देश भर में भारत सरकार के अग्निपथ स्कीम के विरोध के बीच एक बार फिर से सेना ने देश सेवा के जज्बे को दिखाया है। बाढ़ प्रभावित असम में भारतीय सेना के अधिकारी कैप्टन दास ने खुद से पहले दूसरों की सेवा का अनुपम उदाहरण पेश किया है। रूपम दास का खुद का परिवार बाढ़ में फँसा हुआ था, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह किए बिना ही 100 से भी अधिक लोगों की जान बचाई।
असमी आर्मी के सैन्य अधिकारी रूपम दास विनाशकारी बाढ़ का सामना कर रहे अपने गृह राज्य में बाढ़ग्रस्त इलाकों में बचाव अभियान चला रहे हैं। असम के पाठशाला के रहने वाले दास के प्रयासों की सराहना करते हुए सेना ने रविवार को कहा, “सेना द्वारा बाढ़ बचाव अभियान के दौरान, समर्पित अधिकारी ने अपने परिवार के सदस्यों के फँसे होने के बावजूद सौ से अधिक लोगों की जान बचाई।”
बयान में कहा गया, “उनकी कार्रवाई मानवता और राष्ट्र के लिए निस्वार्थ सेवा का एक असाधारण उदाहरण है। इस तरह के प्रेरक कार्य असाधारण मानवीय मूल्यों और मजबूत सैन्य सौंदर्य को प्रकट करते हैं और देश के युवाओं में मूलभूत गुणों को प्रदर्शित करते हैं।”
गौरतलब है कि असम में बाढ़ के हालात को देखते हुए चार दिन पहले बचाव अभियान के लिए सेना की टुकड़ियों को उतारा गया था। सेना की चौदहवीं बटालियन ने प्रदेश के सात जिलों में 4,500 से अधिक लोगों को बचाया है। वहीं रविवार को नौ और लोगों की मौत हो गई थी। इनमें से 6 की बाढ़ और तीन की लैंड स्लाइड की चपेट में आने से मौत हुई थी। इसी के साथ मरने वालों की कुल संख्या 71 हो गई।
बता दें कि असम की बाढ़ में 33 जिलों में 42.28 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। रेलवे ने कई ट्रेनों को रद्द कर दिया है। मीडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बनाए गए 223 शिविरों में से 44 में पानी आ गया है।
इससे पहले रविवार को भी डिब्रूगढ़ में ब्रह्मपुत्र नदी में एक नाव के पलट जाने से चार लोगों के लापता होने की खबर सामने आई थी। असम के अलावा मेघालय भी बाढ़ और भूस्खलन से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।