इलाहाबाद उच्च-न्यायालय ने हाल ही में उस छात्र के खिलाफ जाँच का आदेश दिया, जिसने अपने शिक्षिका पर इसे धर्मांतरण के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया था। उक्त छात्र ने ये भी आरोप लगाया था कि शिक्षिका उसके साथ यौन संबंध बनाने का भी दबाव दे रही थी। जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान और राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने ये आदेश दिया। हाईकोर्ट को एक स्वतंत्र जाँच के बारे में सूचना मिली थी, जिसमें दावा किया गया था कि छात्र की कुछ करतूतों को छिपाने के लिए शिक्षिका पर ये आरोप लगाए गए हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में उक्त छात्र के किरदार की जाँच आवश्यक है, क्योंकि इस स्वतंत्र जाँच में निकले निष्कर्षों की पुष्टि होती है तो उक्त छात्र और उसके पिता के खिलाफ आपराधिक मामला चलाया जा सकता है। छात्र के पिता ने ही इस मामले में FIR दर्ज करवाई थी। कानपुर के पुलिस कमिश्नर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि वो साइबर सेल को इस मामले की जाँच सौंपे, जो पता लगाएगी कि कहीं छात्र ने शिक्षिका के नाम से कोई फेक सोशल मीडिया आईडी तो नहीं बनाई थी।
कानपुर के उक्त स्कूल के प्रिंसिपल ने इस संबंध में याचिका दायर की थी। छात्र के पिता की शिकायत पर जुडिशल मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद इस मामले की FIR दर्ज की गई थी। पिता ने दावा किया था कि 30 सितंबर, 2023 को जब उन्होंने अपने नाबालिग बेटे का मोबाइल फोन चेक किया तो उसमें शिक्षिका के मैसेज मिले, जिसमें वो सेक्स करने के लिए दबाव बना रही थी। चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के पास भी इसकी शिकायत दर्ज है। आरोपों के बाद महिला टीचर को नौकरी से निकाल दिया गया था।
Student Accuses Teacher of Attempting Conversion, Establishing Sexual Relation: Allahabad High Court Orders Probe https://t.co/QrLbjFaEl6
— LawTrend (@law_trend) May 24, 2024
स्कूल ने एक स्थानीय रिटायर्ड सिविल सेवा अधिकारी, एक अन्य स्कूल के प्रिंसिपल और एक स्कूल के कर्मचारी का पैनल बनाते हुए उन्हें इस मामले की जाँच की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके निष्कर्ष में बताया गया कि एक डांस प्रतियोगिता के दौरान छात्र ने शिक्षिका का मोबाइल फोन लेकर उसके नाम से फेक आईडी बना ली थी। इसके बाद उसने उस फेक आईडी का इस्तेमाल कर के चैटिंग करना और उस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। स्कूल का कहना है कि छात्र के आरोप बेबुनियाद हैं।