नागालैंड में सबसे शक्तिशाली चर्च निकाय ने अपने अनुयायियों को ‘खतरनाक’ चीनी संप्रदाय और इसकी ऑनलाइन गतिविधियों के खिलाफ चेतावनी जारी की है। नगालैंड बैपटिस्ट चर्च काउंसिल (NBCC) ने पूर्वोत्तर भारत में चर्च के नेताओं को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि राज्य में चीनी संप्रदाय अपनी जड़ें फैला रहा है। इससे सावधान रहने की जरूरत है।
बता दें कि यह संप्रदाय अपने चर्च को ‘चर्च ऑफ ऑलमाइटी गॉड’ के नाम से प्रचारित करता है। इनका मानना है कि ईसा मसीह (जीसस) ने फिर से अवतार लिया है और इस बार वह एक महिला के रूप में धरती पर वापस आए हैं। ‘चर्च ऑफ ऑलमाइटी गॉड’ पर आरोप लगाया जाता है कि यह गलत शिक्षा देने के साथ ही ईसाई धर्म के सिद्धांत बारे में झूठ को फैलाने में सक्रिय भूमिका निभाता है।
एनबीसीसी के महासचिव जेलो कीहो ने बैपटिस्ट संघों के सभी कार्यकारी सचिवों और निदेशकों को एक पत्र जारी किया। उन्होंने लिखा है कि वह चीन के ‘चर्च ऑफ ऑलमाइटी गॉड’ के बारे में चिंतित हैं क्योंकि वे उत्तर-पूर्व भारत में प्रवेश कर रहे हैं।
उन्होंने चेताया है कि यह संप्रदाय ईसाई धर्म के सिद्धांतों के बारे में गलत प्रचार कर रहा है और उन्होंने इस फर्जी धर्म के प्रति सभी को सभी तरह के सुरक्षात्मक उपाय करने और उसके प्रति सावधान रहने को कहा है।
उन्होंने आगे कहा है, “चर्च ऑफ ऑलमाइटी गॉड या ईस्टर्न लाइटनिंग कल्ट पूरी तरह से एक संगठित समूह है, जिसका बहुत ही तेजी से फेसबुक पेज तैयार किए जा रहा है और उस पर रंगीन चित्रकारी की जा रही है जो बाइबिल से जुड़ी और मोहक प्रतीत होती हैं।” बता दें कि यह चेतावनी भरा पत्र 19 अगस्त को भेजा गया था।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, पत्र में कहा गया है, “हमें इस खतरनाक संप्रदाय से सावधान रहना होगा, क्योंकि वे सक्रिय रूप से गलत सिद्धांत और झूठी शिक्षाओं का प्रसार कर रहे हैं। हमें उनके बारे में जानकारी इकट्ठा कर उनका पर्दाफाश करना होगा। हमें उनके झूठे धर्म से अपनी धार्मिक सभा को बचाने के लिए हर तरह का उपाय करना होगा।”
#Gravitas | A Chinese Christian cult is allegedly making inroads in India.
— WION (@WIONews) August 25, 2020
The Church of Almighty God is a violent movement – that believes Jesus has returned as a Chinese woman.
