उत्तर प्रदेश के किठौर में पकड़े गए हथियार तस्करों का अमरोहा कनेक्शन सामने आया है। अमरोहा में पिछले साल आतंकी संगठन आईएस के नए मॉड्यूल का पर्दाफ़ाश हुआ था। एक आरोपित अमरोहा में लंबे समय से रहा था, तो दूसरा आरोपित आईएस माड्यूल के संदिग्ध आतंकी के गाँव से ताल्लुक रखता है। आतंकी गतिविधियों की सूचना मिलने पर मेरठ पुलिस ने इसकी जाँच शुरू कर दी है। यह गिरोह पिछले करीब दो साल से हथियार सप्लाई कर रहा था।
ख़बर के अनुसार, शुक्रवार (27 सितंबर) को मेरठ पुलिस की सर्विलांस टीम ने किठौर के शाहजहाँपुर कस्बे में एक घर में छापा मारकर हथियारों की फैक्ट्री पकड़ी थी। शनिवार (28 सितंबर) को एसएसपी अजय साहनी ने पुलिस लाइन में प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर इसका ख़ुलासा किया। उन्होंने बताया कि पाँच आरोपियों फैमुद्दीन, इमरान, मशीउल्लाह, नवेद और बाबू को गिरफ़्तार किया गया है। इनके पास से तीन बंदूकें, पाँच तमंचे समेत भारी मात्रा में अधबनी राइफल, तमंचे व हथियार बनाने के सामान बरामद हुए हैं।
एसएसपी ने बताया कि हथियार बनाने की यह फैक्ट्री शाहजहाँपुर निवासी मशीउल्लाह के घर चल रही थी।
मशीउल्लाह के बारे में पता चला है कि वो पेशे से ड्राइवर है। किठौर में रहने वाले ड्राइवर इमरान निवासी जिसौरी, थाना मुंडाली से उसकी दोस्ती थी। इमरान के बड़े भाई की ससुराल हापुड़ में सिंभावली के मुरादपुर गाँव में है। वहाँ फैमुद्दीन की भी रिश्तेदारी थी। फैमुद्दीन तमंचे बनाने में माहिर है। यहीं से तीनों संपर्क में आए।
बाबू नाम का शख़्स अवैध असलाह बनाने के लिए बंदूक की बैरल व अन्य मैटेरियल का इंतजाम करता था। पता चला है कि वो यह सारा सामान हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर और किठौर से ख़रीदता था। असलाह तैयार होने के बाद मुख्य आरोपित राशिद उर्फ सद्दीक अपनी कार-बाइक से इन्हें हापुड़, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, अमरोहा, गजरौला, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, मेरठ, सहारनपुर आदि जिलों में सप्लाई करता था।
पुलिस पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि उन्हें एक दिन की मज़दूरी के रूप में एक हज़ार रुपए मिलते थे। तीन दिन की ट्रेनिंग मिलने पर वे अवैध असलहे बनाने लगे। उन्होंने बताया किया कि वो लोग सुबह 11 बजे से शाम पाँच बजे तक काम करते थे। आरोपितों ने बताया कि वो अब तक 20-25 अवैध हथियार बना चुके हैं, जिन्हें राशिद की फ़ैक्ट्री में ले जाया गया था।