। इसके साक्ष्य के रूप में ट्रस्ट ने कोर्ट को दस्तावेज भी सौंपे थे।