कोलकाता के RG Kar मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में बलात्कार के बाद हत्या की शिकार बनी अंडर ट्रेनी डॉक्टर के परिजनों के साथ जालसाज़ी का प्रयास किया गया है। यह आरोप पीड़िता के पिता द्वारा नियुक्त वकील विकासरंजन भट्टाचार्य ने लगाए हैं। मंगलवार (20 अगस्त, 2024) को एक फेसबुक पोस्ट के जरिए उन्होंने बताया कि कुछ धोखेबाजों ने खुद को डॉक्टर बता कर पीड़िता के परिजनों से संपर्क किया। वकील के नाम पर कुछ कागजातों पर दस्तख़त भी करवाए गए हैं। एडवोकेट भट्टाचार्य ने ममता बनर्जी की भी आलोचना की है।
सीनियर अधिवक्ता विकासरंजन भट्टाचार्य ने 20 अगस्त को अपनी फेसबुक प्रोफ़ाइल पर एक पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा कि जब वो दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुँचे तो उन्हें पता चला कि कुछ संदिग्ध लोगों ने डॉक्टर के वेश में पीड़िता के घर वालों से मुलाकात की है। ये जालसाज अपने साथ कोई कागज लाए थे जिसे वो सुप्रीम कोर्ट की याचिका बता रहे थे। उन्होंने इस पर दस्तख़त करवाने के लिए विकास रंजन भट्टाचार्य का नाम लिया। इन जालसाज़ों को ममता बनर्जी का कट्टर समर्थक बताते हुए वकील ने आशंका जताई है कि वो लोग ममता बनर्जी के ‘भक्त’ थे।
एडवोकेट विकासरंजन भट्टाचार्य ने माँग की है कि इस पूरे मामले की जाँच और जालसाजों पर कार्रवाई होनी चाहिए। उनका दावा है कि जालसाजों के पास कई गुप्त राज भी हो सकते हैं। वकील भट्टाचार्य ने पीड़िता के परिजनों को पैसे की पेशकश करने वाली ममता बनर्जी की भी आलोचना की। उन्होंने लिखा, “आप देखिए, पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री की भूमिका बहुत निंदनीय है। जहाँ भी बलात्कार होता है, वह तुरंत पीड़ित के परिवार से संपर्क करने की कोशिश में जुट जातीं हैं और उन्हें पैसे दे कर कहती हैं कि सब कुछ खत्म हो गया है।”
एडवोकेट विकासरंजन भट्टाचार्य ने आगे लिखा, “दुर्भाग्य से उन्होंने (ममता बनर्जी) ने रेप पीड़िताओं के लिए रेट कार्ड तय कर रखे हैं।” वकील का मानना है कि बलात्कार की पीड़िताएँ कानूनी तौर पर मुआवजे के हकदार ज़रूर हैं, लेकिन जाँच पूरी होने तक इंतजार करना चाहिए। वकील का आरोप है कि के केस में गवाहों को भी खरीदने की कोशिश होती है। बकौल विकसरंजन आरजी कर मेडिकल कॉलेज पीड़िता के साथ भी यही हुआ था लेकिन पीड़िता के परिजनों ने पैसे लेने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि वो मुख्यमंत्री के खेल का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे।
अधिवक्ता विकासरंजन भट्टाचार्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से राज्यसभा सांसद भी हैं। बताते चलें कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान, उन्होंने उल्लेख किया कि अस्पताल पर हमला करने वाली भीड़ का मकसद उस सेमिनार वाले कमरे को खराब करना था जहाँ ये घृणित अपराध हुआ था। हालाँकि, यह भीड़ भटक कर उस मंज़िल पर पहुँच गई थी। यहाँ भीड़ ने उस कमरे को तहस-नहस कर दिया था ताकि अपराध के सबूतों को मिटाया जा सके। इस हमले का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
वायरल हो रहे इस वीडियो में एक व्यक्ति को यह कहते सुना गया, “चलो सेमिनार वाले कमरे में चलते हैं। “इसके बाद भीड़ ने कमरे में तोड़फोड़ शुरू कर दी थी। इस तोड़फोड़ का शिकार इमारत में मौजूद कुल 18 विभाग हुए थे। इन विभागों में इमरजेंसी रूम, गहन देखभाल इकाई और उच्च निर्भरता इकाई के साथ-साथ भंडारण कक्ष, पुरुष वार्ड, वॉशरूम शामिल हैं। भीड़ में मौजूद लगभग 7000 हमलावरों ने CCTV कैमरों को भी तोड़ डाला था। इस दौरान अस्पताल में तैनात पुलिसकर्मियों ने वॉशरूम में छिप कर अपनी जान बचाई थी। तब अस्पताल की नर्सों ने पुलिसकर्मियों की छिपने में मदद की थी।