त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बकरीद (ईद उल अज़हा) के मौके पर किसी भी पशु की कुर्बानी नहीं (ban on animal slaughter in Bakrid in Tripura) दी जा सकेगी। त्रिपुरा के पशु संसाधन विकास विभाग द्वारा जारी किए गए एक आदेश के कारण यह संभव हुआ है। इस आदेश के अनुसार खुले में कुर्बानी को पशु क्रूरता के तहत अपराध माना गया है।
पशु संसाधन विकास विभाग ने त्रिपुरा पुलिस के DGP से आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। यह आदेश 9 जुलाई 2022 (शनिवार) को जारी किया गया है।
नियमों के अनुसार केवल बूचड़खानों में ही जानवरों की कुर्बानी की अनुमति है। अगरतला में कोई बूचड़खाना नहीं है। इसलिए अगर कल अगरतला में कोई कुर्बानी होती है तो इसे अवैध माना जाएगा और सजा दी जाएगी: डॉ. टी के देबनाथ, सचिव, पशु संसाधन विकास विभाग, त्रिपुरा (09.07) pic.twitter.com/v9SncZnVnZ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 9, 2022
पशु संसाधन विकास विभाग के सचिव डॉ. टीके देबनाथ ने कहा, “पशुओं की कुर्बानी की अनुमति नियमतः केवल बूचड़खानों में है। राजधानी अगरतला में कोई भी बूचड़खाना नहीं है, इसलिए अगर बकरीद पर कोई कुर्बानी वहाँ हुई तो उसको गैरकानूनी माना जाएगा।”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाबन्दी के पीछे विभाग ने पशु क्रूरता निवारण नियम (वधशाला) 2001 का हवाला दिया है। इस नियम के मुताबिक पशुओं की हत्या केवल उन बूचड़खानों में ही की जा सकती है, जो सरकार द्वारा लाईसेंस प्राप्त हों और सभी नियमों का पालन कर रहे हों। इसी के साथ आदेश में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और परिवहन अधिनियम 1978 का भी जिक्र किया गया है।
अपने आदेश की प्रति राज्य के DGP को भेजते हुए डॉ. देबनाथ ने इसे सख्ती से लागू करवाने के लिए कहा है। साथ ही प्रवर्तन विभाग को भी इस आदेश के बारे में सूचित किया गया है। पशु संसाधन विकास विभाग ने कहा कि नियमों के विरुद्ध जानवरों को लाने और ले जाने के चलते कई पशुओं की रास्ते में ही मौत हो जाती है। विभाग के अनुसार इन्हीं कारणों को देखते हुए इन नियमों का कोई भी उललंघन करता दिखाई दे तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
बकरीद पर कॉन्ग्रेस और CPIM की राजनीति, वक्फ बोर्ड सरकार के साथ
त्रिपुरा की सरकार ने बकरीद पर कुर्बानी के लिए कहीं से भी मनाही नहीं की है। विपक्षी दल लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति नहीं करें, यह कैसे संभव है। कॉन्ग्रेस और सीपीआईएम ने त्रिपुरा के पशु संसाधन विकास विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश पर कहा कि यह एक समुदाय की भावनाओं को आहत करने के साथ-साथ किसी अन्य समुदाय को खुश करने के लिए किया गया है।
त्रिपुरा वक्फ बोर्ड ने हालाँकि इस मुद्दे पर राज्य सरकार को समर्थन दिया है। वक्फ बोर्ड का कहना है कि अधिसूचना में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारे शरीयत कानून और हदीस दिशा-निर्देश भी हमें एक वर्ष से कम उम्र की गायों को मारने से रोकते हैं और गर्भवती गायों की कुर्बानी को प्रतिबंधित करते हैं। यह लगभग सरकारी आदेश जैसा ही है। कोई अंतर नहीं है।”