अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला आने वाला है और पूरे देश की नज़र इस पर लगी हुई है। राम मंदिर मामले का तो निपटारा हो चुका है, जिसमें हिन्दुओं की जीत हुई और रामलला को उनकी खोई हुई जमीन वापस मिली। लेकिन, दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वस्त किए जाने को लेकर चल रहे मामले पर बुधवार (सितम्बर 30, 2020) को सीबीआई का विशेष कोर्ट फैसला सुनाएगा।
इस मामले में 32 अभियुक्त हैं, जिनमें पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी (92), उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह (88), पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती (61), पूर्व भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी (86), ‘बजरंग दल’ के संस्थापक विनय कटियार (65), ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास (82) और सदस्य चम्पत राय, ‘दुर्गा वाहिनी’ की संस्थापक साध्वी ऋतम्भरा (56) और पूर्व-सांसद व हिन्दू संत डॉक्टर रामविलास वेदांती (61) प्रमुख नाम हैं। इनमें से सभी बुजुर्ग हैं।
इस मामले में कुल 49 अभियुक्त थे लेकिन उनमें से 17 की पहले ही मौत हो चुकी है। आरोपितों पर आपराधिक साजिश रचने से लेकर आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं। ये मामला 28 वर्षों तक चला, जिनमें 351 गवाहों को पेश किया गया। अब तक 600 दस्तावेज पेश किए गए हैं। सीबीआई के स्पेशल जज सुरेंद्र कुमार यादव फैसला सुनाएँगे। आइए, इस सुनवाई और इससे जुड़े घटनाक्रम की पूरी टाइमलाइन पर एक नज़र डालते हैं।
- 1528-29: मुग़ल बादशाह बाबर ने दिल्ली से अपना साम्राज्य विस्तार करते-करते अयोध्या तक दस्तक दी। उसके सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में राम मंदिर तोड़वा कर उस पर बाबरी मस्जिद बनवाई। भगवान राम के जन्मस्थान को इस्लामी आक्रांताओं ने तबाह कर इसका अतिक्रमण कर लिया।
- 1853: निर्मोही अखाड़ा ने मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाए जाने के खिलाफ आंदलन शुरू किया। अवध में इस स्थल को लेकर हिंसा हुई।
- 1859: प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को 2 साल बीतने के बाद अंग्रेज ताकतवर हो गए थे। ब्रिटिश शासकों ने एक दीवार बना कर हिन्दुओं को बाहर पूजा करने और मुस्लिमों को भीतर नमाज पढ़ने की अनुमति दी।
- 1885: मामला पहली बार न्यायिक दरवाजे तक पहुँचा। हिन्दू संत रघुबर दास ने फ़ैजाबाद कोर्ट में मंदिर बनाने के लिए इजाजत माँगी। अदालत ने इसे ठुकरा दिया लेकिन तारीखों का एक दौर शुरू हो गया।
- 1934: दंगों के कारण मस्जिद की दीवारों और और गुम्बदों को नुकसान पहुँचा। अंग्रेजों ने फिर से इसकी मरम्मत कराई।
- 1949: भगवान राम की मूर्ति स्थापित की गई। मुस्लिम पक्ष ने प्रतिकार करते हुए अदालत में मामला दर्ज कराया। दोनों पक्षों के अदालत जाने के बाद इस स्थल को विवादित घोषित कर यहाँ सारी गतिविधियों को रोक दिया गया।
- 1950: मस्जिद को ढाँचा बताया गया। महंत गोपाल सिंह विशारद फ़ैजाबाद कोर्ट पहुँचे। महंत रामचंद्र बिष्ट भी हिन्दुओं के पूजा के अधिकार के लिए अदालत गए।
- 1959-61: निर्मोही अखाड़ा ने इस स्थल के मालिकाना हक़ के लिए मामला दर्ज कराया। सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड भी अदालत पहुँचा।
- 1984: श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए विहिप के नेतृत्व में समिति का गठन किया गया। गोरखपुर धाम के महंत अवैद्यनाथ ने आंदोलन की बागडोर थामी। उन्होंने अपने शिष्यों को राम मंदिर के लिए लड़ने वाली पार्टी को ही वोट देने को कहा।
- फरवरी 1986: यहाँ हिन्दुओं को मजिस्ट्रेट ने पूजा करने की अनुमति दी। राम मंदिर का ताला खोला गया। मुस्लिम पक्ष ने बाबरी एक्शन कमिटी बनाई।
- जून 1989: भाजपा और विहिप ने कंधे से कन्धा मिला कर लड़ने की योजना बनाई। विहिप के देवकीनंदन अग्रवाल मंदिर के लिए कोर्ट पहुँचे।
- नवम्बर 1989: मंदिर का शिलान्यास किया गया।
- सितम्बर 1990: लालकृष्ण आडवाणी ने मंदिर आंदोलन का नेतृत्व पूरी तरह अपने हाथों में लिया और रथयात्रा निकाली। अयोध्या में हजारों कारसेवक जमा हुए। कई राज्यों में दंगे भड़के। आडवाणी को बिहार में लालू यादव की सरकार ने गिरफ्तार करवाया। भाजपा ने वीपी सिंह की सरकार गिरा दी।
- अक्टूबर 1990: पहली बार कारसेवा हुई। ढाँचे के ऊपर चढ़ कर रामभक्तों ने झंडा फहराया। मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों की हत्या करवा कर ‘मुल्ला मुलायम’ का टैग लिया।
- जून 1991: चुनावों में मुलायम सिंह यादव को जनता ने सबक सिखाया और उनकी सरकार चली गई। भाजपा उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ हुई।
- दिसंबर 1992: कारसेवा की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की रक्षा के विषय में हलफनामा दिया। हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुँच कर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। अस्थायी राम मंदिर बनाए गए। देश भर में कई स्थलों पर दंगे हुए। सीबीआई जाँच के लिए अनुशंसा जारी।
- 1993: केस को अलग-अलग जिलों में ट्रांसफर किया गया।
बाबरी विध्वंस केस: 28 साल…2500 पन्नों की चार्जशीट, 351 गवाह, आडवाणी समेत 32 आरोपी; आज आएगा फैसला; 17 साल जांच करने वाले लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट केस में शामिल नहींhttps://t.co/0UxBlUKx7A #BabriDemolitionCase #BabriVerdict pic.twitter.com/R6bJPcGQNf
— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) September 30, 2020
अयोध्या में राम मंदिर के मामले में मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ भूमि जिले में ही कहीं और देने का सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया। हालाँकि, बाबरी ध्वंस मामले में इन अभियुक्तों का क्या किरदार था और उनहें क्या सज़ा मिलेगी – इसका निर्णय आज होगा। दिसंबर 6 से 21 तक 1992 में इस मामले में 47 एफआईआर दर्ज किए गए थे। उससे पहले प्रशासनिक अधिकारियों ने ही 2 एफआईआर दर्ज करवाए थे।