असम के मोरीगाँव की जिला अदालत ने बाल विवाह मामले में एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं, एक अन्य आरोपित को 20 साल की जेल की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश ने इस केस के आरोपित अमीर अली को आजीवन कारावास तथा आरोपि फिरदौस आलम को 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
मोरीगाँव जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक समीरन बैश्य ने कहा कि यह फैसला 6 मार्च को मोइराबारी पुलिस स्टेशन में दर्ज केस नंबर-182/21 के संबंध में आई है। इसमें IPC की धारा 120(B)/376DA, पॉक्सो की धारा R/W-Sec 6 और बाल विवाह निषेध अधिनियम की आर/डब्ल्यू धारा 9/10/11 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
बैश्य ने कहा, “यहाँ यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि मुकदमे की प्रक्रिया की निगरानी के दौरान यह पता चला है कि मेराजुल इस्लाम नाम के एक व्यक्ति ने पीड़ित और अन्य गवाहों को आरोपित के पक्ष में सबूत देने के लिए धमकी दी थी। इसके साथ ही उसे रिश्वत की भी पेशकश की थी। उसे अदालत परिसर से गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया है।”
इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली राज्य की भाजपा सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की थी। इस मामले में पुलिस ने राज्य भर में 4000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था। हाल ही में असम सरकार ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को भी निरस्त कर दिया था।
इस बीच सीएम सरमा ने प्रतिज्ञा की है कि जब तक वे जीवित हैं, असम में बाल विवाह नहीं होने देंगे। इससे पहले विधानसभा में एक जोशीले भाषण में उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों को चुनौती देते हुए कहा था, “मैं आपको राजनीतिक रूप से चुनौती देना चाहता हूँ। मैं इस दुकान को 2026 से पहले बंद कर दूँगा।”
उन्होंने आगे कहा था, “मेरी बात ध्यान से सुनो जब तक मैं जीवित हूँ, मैं असम में बाल विवाह नहीं होने दूँगा। जब तक हिमंता बिस्वा सरमा जीवित है, तब तक ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। मैं आपको राजनीतिक रूप से चुनौती देना चाहता हूँ कि मैं 2026 से पहले इस दुकान को बंद कर दूँगा।”