Nagaland’s highest church body is raising an alarm. @palkisu tells you more. pic.twitter.com/J5kVNrgGV7
पत्रकारों से बात करते हुए, कीहो ने कहा, “हम अपने चर्चों में विभिन्न सम्मेलनों और मीडिया के माध्यम से जागरुकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि मिजोरम, मेघालय, नागालैंड और मणिपुर में 5.5 मिलियन से अधिक ईसाई रह रहे हैं। अन्य पूर्वोत्तर राज्यों जैसे असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में बड़ी संख्या में ईसाई रहते हैं। उनके अनुसार, ऐसे हिंसक संप्रदाय ईसाइयों के लिए खतरा हैं।
इसके साथ ही एनबीसीसी के युवा सचिव विकुओ री ने कहा है कि उन्हें पता है कि वे लोग नगालैंड और उत्तरपूर्व भारत में पहले ही दाखिल हो चुके हैं। लेकिन, अभी यह पता लगाना है कि यहाँ पर वे कितने हैं। वे लोग फेसबुक और व्हास्टऐप पर बहुत ही ज्यादा ऐक्टिव हैं। वे लोगों खासकर युवाओं को फुसलाना चाहते हैं।
गौरतलब है कि ईस्टर्न लाइटनिंग कल्ट ऑफ चाइना यह बताता है कि ईसा मसीह का धरती पर एक महिला के रूप में पुनर्वतार हुआ है, जिसका नाम यांग जियांगबिन है और उन्हें लाइटनिंग डेंग के नाम से भी प्रचार-प्रसार करते हैं। चीन में क्रिश्चियनों के इस नए संप्रदाय का 1991 में गठन किया गया। चीन में 1991 में एक नए संप्रदाय का उदय हुआ, जिसके संस्थापक को उनके अनुयायियों ने प्रभु ईसा मसीह या जीसस का नया अवतार बताना शुरू कर दिया।
उसकी संस्थापक यांग जियांगबिन नाम की एक महिला थी, इसलिए वह चाइनीज ‘फीमेल जीसस’ के नाम से जानी जाने लगीं। महिला के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि वह उत्तर पश्चिमी चीन में पैदा हुई थी।
इस संप्रदाय का इतिहास काफी हिंसक रहा है। 100 से अधिक हिंसा वाले मामले संप्रदाय से जुड़े हैं। चीनी सरकार को पंथ पर प्रतिबंध लगाना पड़ा क्योंकि उन्होंने आम जनता के लिए खतरा पैदा करना शुरू कर दिया। इस समूह का निर्माण 1990 में एक पूर्व फिजिक्स शिक्षक झाओ वीशान द्वारा किया गया था।
यह अमेरिका से संचालित होता है, लेकिन भारत सहित 35 से अधिक देशों में इसकी शाखाएँ हैं। संस्थापकों झाओ वीशान और यांग जियांगबिन ने अमेरिका में राजनीतिक शरण ली और अपना अभियान शुरू किया। उन्होंने चीन में चर्च की शिक्षाओं को फैलाने के साथ शुरुआत की और अन्य देशों के अनुयायियों को जोड़ा। जल्द ही उन्हें सोशल मीडिया के पावर का एहसास हुआ, और अब वे नियमित रूप से वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फिल्में, धार्मिक सामग्री और ऑडियो लेक्चर पोस्ट करते हैं।
चर्च ऑफ ऑलमाइटी गॉड के हिंसक इतिहास के उल्लेखनीय मामले
हालाँकि चर्च की वेबसाइट की सामग्री पहली नज़र में उनके हिंसक व्यवहार की तरफ इशारा नहीं करती है, लेकिन चर्च से जुड़े विवाद उनके इरादों पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त हैं।
- 2002 में, ‘चर्च ऑफ ऑलमाइटी गॉड’ के सदस्यों ने कथित तौर पर चीन के 30 चर्च नेताओं को अगवा किया था। उन्होंने उन्हें दो महीने तक बंधक बनाकर रखा और उनका धर्मांतरण कराने की कोशिश की।
- 2012 में लोगों को डराने के लिए फिल्म “2012” के दृश्यों का इस्तेमाल किया। इसके जरिए उन्होंने लोगों के मन में भय पैदा करने की कोशिश की कि कयामत आने वाला है। इतना ही नहीं, उन्होंने प्रोपेगेंडा वीडियो, पैम्पलेट और अन्य सामग्री का उपयोग लोगों को लुभाने के लिए किया ताकि वे उनके संप्रदाय में शामिल हों। उनके भय के कारण चीन में व्यापक दंगे हुए और हेनान प्रांत में एक महिला और 23 छात्रों की छुरा घोंपने सहित कई उल्लेखनीय घटनाएँ हुईं। संप्रदाय के 100 से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था।
- 2014 में, संप्रदाय के सदस्यों ने चीन में मैकडॉनल्ड्स में एक 37 वर्षीय महिला की हत्या कर दी, क्योंकि उसने अपना नंबर देने से इनकार कर दिया था। संप्रदाय के सदस्यों ने दावा किया कि एक दानव उसके पास था।
- 2019 में, चर्च के सदस्यों ने इज़राइल में चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की जिसके कारण हिब्रू भाषा में राजनीतिक मैसेज पोस्ट करने वाले सैकड़ों अकाउंट सस्पेंड हो गए।
चीन सरकार ने चर्च पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालाँकि, चर्च के सदस्य अपने संप्रदाय को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैलाने के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं।