Monday, November 18, 2024
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सड़क दुर्घटना में मारा गया असम में थाना जलाने वाला अशिकुल इस्लाम, पुलिस से भाग रहा था: शराबी की मौत पर 2000 की भीड़ ने की थी हिंसा

तलाशी अभियान समाप्त होने के बाद आरोपित ने रास्ते में कार से भागने की कोशिश की, तभी उसके पीछे चल रहा वाहन गलती से उसके ऊपर चढ़ गया।

असम (Assam) के नौगाँव जिले के बटाद्रवा पुलिस स्टेशन में पिछले हफ्ते लोगों को आगजनी के लिए उकसाने वाले आरोपित की मौत हो गई ​है। पुलिस ने बताया कि आरोपित पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश में एक सड़क दुर्घटना में मारा गया। वहीं इस मामले में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। नौगाँव की पुलिस अ​धीक्षक एसपी लीना डोले ने कहा कि रविवार (29 मई, 2022) को पुलिस ने आरोपित आशिकुल इस्लाम के खिलाफ मामला दर्ज किया था और हम उसे पूछताछ के लिए अपने साथ ले गए थे। पूछताछ के दौरान आशिकुल ने अपना जुर्म कबूल किया था कि उसने अपने घर में हथियार रखे थे।

डोले ने आगे कहा कि इसके बाद हमारी टीम हथियारों की तलाश में निकल गई। तलाशी अभियान समाप्त होने के बाद आरोपित ने रास्ते में कार से भागने की कोशिश की, तभी उसके पीछे चल रहा वाहन गलती से उसके ऊपर चढ़ गया। उसे गंभीर अवस्था में अस्पताल ने भर्ती कराया गया, जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया।

इससे पहले दिसंबर 2021 में, जोरहाट में एक छात्र नेता की लिंचिंग के मुख्य आरोपित नीरज दास की इसी तरह से मौत हो गई थी। वह कथित तौर पर हिरासत से भागने की कोशिश कर रहा था, तभी पुलिस एक गाड़ी गलती से उसके ऊपर चढ़ गई थी।

क्या है मामला

उल्लेखनीय है कि असम के नौगाँव जिले के बटाद्रवा पुलिस स्टेशन में कथित तौर पर एक मुस्लिम व्यक्ति शफीकुल इस्लाम (Shafiqul Islam) की मौत के बाद कट्टरपंथियों की करीब 2000 की भीड़ ने बीते हफ्ते थाने पर हमला कर उसे आगे के हवाले कर दिया था। इस मामले में जिला प्रशासन ने 22 मई को आरोपित 5 परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलाकर उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था। इस मामले में तीन अन्य लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।

घटना को लेकर असम के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत ने कहा था कि पुलिस मौत के मामले को गंभीरता से ले रही है और इसकी जाँच जारी है। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि थाने में आग लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा था कि शफीकुल इस्लाम (39) की मौत के मामले में बटाद्रबा थाने के प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है।

गौरतलब है कि शफीकुल सलोनाबोरी गाँव का रहने वाला था। उसके परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उसे रिहा करने के लिए 10,000 रुपए और एक बत्तख के घूस की माँग की थी। गाँववालों का कहना है कि उसकी बीवी सुबह बतख और 10,000 रुपए लेकर जब थाने पहुँची तब उसे पता चला कि उसके शौहर की तबीयत बिगड़ने से उसे नौगाँव सिविल अस्पताल ले गए हैं। इसके बाद जब वो अस्पताल पहुँची तो पता चला कि शफीकुल की मौत हो चुकी है। इस मामले में ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों पर टॉर्चर करने का आरोप लगाते हुए थाने का घेराव कर लिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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