इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि सप्तपदी के बिना हिंदुओं में शादी मान्य नहीं है। ये हिंदुओं के विवाह की सबसे महत्वपूर्ण शर्त है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर 2023 को ये फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर शादी में सारी प्रक्रिया पूरी कर दी जाए और अग्नि के फेरे ना लिए जाएँ तो वह विवाह संपन्न नहीं माना जाएगा।
हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि एक हिंदू विवाह को तभी वैध माना जाएगा यदि वह ‘शादी के सभी रीति-रिवाजों के साथ’ संपन्न हुआ हो। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्मृति सिंह द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान ये फैसला दिया।
स्मृति ने हाईकोर्ट के सामने गुहार लगाई थी कि उनके पति ने उनके खिलाफ मिर्जापुर में एक मामला दाखिल किया है। इसमें उन पर दूसरी शादी करने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में स्थानीय कोर्ट ने समन जारी किया तो महिला ने हाईकोर्ट में अर्जी लगाई कि शिकायत पर कार्रवाई को रोका जाए, क्योंकि आरोप गलत है।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने की। स्मृति ने बताया कि उनके पति ने ये मामला इसलिए दायर किया, क्योंकि उन्होंने 2017 में शादी होने के बाद जब परिजनों के साथ नहीं बनी तो वो अपने मायके चली गई थीं। उन्होंने पति और उनके परिजनों के खिलाफ मामला भी दर्ज कराया था।
महिला का कहना है कि इसके बदले में उनके पति की तरफ से ‘दूसरी शादी’ के मनगढंत आरोप लगाकर मिर्जापुर में आईपीसी की धारा 494 (द्विविवाह) और 109 (उकसाने की सजा) के तहत मामला दर्ज कराया था, जिसमें उनके खिलाफ समन जारी किया गया है। इसके बाद जस्टिस संजय कुमार सिंह की ये टिप्पणी आई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि स्मृति सिंह के पति ये साबित करने में नाकामयाब रहे कि स्मृति ने दूसरी शादी कर ली, क्योंकि उन्होंने दूसरी शादी से जुड़े ‘सप्तपदी’ का सबूत नहीं दिया। ऐसे में उनके आरोप गलत हैं। कोर्ट ने स्मृति सिंह को राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज मामले में कार्रवाई रोकने के निर्देश दिए हैं।
सप्तपदी के बारे में जानें
सप्तपदी हिंदू विवाह की एक महत्वपूर्ण रस्म है। यह अग्नि के चारों ओर सात चक्कर लगाने की प्रक्रिया है। इन सात चक्करों को सात वचनों का प्रतीक माना जाता है जो वर-वधू एक-दूसरे को देते हैं।
सप्तपदी की प्रक्रिया इस प्रकार है:
वर और वधू को अग्नि के सामने खड़ा किया जाता है।
वर वधू के दाहिने हाथ को अपने बाएँ हाथ में पकड़ता है।
वर-वधू एक-दूसरे के सामने खड़े होकर सात चक्कर लगाते हैं।
प्रत्येक चक्कर के दौरान, वर-वधू एक-दूसरे को एक वचन देते हैं।
सातवें चक्कर के बाद, वर-वधू अग्नि के चारों ओर एक साथ खड़े होते हैं।
सात वचन इस प्रकार हैं:
पहला वचन: मैं तुम्हें अपना पति/पत्नी मानता/मानती हूँ।
दूसरा वचन: मैं तुम्हें अपना जीवनसाथी मानता/मानती हूँ।
तीसरा वचन: मैं तुम्हारी खुशी के लिए जीने का वादा करता/करती हूँ।
चौथा वचन: मैं तुम्हारी इच्छाओं का सम्मान करने का वादा करता/करती हूँ।
पाँचवाँ वचन: मैं तुम्हारी रक्षा करने का वादा करता/करती हूँ।
छठा वचन: मैं तुम्हें अपना जीवन भर प्यार करने का वादा करता/करती हूँ।
सातवाँ वचन: मैं तुम्हारे साथ बुरे और अच्छे समय में रहने का वादा करता/करती हूँ।
सप्तपदी हिंदू विवाह की एक महत्वपूर्ण रस्म है। यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो वर-वधू को एक-दूसरे के प्रति अपने वचनों को दोहराने का अवसर देता है। यह एक ऐसा क्षण है जब वे अपने जीवन को एक साथ बिताने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।