उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी में मंगलवार (अगस्त 25, 2020) के दिन अचानक से माहौल बिगड़ गया। दरअसल, हुआ यूँ कि एक युवक बिना अनुमति लिए ताजिया लेकर जा रहा था, जिसके बाद पुलिस उसे पकड़ कर थाने ले गई। जैसे ही संप्रदाय विशेष के समाज के लोगों को यह पता चला कि ताजिया ले जाने वाले युवक को पुलिस ले गई है, सैकड़ों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए।
संप्रदाय विशेष समाज के लोगों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शन उतना उग्र हो गया कि बाराबंकी पुलिस को भी इसे संभालने में मशक्कत करनी पड़ी। संप्रदाय विशेष समाज के लोग पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। अफवाह फैलने लगी और प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती चली गई। बाराबंकी, गोण्डा, बहराइच और श्रावस्ती को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण बुद्धा मार्ग को संप्रदाय विशेष के प्रदर्शनकारियों ने जाम कर दिया, जिससे आवागमन ठप्प हो गया।
#यूपी: कानपुर के बाद बाराबंकी मे भी ताजिया लेकर जा रहे मुस्लिम युवक को पुलिस ने रोका तो विशेष समुदाय के लोगो ने किया विरोध प्रदर्शन बाराबंकी-बहराइच मार्ग को जाम कर जमकर हुआ पथराव, थाना मसौली इलाके के सहावपुर की घटना I@Uppolice @BarabankiD @Barabankipolice #Barabanki pic.twitter.com/TL1Nx6dF0o
— News_live (@kanpurtak) August 25, 2020
शहावपुर गाँव का उक्त युवक मसौली कसबे से ताजिया लेकर घर जा रहा था। लोगों का आरोप है कि बाराबंकी पुलिस ताजिया सहित उक्त युवक को लेकर थाने ले गई। जैसे ही यह खबर फैली, संप्रदाय विशेष समाज के लोग घर से निकल कर सड़क जाम कर नारेबाजी और प्रदर्शन करने लगे। शहावपुर गाँव के प्रंचायत प्रतिनिधि वसीम अंसारी का आरोप है कि बड़ी संख्या में लोगों ने उनके घर का भी घेराव किया।
उन्होंने इस घटना से अनभिज्ञता जताई। पुलिस को जब इसकी सूचना मिली और वो अंसारी के घर पहुँची तो प्रदर्शनकारी भाग खड़े हुए। ‘न्यूज़ 18’ की खबर के अनुसार, बाराबंकी के अपर एसपी आरएस गौतम ने बताया कि सभी को पहले ही सूचित कर दिया गया था कि कोरोना संक्रमण आपदा के कारण इलाक़े में धारा-144 लागू है और किसी को भी इस तरह से आवागमन करने की अनुमति नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर इसमें कोई रुकावट पैदा करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालाँकि, उन्होंने ताजिया के साथ संप्रदाय विशेष के युवक को थाना ले जाने वाले मामले में और छानबीन की बात भी कही। मौके पर तनाव को देखते हुए पीएसी तैनात की गई है। लोगों का आरोप है कि पुलिस ने अभद्रता की, जिसे प्रशासन ने नकार दिया है। फ़िलहाल माहौल शांत करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में मुहर्रम को लेकर जारी किए गए गाइडलाइन्स में इस दौरान 5 से ज्यादा लोगों के जुटने को प्रतिबंधित किया गया था। साथ ही दिशा-निर्देशों में ये भी कहा गया है कि ताजिया को सड़कों पर या चौक पर नहीं रखा जा सकेगा। इसी तरह कानपुर में भी मुहर्रम को लेकर मजलिस चल रही थी, जहाँ पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। कानपुर के ग्वालटोली में लगभग 60 लोग एक मकबरे में जुट गए थे।
पुलिस जब मजलिस के मुखिया डॉक्टर अली को थाने ले गई तो पीछे-पीछे भीड़ भी वहाँ पहुँच गई। जब लोगों ने संप्रदाय विशेष के समाज के उपद्रवियों की करतूतों को अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद करना शुरू किया तो उग्र भीड़ पत्थरबाजी करने लगी। बीच-बचाव करने के बाद पुलिस ने डॉक्टर अली को सरकारी गाइडलाइन्स के अनुसार मातम मनाने की इजाजत दी, जिसके बाद भीड़ वहाँ से तितर-बितर हुई।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल 5 लोगों के साथ मुहर्रम का जुलुस निकालने की अनुमति नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों की सरकारों को पक्षकार बनाते हुए कहा कि मुहर्रम का जुलुस हर इलाक़े में निकलता है, इसीलिए उनकी बात सुननी ज़रूरी है। सीजेआई बोबडे ने कहा कि अभी हाल ही में उन्होंने लोगों को दादर, बायकला और चेंबूर के मंदिरों में एक सीमित क्षमता में प्रार्थना समारोह में प्रार्थना करने की अनुमति दी थी क्योंकि वहाँ की सरकारें इसके पक्ष में थीं।