प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में ‘आन्दोलनजीवी’ शब्द का प्रयोग किया। पीएम ने राज्यसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों में एक नई जमात सामने आई है- आंदोलनजीवियों की, जो कि वकीलों का आंदोलन हो, छात्रों का आंदोलन हो, सब जगह पहुँच जाते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि ये आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं, देश को इन आंदोलनजीवियों से बचाने की जरूरत है। पीएम मोदी के इस बयान के ट्विटर पर चर्चा बनते ही प्रशांत भूषण ने फ़ौरन इसका एक उदाहरण पेश कर दिया, और साबित कर दिया कि वो ना ही श्रमजीवी हैं ना ही बुद्धिजीवी।
दरअसल, ट्विटर पर लेफ्ट-लिबरल्स के मसीहा बनने वाले प्रशांत भूषण ने रविवार (फरवरी 07, 2021) को एक वीडियो रीट्वीट किया जिसमें लिखा था, “चरखी दादरी पर आज किसान आंदोलन।” प्रशांत भूषण ने इसे रीट्वीट करते हुए लिखा, “बंगाल जीतने के चक्कर में शायद भाजपा उत्तर प्रदेश खो दिया है।”
वास्तव में, प्रशांत भूषण को ये जानकारी ही नहीं थी कि चरखी-दादरी उत्तर प्रदेश नहीं बल्कि हरियाणा राज्य में स्थित है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के कंचन गुप्ता ने प्रशांत भूषण के ट्वीट का स्क्रीनशॉट ट्वीट करते लिखा, “चरखी दादरी हरियाणा में है। याद है 1996 में सऊदी और कज़ाख (कजाकिस्तान) विमान इस जगह पर टकरा गए थे और खेत जली लाशों से भरे हुए थे? RSS कार्यकर्ता तब सबसे पहले मौके पर मदद करने वाले लोग थे और वो मानव अवशेष एकत्र कर रहे थे। मरने वाले यात्रियों में से अधिकांश मुस्लिम थे। उस दिन तुम कहाँ थे?”
कंचन गुप्ता ने लिखा कि वो उस दिन वहाँ मौजूद थे। गौरतलब है कि नवंबर 12, 1996 को चरखी-दादरी जगह पर ही हवा में दो विमान टकरा गए थे। इस विमान हादसे में करीब 349 लोगों की मौत हो गई थी। यात्रियों के शव लगभग 10 किमी के दायरे में फैले थे। यह हादसा देर शाम हुआ था इसलिए बचाव और राहत के काम में काफी दिक्कतें आई थीं और आरएसएस ने तब राहत और बचाव कार्य में मदद की थी।
Charkhi Dadri is in #Haryana. Remember Saudi and Kazakh planes collided over this place in 1996 and fields were littered with charred bodies? RSS workers were first responders, collecting human remains. A vast majority of passengers who died were Muslims. Where were you that day? pic.twitter.com/fjiSA8f9Gg
— Kanchan Gupta (@KanchanGupta) February 8, 2021
प्रशांत भूषण का यह ट्वीट प्रधानमंत्री के आज के भाषण के बाद एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। लोगों का कहाँ है कि प्रशांत भूषण ना ही बुद्धिजीवी है क्योंकि उसे चरखी-दादरी तक का पता नहीं, ना ही वह श्रमजीवी है, क्योंकि वो विमान हादसे के दिन भी कहीं मौजूद नहीं थे। बाकी जो एक कैटेगरी अब बचती है, वह है- आन्दोलनजीवी की और उसका सबसे बेहतरीन उदाहरण प्रशांत भूषण हैं ही।
पीएम मोदी ने कहा कि कुछ बुद्धिजीवी होते हैं, लेकिन कुछ लोग आंदोलनजीवी हो गए हैं, देश में कुछ भी हो वो वहाँ पहुँच जाते हैं, कभी पर्दे के पीछे और कभी फ्रंट पर, ऐसे लोगों को पहचानकर हमें इनसे बचना होगा क्योंकि ये आंदोलनजीवी ही परजीवी हैं, जो हर जगह मिलते हैं।