हालिया हिंसा के बाद असम और मिजोरम की सरकारें शांति बहाली की दिशा में प्रयास कर रही है। इस घटना के बाद से असम की दो महिला अधिकारी खासी चर्चा में हैं। ये दोनों अधिकारी इन दिनों सीमा वाले इलाके में दिन-रात पेट्रोलिंग कर रही हैं। कछार की डेप्युटी कमिश्नर (DC) कीर्ति जल्ली और एसपी रमनदीप कौर को असम-मिजोरम सीमा पर अस्थिर स्थिति से निपटने के लिए हर ओर से तारीफ मिल रही है। खुद सीएम हिमंत बिस्वा शर्मा ने दोनों अधिकारियों पर भरोसा जताया है।
26 जुलाई को हुई हिंसक झड़प में असम के 6 पुलिस अधिकारियों की मौत हुई थी। इसके बाद से ही बॉर्डर पर हालात तनावपूर्ण हैं। इस बीच मिजोरम से सटे जिले में तैनात इन महिला अधिकारियों से सीएम हिमंत बिस्वा शर्मा अभिभूत हैं। उन्होंने दोनों अधिकारियों की तुलना ‘माँ दुर्गा’ से की है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “मुझे उन पर पूरा विश्वास है और किसी अन्य की अपेक्षा महिलाएँ बेहतर तरीके से यह जॉब कर सकती हैं। एक महिला माँ दुर्गा का दूसरा रूप होती है।” कीर्ति कुछ समय से कछार की डीसी हैं जबकि रमनदीप हिंसा वाले दिन कछार बुलाई गईं। वह पहले हालाकांडी में तैनात थीं जो मिजोरम के साथ सीमा साझा करता है।
कीर्ति कहती हैं, “सीएम ने जो नारी शक्ति के बारे में कहा, वह हमारे लिए बड़ी तारीफ है और हमें गर्व इस बात का है कि उन्होंने हम पर भरोसा जताया।” उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने हाल ही में ‘पुष्टि निर्भोर’ (‘Pushti Nirbhor’) नामक परियोजना पर स्वास्थ्य श्रेणी के तहत प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर जिले को गौरवान्वित महसूस कराया। ‘पुष्टि निर्भोर’ पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के साथ मिलकर चलाई जा रही एक योजना है जिसका मकसद गाँवों का समग्र विकास है।
वहीं नारी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए कछार उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने कटिगोरा के दीन्नाथपुर बगीचा में महिलाओं के लिए ‘ममोनी बाजार’ के नाम से एक मार्केट शेड की शुरुआत की है । डीएमएफटी (जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट) के तहत 10 लाख रुपए की लागत से मार्केट शेड का निर्माण किया गया था।
शादी के लिए नहीं ली छुट्टी
बता दें कि कीर्ति जल्ली ड्यूटी को अपने व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं से ऊपर रखती हैं। राज्य में कोरोना वायरस के कहर के बीच उन्होंने अपनी शादी के लिए छुट्टी पर जाने से इनकार कर दिया था। 2013 बैच की अधिकारी जल्ली ने अपने परिवार और दोस्तों से कहा कि वह अपनी शादी के लिए हैदराबाद नहीं जा सकेंगी। इसके बाद उनके पति आदित्य शशिकांत ने उनकी पोस्टिंग वाले स्थान पर जाने का फैसला किया, जिसके बाद आईएएस अधिकारी सिलचर में एक सादे समारोह में शादी के बँधन में बँध गई। जल्ली की तरफ से सिर्फ उनकी बहन शादी में शामिल हो पाईं थीं। जल्ली ने शादी के अगले दिन ही ड्यूटी ज्वाइन कर लिया था।
जल्ली को एक मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 रोगियों के लिए आईसीयू यूनिट के निर्माण कार्य की देखरेख की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने अपने परिवार से कहा कि जब उनके जिले में मामलों की संख्या बढ़ रही है तो उन लोगों को छोड़ना उचित नहीं होगा। शशिकांत के साथ बातचीत करने के बाद, उन्होंने उनसे कहा कि वह सिलचर में अपने आधिकारिक बंगले में शादी कर ज्यादा खुश होंगी। उनके परिवार, ससुराल वालों, खासकर उनके होने वाले पति शशिकांत ने उनके फैसले का सम्मान किया।
जल्ली ने सभी आवश्यक सुरक्षा उपायों का पालन करके शादी करने के बाद पीटीआई से बात करते हुए कहा था, “मैं अपनी शादी के लिए छुट्टी लेने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी। मैं समझती हूँ कि यह किसी के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना है, लेकिन मैं अपने जिले से दूर जाने की कल्पना नहीं कर सकती, जहाँ औसत सकारात्मक मामले लगभग 100 हैं और मैं लोगों की जान बचाने के लिए लड़ रही हूँ।”
शव निकालने का काम
रमनदीप कौर ने बताया, “26 जुलाई को हमारे 6 जवानों की हत्या और कछार जिले के एसपी के घायल होने के बाद मुझे बुलाया गया। जैसे ही मैं वहाँ पहुँची, मुझे सभी मृत पुलिसकर्मियों के शव और घायल जवानों को निकालने का टास्क सौंपा गया।” जिस दिन से हिंसा शुरू हुई, दोनों अधिकारी बुलेटप्रूफ गाड़ी से जाकर सीमा वाले इलाके की पेट्रोलिंग करती हैं। इस दौरान उन्हें घने जंगलों में रहना पड़ता है। आधी रात के बाद घने जंगलों में कैसे रहती हैं, इस पर रमनदीप बताती हैं, “हमारे लिए दिन कभी खत्म नहीं होता।” रमनदीप और उनकी बैचमैट कीर्ति मानती हैं कि उन्हें जो वाहवाही मिल रही है उसके मायने सिविल सेवकों को आमतौर पर मिलने वाली प्रशंसा से हटकर हैं।