दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल (Delhi CM & AAP Chief Arvind Kejriwal) ने भारतीय करेंसी पर एक तरफ महात्मा गाँधी और दूसरी तरफ देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की तस्वीर छापने की माँग करके राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि देश तभी समृद्ध होगा, जब देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलेगा।
करेंसी नोट की चर्चा होने के बाद अब लोगों में जिज्ञासा हो रही है कि महात्मा गाँधी की तस्वीर नोटों पर कब से क्यों छप रहे हैं। क्या शुरू से ही महात्मा गाँधी की तस्वीर नोटों पर थी? दरअसल, नोटों पर महात्मा गाँधी की तस्वीर पहली बार उनकी 100वीं जयंती पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सन 1969 में छापा था। यह नोट 1 रुपए का था। इस तस्वीर में महात्मा गाँधी को वर्धा (महाराष्ट्र) के सेवाग्राम आश्रम में बैठे हुए दिखाया गया था।
इसके बाद सन 1987 में 500 रुपए के नोट को महात्मा गाँधी की तस्वीर के साथ दोबारा जारी की गई। इसके बाद सन 1996 में RBI ने 100 रुपए के साथ-साथ 10 रुपए के नोटों की सीरीज को महात्मा गाँधी की तस्वीर के साथ जारी किया। इस साल से छपने वाले लगभग हर नोट पर महात्मा गाँधी की तस्वीर छपने लगी।
हालाँकि, इसके बीच सन 1980 में जो नए नोट जारी किए थे, उसमें भारत के विभिन्न प्रतीकों को दर्शाया गया था। ये प्रतीक भारत की प्रगति को दर्शा रहे थे। उस समय 1 रुपए के नोट पर ऑयल रिंग, 2 रुपए के नोट पर आर्यभट्ट, 5 रुपए के नोट पर किसान एवं ट्रैक्टर, 10 रुपए के नोट पर राष्ट्रीय पक्षी मोर और 20 रुपए के नोट पर कोणार्क के सूर्य मंदिर को दर्शाया गया था।
महात्मा गाँधी की तस्वीर से पहले की करेंसी
देश में मुद्रा छापने का काम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) करता है। ब्रिटिश इंडिया सरकार ने इस बैंक की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को किया था। शुरू में RBI का मुख्यालय कोलकाता में था। हालाँकि, 1937 में स्थानांतरित होकर हमेशा के लिए मुंबई चला गया। निजी स्वामित्व वाला यह बैंक साल 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद पूर्णत: सरकारी स्वामित्व वाला हो गया।
RBI ने पहली बार सन 1938 में 5 रुपए का नोट जारी किया था। इस नोट पर ब्रिटेन के राजा जॉर्ज VI की तस्वीर थी। इसके बाद इसी तरह के 10 रुपए, 100 रुपए, 1000 रुपए और 10,000 रुपए का नोट जारी किया था। इन नोटों पर उस RBI के दूसरे गवर्नर जेम्स टेलर के हस्ताक्षर थे। जॉर्ज की तस्वीर वाले ये नोट अगले 11 साल तक यानी 1948 तक चलन में रहे।
सन 1947 में देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद भारतीय करेंसी को नए सिरे से डिजाइन किया गया। साल 1949 में नए नोटों पर ब्रिटिश राजा जॉर्ज VI की तस्वीर को हटा दिया गया। भारतीय नोटों पर जॉर्ज की तस्वीर की जगह पर राष्ट्रीय चिह्न सारनाथ के अशोक स्तंभ को लगाया गया।
साल 1954 में RBI ने तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर की तस्वीर के साथ 1,000 रुपए का नोट छापा। इसके साथ ही 5,000 रुपए के नोटों पर गेटवे ऑफ इंडिया की तस्वीर और 10,000 रुपए के नोट पर अशोक स्तंभ की तस्वीर जारी की गई थी। सन 1978 में उच्च मूल्य वाले नोटों को छापना बंद कर दिया गया।
महात्मा गाँधी की तस्वीर पर RBI का तर्क
सन 1996 के बाद से लगभग हर भारतीय नोट पर महात्मा गाँधी की तस्वीर छपने लगी। इसके पीछे RBI ने तर्क दिया था कि महात्मा गाँधी की तस्वीर से पहले जितने प्रतीकों का इस्तेमाल नोटों पर किया जाता रहा है, उनका आसानी से नकल किया जा सकता था।
RBI ने कहा कि इन प्रतीकों का इसलिए नकल आसान है, क्योंकि ये निर्जीव वस्तुएँ हैं। इसके विपरीत, मानव चेहरे की नकल करना मुश्किल है। बता दें कि भारतीय नोटों पर महात्मा गाँधी की जो तस्वीर इस्तेमाल की जाती है, वह कैरिकेचर नहीं है।
सन 1946 में तत्कालीन वायसराय के निवास स्थान यानी आज के राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली के बाहर महात्मा गाँधी की तस्वीर ली गई थी। इस तस्वीर में महात्मा गाँधी मुस्कुरा रहे हैं। तस्वीर में महात्मा गाँधी के साथ एक और व्यक्ति खड़ा है, जिसका नाम लॉर्ड फ्रेडरिक विलियम पेथिक-लॉरेंस है। फ्रेडरिक ब्रिटेन के राजनेता थे। इसी तस्वीर को क्रॉप करके भारतीय नोटों पर छापा जाता है।
नोटों पर अन्य सेनानियों की तस्वीर की माँग
भारतीय नोटों पर महात्मा गाँधी की तस्वीर छापने के बाद अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें भी नोटों पर छापने की माँग उठी थी। साल 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में कहा था, “RBI के एक पैनल ने बैंक नोटों पर किसी अन्य राष्ट्रीय नेता की तस्वीर को शामिल करने के खिलाफ यह कहते हुए निर्णय लिया है कि महात्मा गाँधी की तुलना में कोई अन्य व्यक्तित्व देश के लोकाचार का बेहतर प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है।”
दरअसल, अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को लेकर सबसे बड़ी समस्या ये आ रही थी, बैंक नोटों पर किसको शामिल किया जाए और किसे छोड़ा जाए। अगर किसी एक को शामिल किया जाता है तो दूसरे लोग दूसरे सेनानियों के लिए ऐसी ही माँग करेंगे। इस तरह विवादों से बचने के लिए महात्मा गाँधी को चुना गया।